Edited By Raunak Pareek, Updated: 07 Dec, 2024 10:32 AM
बेनीवाल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए किरोड़ी का समर्थन किया और सरकार से सवाल किया, "जयपुर के महेश नगर थाने के रोजनामचे में राजस्थान सरकार के वरिष्ठ मंत्री डॉक्टर किरोड़ी लाल के खिलाफ राजकार्य में बाधा का मामला किसके कहने पर दर्ज किया गया?"
SI Paper Leak Case - एसआई पेपर लीक मामले में राजस्थान में भर्ती परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे छात्रों के समर्थन में कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीना के साथ हनुमान बेनीवाल भी खड़े हुए हैं। बेनीवाल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए किरोड़ी का समर्थन किया और सरकार से सवाल किया, "जयपुर के महेश नगर थाने के रोजनामचे में राजस्थान सरकार के वरिष्ठ मंत्री डॉक्टर किरोड़ी लाल के खिलाफ राजकार्य में बाधा का मामला किसके कहने पर दर्ज किया गया?"
दरअसल, एसआई परीक्षा के परीक्षार्थियों के घर देर रात सीआई कविता शर्मा पाबंद करने के लिए पहुंचीं। जब मंत्री किरोड़ी लाल मीना को इस बारे में जानकारी मिली, तो वे भी मौके पर पहुंचे और सीआई की देर रात की कार्रवाई पर आपत्ति जताई। इसके बाद सीआई कविता शर्मा ने पुलिस रोजनामचे में किरोड़ी लाल मीना के खिलाफ राजकार्य में बाधा का मामला दर्ज किया। इस पूरे घटनाक्रम पर मंत्री किरोड़ी लाल ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता आयोजित की।
किरोड़ी लाल के खिलाफ किसके कहने पर दर्ज हुआ मामला
हनुमान बेनीवाल ने किरोड़ी लाल मीना के समर्थन में सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, "मैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा से सवाल पूछता हूं कि जयपुर के महेश नगर थाने के रोजनामचे में राजस्थान सरकार के वरिष्ठ मंत्री डॉक्टर किरोड़ी लाल के खिलाफ राजकार्य में बाधा का मामला किसके निर्देश पर दर्ज किया गया? एसआई भर्ती परीक्षा के पेपर लीक का प्रमाण राज्य की प्रमुख जांच एजेंसी एसओजी पहले ही पेश कर चुकी है। ऐसे में, मंत्री किरोड़ी लाल द्वारा भर्ती को रद्द करने की मांग करने वाले छात्रों को पुलिस द्वारा जबरन उठाने के मामले में पुलिस से जानकारी लेने पर कौन सा राजकार्य बाधित हुआ?"
भाजपा बेरोजगारी के मुद्दे पर दोगलापन कर रही
उन्होंने आगे कहा, "एक मंत्री का यह बयान कि ‘सरकार मेरी है, तो क्या मैं अन्याय सहन करूंगा?’ यह साबित करता है कि राजस्थान की भाजपा सरकार बेरोजगारी जैसे संवेदनशील मुद्दों पर दोगला रवैया अपना रही है। यह स्थिति भाजपा की कथनी और करनी के बीच स्पष्ट अंतर को दिखाती है, क्योंकि एसओजी, पुलिस मुख्यालय और एडवोकेट जनरल ने इस भर्ती को रद्द करने की सिफारिश की है, फिर भी सरकार चुप्प है।"