3th Grade शिक्षकों के नहीं होंगे तबादले, बना हुआ सस्पेंस!, सरकार से पूछ रहे सवाल

Edited By Raunak Pareek, Updated: 13 Jun, 2025 08:33 PM

3rd grade teachers will not be transferred suspense remains

राजस्थान में सरकारी स्कूल शिक्षकों के तबादलों को लेकर शिक्षा विभाग की कवायद शुरू हो चुकी है। विधायकों से तबादलों के लिए नाम मांगे गए हैं, लेकिन थर्ड ग्रेड शिक्षकों को सूची से बाहर रखा गया है। जानिए क्या है पूरा मामला, क्यों मचा बवाल और शिक्षा मंत्री...

जयपुर। राजस्थान में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के तबादलों को लेकर एक बार फिर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सरकार की ओर से तबादलों पर से आधिकारिक रूप से प्रतिबंध नहीं हटाया गया है, लेकिन शिक्षा विभाग ने कई श्रेणियों के कर्मचारियों के तबादलों की तैयारियां शुरू कर दी हैं। खास बात यह है कि तृतीय श्रेणी (Third Grade) के शिक्षकों को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया है, जिससे उनमें जबरदस्त नाराजगी देखी जा रही है।

सूत्रों के अनुसार, शिक्षा विभाग ने भाजपा विधायकों को एक विशेष प्रोफॉर्मा भेजा है, जिसमें प्राचार्य, उप प्राचार्य, व्याख्याता, द्वितीय श्रेणी शिक्षक, कनिष्ठ लिपिक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के तबादलों के लिए 70-70 नाम मांगे गए हैं। ये नाम सीधे शिक्षा मंत्री को ईमेल के माध्यम से भेजने को कहा गया है।

वहीं करौली जिले के सपोटरा विधायक हंसराज बालौती ने सोशल मीडिया के जरिए तृतीय श्रेणी शिक्षकों को छोड़कर अन्य सभी ग्रेड के तबादलों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल उन्हीं कर्मचारियों के आवेदन स्वीकार किए जाएंगे जो सपोटरा विधानसभा में स्थानांतरण के इच्छुक हैं।

किसे नहीं मिलेगा तबादले का मौका?

·         जिनकी नियुक्ति को 2 साल पूरे नहीं हुए

·         संविदा कर्मी व प्रबोधक

·         गंभीर बीमारी जैसे कैंसर, किडनी, नेत्रहीनता से ग्रसित

·         एक वर्ष में सेवानिवृत्त होने वाले

हालांकि, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने तबादला प्रोफॉर्मा को फर्जी बताया है और स्पष्ट किया है कि सरकार की ओर से कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। बावजूद इसके विभागीय स्तर पर जो गतिविधियां हो रही हैं, उनसे साफ है कि तबादलों को लेकर कोई न कोई कवायद जरूर चल रही है।राज्य में करीब 4 लाख शिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें से लगभग एक लाख पद अभी भी खाली हैं। ऐसे में थर्ड ग्रेड शिक्षकों को तबादले से बाहर रखने का फैसला न केवल विरोधाभासी है, बल्कि इससे शिक्षक समुदाय में नाराजगी भी बढ़ी है।

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