न्याय सबके लिए: 3 साल में लोक अदालतों में 23 करोड़ से अधिक मामलों का निस्तारण – सांसद मदन राठौड़

Edited By Sourabh Dubey, Updated: 24 Jul, 2025 07:53 PM

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विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा देशभर में न्यायिक प्रक्रियाओं को तेज और सुलभ बनाने की दिशा में ऐतिहासिक पहलें की जा रही हैं। राज्यसभा सांसद एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के सवाल के जवाब में राज्यसभा में यह जानकारी विधि और न्याय राज्य मंत्री...

जयपुर | विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा देशभर में न्यायिक प्रक्रियाओं को तेज और सुलभ बनाने की दिशा में ऐतिहासिक पहलें की जा रही हैं। राज्यसभा सांसद एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के सवाल के जवाब में राज्यसभा में यह जानकारी विधि और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुनराम मेघवाल ने साझा की।

मंत्री मेघवाल ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में राष्ट्रीय लोक अदालतों के माध्यम से 23 करोड़ से अधिक मामलों का निस्तारण किया गया। इसके अलावा राज्य लोक अदालतों में 34 लाख और स्थायी लोक अदालतों में 6.41 लाख मामलों का समाधान किया गया, जिससे आमजन को शीघ्र और सुलभ न्याय मिला।

15 करोड़ लोगों तक पहुंची विधिक जागरूकता

सांसद राठौड़ ने बताया कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के माध्यम से देशभर में 13.83 लाख विधिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें लगभग 15 करोड़ लोग शामिल हुए। इन अभियानों का उद्देश्य था समाज के कमजोर, हाशिए पर खड़े और वंचित वर्गों तक न्याय की पहुँच सुनिश्चित करना।

प्राधिकरण ने विशेष रूप से बच्चों, श्रमिकों, आपदा पीड़ितों, अनुसूचित जाति—जनजाति और दिव्यांगजनों के लिए जागरूकता अभियान चलाए हैं ताकि वे कानूनी सहायता के अपने अधिकारों को जान सकें।

प्रति-विधिक सहायता काउंसल प्रणाली बनी सहारा

सांसद राठौड़ ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वर्ष 2023-24 में "विधिक सहायता प्रतिवादी काउंसल प्रणाली" योजना को लागू किया गया। इस योजना के तहत देश के 662 जिलों में विधिक सहायता काउंसल के कार्यालय स्थापित किए गए हैं। पिछले दो वर्षों में 8.69 लाख मामले इन काउंसलों को सौंपे गए, जिनमें से 5.85 लाख मामलों का समाधान किया जा चुका है।

‘कोई न्याय से वंचित न रहे’ – यही लक्ष्य

प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शी सोच के तहत NALSA इस बात की सुनिश्चितता कर रहा है कि आर्थिक या सामाजिक कारणों से कोई भी व्यक्ति न्याय से वंचित न रह जाए। यह पहलें न्यायिक प्रणाली में विश्वास को मजबूत करने के साथ-साथ संविधान की भावना को भी सशक्त कर रही हैं।

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