Edited By Payal Choudhary, Updated: 20 Dec, 2025 06:20 PM

राजस्थान विधानसभा में शनिवार को पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरिराज प्रसाद तिवाड़ी की जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान विधानसभा परिसर में उन्हें पुष्पांजलि अर्पित कर उनके संसदीय योगदान, निष्पक्ष आचरण और लोकतांत्रिक...
राजस्थान विधानसभा में शनिवार को पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरिराज प्रसाद तिवाड़ी की जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान विधानसभा परिसर में उन्हें पुष्पांजलि अर्पित कर उनके संसदीय योगदान, निष्पक्ष आचरण और लोकतांत्रिक परंपराओं के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भावपूर्ण शब्दों में याद किया गया।
अध्यक्ष के रूप में स्थापित की लोकतांत्रिक परंपराओं की मिसाल
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अपने संबोधन में कहा कि स्वर्गीय गिरिराज प्रसाद तिवाड़ी ने 31 जनवरी 1986 से 11 मार्च 1990 तक विधानसभा अध्यक्ष के रूप में रहते हुए सदन की गरिमा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। उनके कार्यकाल में संसदीय मर्यादाओं, निष्पक्षता और लोकतांत्रिक मूल्यों की ऐसी सुदृढ़ परंपरा विकसित हुई, जो आज भी मार्गदर्शक के रूप में देखी जाती है।
उन्होंने कहा कि तिवाड़ी का नेतृत्व संतुलित निर्णयों, सभी पक्षों को सुनने की परंपरा और संवैधानिक मर्यादाओं के पालन के लिए सदैव स्मरणीय रहेगा।
सरल व्यक्तित्व, कुशल नेतृत्व और संवैधानिक गरिमा
विधानसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि स्वर्गीय तिवाड़ी अपने सरल व्यक्तित्व और शालीन व्यवहार के कारण सदन के सभी सदस्यों में सम्मानित थे। उन्होंने अध्यक्ष पद की गरिमा को बनाए रखते हुए लोकतंत्र को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। उनका जीवन सार्वजनिक सेवा, अनुशासन और संवैधानिक मूल्यों के प्रति समर्पण का उदाहरण है।
परिजनों और अधिकारियों की उपस्थिति में दी गई श्रद्धांजलि
श्रद्धांजलि कार्यक्रम के अवसर पर विधानसभा के उप निदेशक डॉ. लोकेश चंद्र शर्मा सहित विधानसभा के वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे। स्वर्गीय तिवाड़ी के परिजन—श्रीमती संतोष कुमारी तिवारी, श्री पंकज तिवारी, श्रीमती ज्योति तिवारी और श्री यश राजन तिवारी—भी इस अवसर पर मौजूद रहे। सभी ने पुष्पांजलि अर्पित कर दिवंगत नेता के प्रति अपने सम्मान और कृतज्ञता भाव व्यक्त किए।
उल्लेखनीय योगदान को किया गया नमन
गौरतलब है कि स्वर्गीय गिरिराज प्रसाद तिवाड़ी का इसी वर्ष 3 अक्टूबर को निधन हुआ था। उनकी जयंती पर आयोजित यह श्रद्धांजलि कार्यक्रम उनके द्वारा स्थापित संसदीय आदर्शों और लोकतांत्रिक मूल्यों को पुनः स्मरण कराने का अवसर बना। विधानसभा ने एक स्वर में उनके अतुलनीय योगदान को नमन करते हुए कहा कि उनका मार्गदर्शन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा।