Edited By Sourabh Dubey, Updated: 11 Jul, 2025 07:49 PM

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कक्षा 12वीं की इतिहास पुस्तक ‘आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत’ को लेकर मचे राजनीतिक विवाद के बीच सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।
जयपुर। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कक्षा 12वीं की इतिहास पुस्तक ‘आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत’ को लेकर मचे राजनीतिक विवाद के बीच सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। पुस्तक में कांग्रेस नेताओं के कथित गुणगान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योगदान की अनदेखी को लेकर मचे बवाल के बाद बोर्ड के सीनियर असिस्टेंट डायरेक्टर दिनेश कुमार ओझा को एपीओ कर शिक्षा निदेशालय, बीकानेर भेज दिया गया है।
विवाद की जड़: क्या है पुस्तक में?
इस पुस्तक में जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह जैसे पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान पर विस्तृत विवरण है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले 11 वर्षों के शासनकाल का कोई उल्लेख नहीं किया गया। इसे लेकर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने नाराजगी जताई और कहा, "पैसे बर्बाद हो जाएं, लेकिन बच्चों को झूठ नहीं पढ़ाया जाएगा।"
80% किताबें पहुंच चुकी थीं स्कूलों में
नए सत्र 2025 के लिए राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल ने 4.90 लाख किताबें छपवाई थीं, जिनमें से 80% से ज्यादा स्कूलों तक पहुंच चुकी थीं। लेकिन अब इन किताबों के वितरण पर रोक लगाते हुए उन्हें वापस लेने का आदेश दिया गया है। विपक्ष ने इस निर्णय को ‘शिक्षा में वैचारिक हस्तक्षेप’ करार दिया है।
बोर्ड अधिकारी का पक्ष
दिनेश कुमार ओझा ने कहा कि यह पुस्तक सरकारी अनुमति से छपी थी और 2026–27 में सिलेबस संशोधन प्रस्तावित है। उन्होंने कार्रवाई को अनुचित बताते हुए निराशा जताई, लेकिन विस्तार से कुछ कहने से इनकार कर दिया।
बोर्ड सचिव कैलाश चंद्र शर्मा ने पुष्टि की कि ओझा का स्थानांतरण शिक्षा निदेशालय, बीकानेर किया गया है। गौरतलब है कि डेढ़ माह पहले बोर्ड के एकेडमिक निदेशक राकेश स्वामी को भी एपीओ किया जा चुका है।
कांग्रेस का पलटवार
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने इस कदम को ‘शिक्षा पर वैचारिक प्रहार’ बताया। उन्होंने कहा, "नेहरू, इंदिरा, राजीव और मनमोहन सिंह का योगदान इतिहास से नहीं मिटाया जा सकता। क्या सरकार बच्चों से सच्चाई छिपाना चाहती है?"
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा, "इतिहास को किताब से हटाकर नहीं बदला जा सकता।"