राजस्थान मंत्रिमंडल विस्तार की आहट: भजनलाल सरकार में नई सियासी गहमागहमी

Edited By Chandra Prakash, Updated: 22 Aug, 2025 03:41 PM

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राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार के गठन को 1 वर्ष से ऊपर हो चुके हैं और अब प्रदेश की सियासी फिज़ा में मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट तेज़ हो गई है। चर्चा है कि बहुत जल्द राजस्थान कैबिनेट में छह नए...

जयपुर, 22 अगस्त 2025 । राजस्थान  की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार के गठन को 1 वर्ष से ऊपर हो  चुके हैं और अब प्रदेश की सियासी फिज़ा में मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट तेज़ हो गई है। चर्चा है कि बहुत जल्द राजस्थान कैबिनेट में छह नए चेहरों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है।राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सदस्य हैं। भारतीय संविधान के अनुसार किसी भी राज्य में मंत्रियों की संख्या विधानसभा के कुल सदस्यों की 15% से अधिक नहीं हो सकती। इस लिहाज़ से राजस्थान में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं। वर्तमान में भजनलाल सरकार में 24 मंत्री हैं। यानी 6 पद अभी खाली पड़े हैं, जिन्हें कभी भी भरा जा सकता है। यही वजह है कि राजनीतिक गलियारों में हर तरफ "कौन बनेगा मंत्री" का सवाल गूंज रहा है।

दिल्ली दौरों से बढ़ी अटकलें
बीते कुछ हफ्तों से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा दिल्ली के लगातार दौरे कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, पिछले 23 दिनों में वे तीन बार दिल्ली पहुंचे हैं और पार्टी हाईकमान से मुलाकात की है। इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सक्रियता भी बढ़ गई है। उन्होंने हाल के दिनों में कई वरिष्ठ नेताओं और संगठन पदाधिकारियों से चर्चा की है। माना जा रहा है कि इन बैठकों के बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार पर अंतिम मुहर लग सकती है।दिल्ली दौरे यह इशारा करते हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार पर फैसला सिर्फ जयपुर में नहीं बल्कि दिल्ली दरबार में तय होगा। यानी प्रदेश की राजनीति का संतुलन साधने के लिए केंद्रीय नेतृत्व अपनी भूमिका निभा रहा है।भजनलाल शर्मा भले ही नए मुख्यमंत्री हैं, लेकिन राजस्थान भाजपा की राजनीति में वसुंधरा राजे का कद अब भी बड़ा है। वे दो बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और पार्टी संगठन में उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में उनके समर्थकों को भी जगह मिल सकती है। हालांकि, पार्टी हाईकमान संतुलन साधने की कोशिश करेगा ताकि सरकार भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में ही मज़बूत दिखे और भीतरखाने की गुटबाज़ी बाहर न आए।हालांकि आधिकारिक तौर पर किसी का नाम सामने नहीं आया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में कई नेताओं के नाम चर्चा में हैं। इनमें ऐसे विधायक शामिल हैं जिनका जातीय और क्षेत्रीय प्रभाव ज़्यादा है या जिन्होंने चुनाव में पार्टी को निर्णायक समर्थन दिलाया।

संवैधानिक और राजनीतिक समीकरण
संविधान कहता है कि राजस्थान में मंत्रियों की संख्या 30 से अधिक नहीं हो सकती। मौजूदा स्थिति में 24 मंत्री शपथ ले चुके हैं। ऐसे में साफ है कि विस्तार की गुंजाइश है। लेकिन यह सिर्फ संवैधानिक बाध्यता नहीं है, बल्कि राजनीतिक मजबूरी भी है।भाजपा को राजस्थान में प्रचंड बहुमत जरूर मिला, लेकिन कई क्षेत्रीय और जातीय समीकरण अब भी साधने बाकी हैं। मंत्रिमंडल विस्तार इन्हीं समीकरणों को संतुलित करने का एक अवसर माना जा रहा है

जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने की चुनौती
राजस्थान जैसे बड़े और विविधतापूर्ण राज्य में किसी भी सरकार के लिए मंत्रिमंडल विस्तार सबसे कठिन काम होता है। यहां जातीय समीकरण बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। 
राजपूत और जाट समुदाय: दोनों ही बड़े वोट बैंक हैं। मंत्रिमंडल में इनकी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना सरकार की मजबूरी है।
गुर्जर और मीणा समुदाय: भाजपा को चुनाव में इन समुदायों से अच्छा समर्थन मिला। अब इनकी हिस्सेदारी तय करना अहम होगा।
दलित और ओबीसी: भाजपा अपने "सबका साथ, सबका विकास" एजेंडे को मजबूत करने के लिए इन वर्गों को भी मंत्रिमंडल में वरीयता दे सकती है।
क्षेत्रीय संतुलन: राजस्थान के हर इलाके—मरुस्थल, मेवाड़, मारवाड़, हाड़ौती, शेखावाटी और मेवात—को समान प्रतिनिधित्व देना जरूरी होगा।

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