Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 04 Aug, 2025 02:52 PM

जयपुर। राजधानी जयपुर को स्वच्छता रैंकिंग में अव्वल लाने की दिशा में एक और कदम बढ़ाया गया है। लांगड़ियावास में तैयार मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (MRF) प्लांट जल्द ही शुरू होने जा रहा है,
जयपुर। राजधानी जयपुर को स्वच्छता रैंकिंग में अव्वल लाने की दिशा में एक और कदम बढ़ाया गया है। लांगड़ियावास में तैयार मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (MRF) प्लांट जल्द ही शुरू होने जा रहा है, जिससे प्रतिदिन 300 टन कचरे में से 80–90% का पुन: उपयोग संभव होगा। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 10 करोड़ रुपए की फंडिंग से और कुल 13.55 करोड़ की लागत से बने इस प्लांट का काम दिसंबर 2023 में शुरू हुआ था और यह तय समय से एक माह पहले पूरा हो गया है। अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से NOC मिलने के बाद इसे चालू कर दिया जाएगा।
कैसे करेगा काम
शहर के होटल, रेस्टोरेंट, विवाह स्थल और आयोजनों से निकलने वाला सूखा कचरा यहां लाया जाएगा। कचरे की छंटाई के बाद पुन: उपयोग योग्य हिस्से से प्लास्टिक कुर्सी-मेज, ट्री गार्ड और अन्य उत्पाद बनाए जाएंगे।
पहले से सक्रिय प्लांट
वेस्ट टू एनर्जी प्लांट – 1,000 मीट्रिक टन क्षमता, 12 मेगावाट बिजली उत्पादन, पुराने कचरे से बिजली बना रहा है।
सीएनडी वेस्ट प्लांट – 300 टन क्षमता, भवन मलबे से ईंटें और टाइल का उत्पादन।
नगर निगम को फायदे
हर वर्ष लगभग ₹10 करोड़ की बचत
कंपनी प्रति टन ₹15.50 का भुगतान करेगी
अभी निगम प्रति टन ₹1700 खर्च कर रहा है
शहर को लाभ
सफाई व्यवस्था में सुधार
कचरे से नगर निगम को राजस्व
प्रदूषण में कमी, कचरे के पहाड़ नहीं बनेंगे
स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग में सुधार
नागरिक सहभागिता जरूरी
ग्रेटर और हैरिटेज नगर निगम की सफाई समितियां डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण और स्वच्छता के लिए जनजागरूकता अभियान चलाएंगी। मुख्य सब्जी मंडियों और बाजारों में व्यापारियों को स्वच्छता के लिए प्रेरित किया जाएगा।
जयपुर में रोजाना करीब 1800 टन कचरा निकलता है। वर्तमान में 1000 टन का निस्तारण हो रहा है, जबकि MRF प्लांट से 300 टन अतिरिक्त कचरे का प्रबंधन संभव होगा। शेष 500 टन को कम करने के लिए घर-घर होम कम्पोस्टिंग को बढ़ावा देने की योजना है। अभी केवल 1,000 घरों में ही गीले कचरे से खाद बनाई जा रही है। यदि महिलाएं और परिवार सक्रिय हों तो स्वच्छ जयपुर की कल्पना साकार हो सकती है।