Edited By Chandra Prakash, Updated: 29 Jul, 2025 03:38 PM

राजस्थान में सरकारी स्कूलों की खस्ता हालत एक बार फिर जानलेवा साबित हुई है। झालावाड़ हादसे की आग ठंडी भी नहीं हुई थी कि जैसलमेर के पूनमनगर गांव से एक और दर्दनाक हादसे की खबर सामने आई। यहां एक सरकारी स्कूल के मुख्य द्वार का जर्जर खंभा गिरने से एक...
जयपुर, 29 जुलाई 2025। राजस्थान में सरकारी स्कूलों की खस्ता हालत एक बार फिर जानलेवा साबित हुई है। झालावाड़ हादसे की आग ठंडी भी नहीं हुई थी कि जैसलमेर के पूनमनगर गांव से एक और दर्दनाक हादसे की खबर सामने आई। यहां एक सरकारी स्कूल के मुख्य द्वार का जर्जर खंभा गिरने से एक मासूम छात्र की मौके पर मौत हो गई, जबकि एक शिक्षक गंभीर रूप से घायल हो गया। इस हादसे ने फिर से प्रदेश की सरकारी शिक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
विधायक भाटी बोले — यह सिस्टम की हत्या है, हादसा नहीं
शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने इस हादसे को लेकर सरकार पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया पर जारी अपने वीडियो संदेश में कहा, "झालावाड़ की चिताएं अभी ठंडी नहीं हुई थीं कि जैसलमेर में फिर एक मासूम की जान गई। यह प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि सिस्टम की हत्या है।"
भाटी ने शिक्षा मंत्री से अपील करते हुए कहा कि वे सिर्फ रिपोर्ट पढ़कर न बैठें, बल्कि खुद ग्रामीण इलाकों के स्कूलों का निरीक्षण करें। उन्होंने चेताया कि अगर ऐसे हादसे लगातार होते रहे, तो सरकारी शिक्षा तंत्र पूरी तरह से "लैप्स" हो जाएगा।
सांसद राजकुमार रोत ने उठाया सवाल — कब थमेगा ये सिलसिला?
डूंगरपुर-बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने भी हादसे के बाद सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा: "झालावाड़ हादसे के 3-4 दिन बाद ही जैसलमेर में एक और मौत! आखिर कब थमेगा ये मौतों का सिलसिला? क्या डबल इंजन सरकार को स्कूलों की सुध नहीं?"
हनुमान बेनीवाल बोले — पिलर 3 साल से जर्जर था, फिर क्यों नहीं हुई मरम्मत?
नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस हादसे को प्रशासनिक लापरवाही करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा: "स्कूल का पिलर 3 साल से जर्जर था। फिर भी मरम्मत नहीं हुई, यह सीधी-सीधी लापरवाही है। अब समय है कि सरकार बयानबाज़ी से ऊपर उठकर ज़मीनी जिम्मेदारी निभाए।"
क्या अब भी जागेगा सिस्टम?
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं अपनी जगह हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार अब भी जागेगी? एक के बाद एक हो रहे इन हादसों ने सरकारी स्कूलों की इमारती सुरक्षा, निगरानी तंत्र, और नियमित मरम्मत व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या इन हादसों के बाद कोई ठोस, ज़मीनी और जवाबदेह कदम उठाए जाएंगे या फिर सिस्टम एक बार फिर "शोक" प्रकट कर पल्ला झाड़ लेगा?