Edited By Chandra Prakash, Updated: 16 Aug, 2025 03:10 PM

राजस्थान भाजपा में संगठनात्मक स्तर पर गुटबाजी और खींचतान एक बार फिर सुर्खियों में है। प्रदेशाध्यक्ष बने एक साल पूरा हो चुका है, लेकिन अब तक पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी की टीम पूरी तरह से नहीं बन पाई है। बीते महीनों में दो बार कार्यकारिणी की सूची...
जयपुर, 16 अगस्त 2025। राजस्थान भाजपा में संगठनात्मक स्तर पर गुटबाजी और खींचतान एक बार फिर सुर्खियों में है। प्रदेशाध्यक्ष बने एक साल पूरा हो चुका है, लेकिन अब तक पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी की टीम पूरी तरह से नहीं बन पाई है। बीते महीनों में दो बार कार्यकारिणी की सूची जारी हुई, लेकिन दोनों बार पार्टी नेतृत्व ने उसे “गलती” बताते हुए वापस ले लिया। इस स्थिति ने संगठन की मजबूती पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
गुटबाजी और दबाव की राजनीति
भाजपा ने विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में संगठन को नई ऊर्जा देने के लिए नए प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति की थी। उम्मीद थी कि वे संतुलित टीम बनाकर सभी गुटों को साथ लाएँगे, लेकिन अब तक टीम बनाने में सफलता नहीं मिली। कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा है कि प्रदेशाध्यक्ष स्वतंत्र निर्णय लेने की स्थिति में नहीं हैं। दिल्ली नेतृत्व, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे गुट, केंद्रीय मंत्री और स्थानीय नेताओं के बीच अपने-अपने समर्थकों को जगह दिलाने की खींचतान जारी है।
दो कार्यकारिणी, दो गलतियाँ
बीते महीनों में भाजपा ने दो बार कार्यकारिणी सूची जारी की। पहली सूची में कई ऐसे नाम शामिल थे जिन्हें मंजूरी नहीं मिली थी। दूसरी सूची में भी संतुलन साधने में नाकामी रही, जिसके चलते केंद्रीय नेतृत्व ने उसे भी वापस ले लिया। इन घटनाओं से यह साफ हो गया कि प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व के बीच तालमेल की कमी बनी हुई है।
विपक्ष का हमला
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भाजपा की इस स्थिति को मुद्दा बनाया है। उनका कहना है कि भाजपा सरकार चला सकती है, लेकिन संगठन को संभाल नहीं पा रही। विपक्ष का तर्क है कि प्रदेश में नेतृत्व स्पष्ट नहीं है और संगठन की दिशा तय करने में भाजपा नाकाम साबित हो रही है।
कार्यकर्ताओं में असमंजस
कार्यकारिणी का गठन न होने से कई जिलों और मंडलों में संगठनात्मक गतिविधियाँ प्रभावित हो रही हैं। कार्यकर्ताओं को यह समझ नहीं आ रहा कि उनके मुद्दे किसके सामने रखें। वहीं बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करने का लक्ष्य भी फिलहाल अधर में लटका हुआ है।
आगे क्या?
सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि संगठन में नए और युवा चेहरों को शामिल किया जाए, जबकि वसुंधरा गुट पुराने और अनुभवी कार्यकर्ताओं को ज्यादा प्रतिनिधित्व देने की मांग कर रहा है। इसी खींचतान की वजह से अब तक सूची पर सहमति नहीं बन पाई। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में दिल्ली से सीधे हस्तक्षेप कर एक संतुलित कार्यकारिणी घोषित की जा सकती है।