जयपुर से गोवर्धन असरानी का कनेक्शन, सिंधी कॉलोनी के रहने वाले थे 'अंग्रेजों के जमाने के जेलर'

Edited By Raunak Pareek, Updated: 21 Oct, 2025 05:28 PM

govardhan asrani is no more said goodbye to the world at the age of 84

प्रसिद्ध अभिनेता गोवर्धन असरानी को याद करते हुए यह लेख उनके दोस्त की भावनाओं के ज़रिए एक सच्चे कलाकार की झलक दिखाता है। जिन्होंने कॉमेडी को जिया, हंसी को आत्मा बनाया और दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई। असरानी जी की सादगी, संघर्ष और जीवन दर्शन इस...

गोवर्धन असरानी, जयपुर के एक जाने-माने कॉमेडियन और अभिनेता थे, जिन्होंने अपनी अदाकारी और कॉमेडी से लोगों के दिलों में खास जगह बनाई। वे सिंध पाकिस्तान से आए रिफ्यूजी परिवार से ताल्लुक रखते थे और जयपुर में अपने परिवार के साथ संघर्षपूर्ण जीवन बिताया। उनकी पढ़ाई संजेवियर स्कूल और राजस्थान आर्ट्स कॉलेज में हुई, जहां से उन्होंने थिएटर और एक्टिंग की नींव रखी। असरानी साहब ने ऑल इंडिया रेडियो में वॉइस ओवर आर्टिस्ट के रूप में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया। मुंबई में FTI से प्रशिक्षण लेने के बाद उन्होंने फिल्मों में अपनी पहचान बनाई। शोले जैसी यादगार फिल्मों में उनके रोल ने उन्हें देशभर में मशहूर कर दिया। उनका व्यक्तित्व जिंदादिल, हसमुख और वाइब्रेंट था। वे न केवल खुद हंसते थे, बल्कि दूसरों को भी हंसाने का हुनर रखते थे। उनके जीवन को लेकर हमने बात की वरिष्ट पत्रकार राजेश असनानी से जो उनके परिवार के सबसे करीबियों में से है।  

पंजाब केसरी की वरिष्ट पत्रकार राजेश असनानी से खास बातचीत 

पंजाब केसरी: गोवर्धन असरानी का बचपन और पारिवारिक पृष्ठभूमि कैसी रही?
राजेश असनानी: गोवर्धन असरानी सिंध पाकिस्तान से आए रिफ्यूजी परिवार से थे। उनके परिवार ने जयपुर में संघर्षपूर्ण जीवन बिताया और मेहनत से खुद को बसाया। उनके पिता ने यहां विभिन्न काम किए, ताकि परिवार का भला हो। बचपन में उन्होंने कई कठिनाइयाँ देखीं, लेकिन इससे उनका जज्बा और मजबूत हुआ।

पंजाब केसरी: उनका शिक्षा और थिएटर में प्रारंभिक सफर कैसे रहा?
राजेश असनानी: उन्होंने संजेवियर स्कूल और राजस्थान आर्ट्स कॉलेज से शिक्षा ली। यहीं से उन्होंने थिएटर और एक्टिंग की शुरुआती ट्रेनिंग प्राप्त की। स्कूल और कॉलेज में ही उनकी कला का रंग दिखने लगा और उनका शौक धीरे-धीरे करियर में बदल गया।

पंजाब केसरी: मुंबई में उनका करियर कैसे शुरू हुआ?
राजेश असनानी: मुंबई जाकर उन्होंने एफटीआईआई से प्रशिक्षण लिया। वहां से उन्होंने फिल्मों में काम करने की शुरुआत की और लगातार मेहनत की। पहले छोटे रोल्स मिले, लेकिन उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने उन्हें आगे बढ़ाया।

पंजाब केसरी: उनकी पहली बड़ी सफलता कौन सी फिल्म से मिली?
राजेश असनानी: उन्हें सबसे पहला बड़ा ब्रेक "हरे कांच की चूड़ियां" फिल्म से मिला। इसके बाद उन्हें शोले जैसी यादगार फिल्मों में रोल मिला, जिसने उन्हें पूरे देश में पहचान दिलाई और उनकी कॉमेडी और अभिनय की कला लोगों के दिलों में बस गई।

पंजाब केसरी: उनका व्यक्तित्व किस तरह का था?
राजेश असनानी: गोवर्धन असरानी जिंदादिल, हसमुख और वाइब्रेंट इंसान थे। उनकी आवाज और हाव-भाव में जबरदस्त ऊर्जा थी। वे हमेशा खुशमिजाज रहते थे और अपने आसपास के लोगों को भी हंसाने का हुनर रखते थे।

पंजाब केसरी: उनका कॉमेडी में योगदान कैसा रहा?
राजेश असनानी: उन्होंने कॉमेडी को जिया और हर दौर में इसे सम्मान दिलाया। उनका काम न केवल खुद हंसने के लिए था, बल्कि दूसरों को हंसाने और खुश रखने के लिए था। उनकी फिल्मों और थिएटर की अदाकारी आज भी याद की जाती है।

पंजाब केसरी: उन्होंने कौन-कौन सी प्लेटफॉर्म्स पर काम किया?
राजेश असनानी: उन्होंने फिल्मों के अलावा ऑल इंडिया रेडियो में वॉइस ओवर आर्टिस्ट के रूप में काम किया। इसके अलावा थिएटर और एफटीआईआई में प्रशिक्षण के दौरान भी उन्होंने अपनी कला को और निखारा।

पंजाब केसरी: उनका जयपुर और मुंबई में जीवन कैसा था?
राजेश असनानी: जयपुर में उनका बचपन संघर्षपूर्ण था, लेकिन परिवार का साथ उन्हें मजबूत बनाता था। मुंबई में उन्होंने कड़ी मेहनत से अपनी पहचान बनाई और बॉलीवुड में सफल कॉमेडियन के रूप में उभरे।

 

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