Edited By Chandra Prakash, Updated: 30 Oct, 2024 07:40 PM
राजस्थान के दौसा जिले में उपचुनाव की सरगर्मियां तेजी से बढ़ रही हैं, जहां कांग्रेस और भाजपा के नेता जनता के बीच जाकर अपने-अपने प्रत्याशियों के लिए समर्थन जुटाने में जुटे हैं। इस चुनाव में, राजनीति का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है, जिसमें स्थानीय...
जयपुर, 30 अक्टूबर 2024 । राजस्थान के दौसा जिले में उपचुनाव की सरगर्मियां तेजी से बढ़ रही हैं, जहां कांग्रेस और भाजपा के नेता जनता के बीच जाकर अपने-अपने प्रत्याशियों के लिए समर्थन जुटाने में जुटे हैं। इस चुनाव में, राजनीति का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है, जिसमें स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ नेताओं की व्यक्तिगत लोकप्रियता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
दौसा उपचुनाव में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, राजनीतिक गतिविधियां तेज़ होती जा रही हैं। कांग्रेस और भाजपा के नेताओं का पूरा ध्यान इस चुनावी मैदान पर टिका हुआ है, जहां एक बार फिर किरोड़ी लाल मीणा के परिवार की लोकप्रियता भाजपा के लिए ट्रम्प कार्ड बन सकती है।
किरोड़ी लाल मीणा की लोकप्रियता और भाजपा की रणनीति
राजस्थान सरकार के मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने दौसा में गुर्जर समाज के सम्मेलन में किरोड़ी लाल मीणा की जमकर तारीफ की, यह कहते हुए कि उनकी पहचान गरीबों और जरूरतमंदों के मददगार के रूप में रही है। यह बयान न केवल भाजपा के लिए समर्थन बढ़ाने की कोशिश है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि भाजपा किरोड़ी लाल मीणा की छवि को अपने पक्ष में भुनाने की योजना में है। बेढम का मानना है कि जनता का विश्वास मीणा परिवार पर बना हुआ है, जिससे उनके परिवार से किसी भी प्रत्याशी को स्वाभाविक समर्थन मिलने की संभावना है।
भाजपा की ओर से जगमोहन मीणा की दावेदारी
भाजपा ने इस उपचुनाव में डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को मैदान में उतारा है। जगमोहन का प्रशासनिक अनुभव और आरएएस अधिकारी के तौर पर काम उन्हें एक सशक्त उम्मीदवार बनाता है। उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर अपने भाई के साथ काम करना शुरू किया, जो कि भाजपा के मजबूत गढ़ को और मजबूत करने का संकेत माना जा रहा है। किरोड़ी लाल मीणा के परिवार की लोकप्रियता और जगमोहन का अनुभव भाजपा के लिए इस उपचुनाव में एक बड़ा फायदा साबित हो सकता है।
कांग्रेस की रणनीति और स्थानीय मुद्दो को उभारने की कोशिश
दूसरी तरफ, कांग्रेस ने भी पूरी ताकत के साथ मैदान में डटी हुई है। कांग्रेस सांसद मुरारी लाल मीणा और कई बड़े नेता लगातार जनसभाएं और संपर्क अभियान चला रहे हैं, जिससे भाजपा को कड़ी टक्कर दी जा सके। कांग्रेस की कोशिश है कि वे भाजपा की बढ़त को कम कर सकें और क्षेत्र में अपने प्रत्याशी के समर्थन को मजबूत कर सकें। कांग्रेस की ओर से स्थानीय मुद्दों को उभारने की कोशिश की जा रही है ताकि वोटरों का झुकाव उनके प्रत्याशी की ओर हो सके।
दौसा उप-चुनाव में सीधा मुकाबला और जनता का रुख
दौसा उपचुनाव कांग्रेस और भाजपा के बीच एक सीधे मुकाबले में तब्दील हो चुका है। एक तरफ किरोड़ी लाल मीणा का परिवारिक प्रभाव भाजपा के पक्ष में है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता क्षेत्रीय मुद्दों को उठाकर जनता से समर्थन मांग रहे हैं। दोनों पार्टियों के बीच का यह संघर्ष, दौसा उपचुनाव को राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण और रोमांचक बना रहा है।
इस उपचुनाव में जनता का रुख और नेताओं की रणनीतियों का परिणाम महत्वपूर्ण होगा। दौसा का यह चुनाव सिर्फ राजनीतिक महत्व का नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र की भावनाओं और आकांक्षाओं का भी प्रतीक है। देखना यह होगा कि इस राजनीतिक महासंग्राम में जनता किसका साथ देती है और कौन सा दल जीत हासिल करता है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, राजनीतिक सरगर्मियों में बढ़ोतरी जारी है, और यह निश्चित है कि दौसा की जनता के मन में एक मजबूत विचारधारा तैयार हो रही है।