राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शताब्दी वर्ष: राजस्थान में 9 हजार स्थानों पर विजयादशमी उत्सव, जयपुर में 3 लाख स्वयंसेवक हुए शामिल

Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 06 Oct, 2025 06:44 PM

rashtriya swayamsevak sangh centenary year

जयपुर । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में विजयादशमी उत्सव 28 सितम्बर से 5 अक्टूबर तक मनाया गया।

जयपुर । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में विजयादशमी उत्सव 28 सितम्बर से 5 अक्टूबर तक मनाया गया। इस बार पूरे राजस्थान में प्रत्येक बस्ती व मंडल स्तर पर करीब 9 हजार स्थानों पर कार्यक्रम हुए। इनमें संघ के सभी आयु वर्ग के स्वयंसेवक सम्मिलित हुए। कार्यक्रम में समाज के सभी वर्गों की सहभागिता रही। उल्लेखनीय है कि संघ की रचना के अनुसार चार पांच गांव मिलकर एक मंडल होता है और शहरों में दो हजार घर की एक बस्ती होती है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जयपुर प्रान्त संघचालक सरदार महेंद्र सिंह मग्गो ने बताया कि जयपुर प्रांत में 2500 से ज्यादा स्थानों पर कार्यक्रम हुए जिनमें लगभग तीन लाख स्वयंसेवकों ने भाग लिया। एक लाख से अधिक स्वयंसेवकों ने नया गणवेश बनवाया। इन कार्यक्रमों में करीब पांच लाख जनता भी सहभागी रही। बड़ी संख्या में महिलाएं और युवाओं ने विजयादशमी के कार्यक्रमों में भाग लिया। जयपुर शहर में 291 स्थान पर विजयादशमी उत्सव का आयोजन हुआ। कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि के रूप में समाज के प्रतिष्ठित लोग जैसे सेना के सेनि अधिकारी, प्रतिष्ठित समाज सेवी, जाति बिरादरी प्रमुख, संत महात्मा, राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी उच्च प्रशासनिक अधिकारी आदि सम्मिलित हुए।

इन कार्यक्रमों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य दुर्गादास, शंकर लाल, सुरेश कुमार सेवा भारती के अखिल भारतीय अधिकारी मूलचंद, क्षेत्र संघचालक डॉ रमेश अग्रवाल, क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम, क्षेत्र कार्यवाह जसवंत खत्री, सह क्षेत्र कार्यवाह गेंदालाल और प्रांत प्रचारक बाबूलाल समेत कई संघ के अधिकारियों ने मुख्य वक्ता के रुप में संबोधित किया।

सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने संघ की शताब्दी वर्ष की यात्रा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह समय उत्सव का नहीं, बल्कि आत्ममंथन, आत्मविश्लेषण और संकल्प का है। हमें यह देखना होगा कि सौ वर्षों में संघ की यात्रा कहां से कहां पहुंची और आगे कौन-से कार्य शेष हैं। संघ का लक्ष्य राष्ट्र का परम वैभव है- एक ऐसा समाज जो आध्यात्मिक आधार पर संपन्न और सबल हो। संघ स्वयं को बढ़ाने का नहीं, बल्कि राष्ट्र को सशक्त बनाने का कार्य करता है।

क्षेत्र प्रचारक निंबाराम ने कहा कि प्रतिकूल परिस्थितियों में स्वयंसेवकों की निष्ठा के कारण ही संघ आज एक वट वृक्ष बन गया है। आज विरोधी समाज में भ्रम फैला कर हमारी संस्कृति को तोड़ना चाहते हैं। ऐसे समय में हमें अधिक सजग होकर समाज को एकजुट करना होगा। संघ 100 वर्ष पूरे कर रहा है तो संघ ने भव्य कार्यक्रम नहीं करते हुए समाज के लिए ही कार्यक्रम करना तय किया है। अतः पंच परिवर्तन के विषय स्व का जागरण, नागरिक शिष्टाचार, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण ऐसे समग्र विचार के साथ समाज के बीच काम करने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर भारत की प्राचीन परंपरा के अनुसार उत्साह से शस्त्र पूजन भी किया गया। अनेक स्थानों पर स्वयंसेवकों ने संचलन भी निकाला और शारीरिक कार्यक्रम किए। इनमें संघ का समाज के लिए 100 वर्ष में सेवा, संगठन, समरसता आदि के लिए कार्य का संदेश मिला तथा भविष्य के भारत में योगदान के लिए पंच परिवर्तन समाज को अपनाना चाहिए ऐसा संकल्प करने का आह्वान किया गया। कार्यक्रम स्थल पर साहित्य स्टाल भी रहे, जहां लोगों ने बड़ी मात्रा में साहित्य क्रय किया।

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