Edited By Kailash Singh, Updated: 07 Jul, 2025 06:46 PM

राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा से जुड़े बहुचर्चित मारपीट केस को धौलपुर से जयपुर ट्रांसफर करने के आदेश दिए हैं। यह आदेश जस्टिस उमाशंकर व्यास की अदालत ने एईएन हर्षदापति की ओर से दायर क्रिमिनल ट्रांसफर याचिका पर सुनवाई करते हुए...
गिर्राज सिंह मलिंगा केस जयपुर ट्रांसफर: हाईकोर्ट ने माना शक्ति प्रदर्शन, गवाहों की सुरक्षा को प्राथमिकता
राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा से जुड़े बहुचर्चित मारपीट केस को धौलपुर से जयपुर ट्रांसफर करने के आदेश दिए हैं। यह आदेश जस्टिस उमाशंकर व्यास की अदालत ने एईएन हर्षदापति की ओर से दायर क्रिमिनल ट्रांसफर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। याचिका में कहा गया था कि आरोपी बाहुबली है और पीड़ित व गवाहों को धौलपुर में जान का खतरा है, जिससे निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है। अदालत ने माना कि जमानत मिलने के बाद निकाले गए जुलूस से आरोपी द्वारा शक्ति प्रदर्शन का संकेत मिलता है और साथ ही पूर्व विधायक के खिलाफ लोक सेवकों के साथ मारपीट के अन्य मामले भी दर्ज हैं। इस आधार पर कोर्ट ने प्रकरण को धौलपुर एससी-एसटी कोर्ट से जयपुर एससी-एसटी कोर्ट में ट्रांसफर करने के आदेश पारित किए। हाईकोर्ट ने जयपुर पुलिस कमिश्नर को सुनवाई के दौरान सुरक्षा के विशेष प्रबंध करने और धौलपुर एसपी को गवाहों को समन और नोटिस तामील कराने में सहयोग करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही केस ऑफिसर्स स्कीम के तहत एक एसआई और दो एएसआई को केस के लिए नियुक्त करने के निर्देश भी दिए गए हैं, जो ट्रायल कोर्ट को आवश्यक सहयोग देंगे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि ट्रायल कोर्ट को केस की सुनवाई समयबद्ध तरीके से पूरी करनी होगी। गौरतलब है कि गिर्राज सिंह मलिंगा फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जमानत पर बाहर हैं। पहले उन्हें हाईकोर्ट ने मई 2022 में कोविड परिस्थितियों के चलते जमानत दी थी, लेकिन जुलूस निकालने पर यह जमानत जुलाई 2023 में रद्द कर दी गई थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए उन्हें राहत प्रदान की। यह मामला 28 मार्च 2022 का है जब धौलपुर के बाड़ी स्थित डिस्कॉम कार्यालय में एईएन हर्षदापति और जेईएन नितिन गुलाटी के साथ मारपीट की गई थी। पीड़ित अधिकारी की रिपोर्ट पर मलिंगा सहित अन्य पर नामजद मामला दर्ज हुआ था, जिसमें एससी-एसटी एक्ट सहित अन्य धाराएं शामिल की गई थीं। घटना के बाद पूरे राज्यभर में विद्युत कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया था और तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलने के बाद मलिंगा ने सरेंडर किया था।