Edited By Kailash Singh, Updated: 12 Jul, 2025 07:29 PM

करीब दो महीने से निर्दोष होते हुए भी जेल में बंद आँखों से दिव्यांग सिद्धमुख के भीमसाना निवासी अमीचंद अब जेल से रिहा होगा | साथ ही जेल में बंद उक्त निर्दोष व्यक्ति को सरकार को 2 लाख रूपये मुआवजे के रूप में भी देने होंगे | वहीं गलत जाँच कर निर्दोष को...
निर्दोष दिव्यांग अमीचंद मामले हाईकोर्ट ने जारी किया 'रिपोर्टेबल' आदेश
जोधपुर/सिद्धमुख : करीब दो महीने से निर्दोष होते हुए भी जेल में बंद आँखों से दिव्यांग सिद्धमुख के भीमसाना निवासी अमीचंद अब जेल से रिहा होगा | साथ ही जेल में बंद उक्त निर्दोष व्यक्ति को सरकार को 2 लाख रूपये मुआवजे के रूप में भी देने होंगे | वहीं गलत जाँच कर निर्दोष को जेल भेजने की चार्जशीट तैयार करने वाले जाँच अधिकारी व एस एच ओ तारानगर के खिलाफ चूरू एस पी द्वारा विभागीय जाँच भी शुरू करवाई जाएगी | तारानगर ए डी जे कोर्ट द्वारा पुलिस की ओर से पेश रिहाई प्रार्थना पत्र खारिज किए जाने के खिलाफ दायर रिवीजन याचिका को निस्तारित करते हुए जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की अदालत ने रिपोर्टबल आदेश जारी करते हुए उक्त महत्वपूर्ण आदेश दिए हैं | मामले में एडवोकेट कौशल गौतम ने याचिकाकर्ता अमीचंद की ओर से पैरवी की | इससे पूर्व पुनः जाँच में निर्दोष पाए जाने के बावजूद अमीचंद के रिहाई प्रार्थना पत्र को तारानगर एडीजे अदालत ने इस तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया था कि मामले में पुनः जाँच से पूर्व कोर्ट की अनुमति नहीं ली गई थी |
मामले में जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की अदालत ने की ये महत्वपूर्ण टिप्पणियां :
(1) मूल अधिकारों व कानून के शासन में आमजन के विश्वास के लिए निर्दोष व्यक्ति की स्वतंत्रता सर्वोपरि है
(2) कोर्ट की अनुमति के बिना मामले में पुनर्जांच के तकनीकी बिंदु से हाईकोर्ट नहीं हुआ सहमत
(3) व्यवस्था में आमजन की स्वतंत्रता ही सर्वोच्च संवैधानिक स्तम्भ है,न्यायापालिक का दायित्व है कि वह निर्दोष व्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन ना होने दे
(4) यह मामला केवल गलत जाँच ही नहीं,बल्कि आधिकारिक कर्तव्यपालन के मामले में भी गंभीर अविश्वास पैदा करता है |
गौरतलब है कि मामले की गंभीरता के मद्देनजर पूरे मामले को उजागर करवाने के लिए एडवोकेट हरदीपसिंह की अगवाई में निर्दोष अमीचंद के परिजनों ने 6 जून को एसपी चूरू जय यादव से पुनः जाँच की मांग की थी | एसपी ने आईपीएस निश्चय प्रसाद एम से पुनः जाँच करवाकर पूरे मामले का पटाक्षेप करवाया था |
उक्त आदेश बना न्यायिक नजीर :
पूरे मामले में सक्रिय रूप से पीड़ित दिव्यांग के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे समाजसेवी एडवोकेट हरदीप सिंह सुंदरिया ने हाईकोर्ट के इस रिपोर्टबल आदेश को महत्वपूर्ण न्यायिक नजीर करार दिया है | उन्होंने कहा कि जहाँ 'लीगल-लेकुना' के मद्देनजर स्थानीय तारानगर कोर्ट द्वारा भी पुलिस के उच्च अधिकारियों की जाँच के आधार पर पेश रिहाई प्रार्थना पत्र को ख़ारिज कर दिया गया था,ऐसी स्थिति में कोर्ट ऑफ लॉ द्वारा पारित यह रिपोर्टबल निर्णय भविष्य में न्यायिक नजीर का काम करेगा | पीड़ित निर्दोष आमजन से जुड़े इस चर्चित मामले में पुलिस के उच्च अधिकारियों ने जो निष्पक्ष जाँच करवाई गई तथा हाईकोर्ट द्वारा जो विधिक नजीर स्थापित की गई है वह भविष्य में विभिन्न प्रक्रियागत कानूनी बाधाओं को दूर करेगी |