गहलोत का मोदी सरकार पर तीखा वार: "धनखड़ का इस्तीफा अदृश्य दबाव का परिणाम", लोकतंत्र पर सवाल

Edited By Sourabh Dubey, Updated: 23 Jul, 2025 08:14 PM

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार और बीजेपी पर बड़ा हमला बोला है। गहलोत ने कहा कि जब धनखड़ हाल ही में कह रहे थे कि वो 2027 तक पद पर बने रहेंगे, तो अचानक इस्तीफे की वजह क्या है?

जयपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार और बीजेपी पर बड़ा हमला बोला है। गहलोत ने कहा कि जब धनखड़ हाल ही में कह रहे थे कि वो 2027 तक पद पर बने रहेंगे, तो अचानक इस्तीफे की वजह क्या है? गहलोत ने इसे “अदृश्य दबाव” का नतीजा बताया जिसकी पुष्टि सिर्फ धनखड़ या उनकी अंतरात्मा ही कर सकती है।

गहलोत ने कांग्रेस मुख्यालय में परसराम मदेरणा की जयंती पर श्रद्धांजलि देने के बाद मीडिया से बातचीत में यह बयान दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह घटनाक्रम देश में लोकतंत्र के कमजोर होने का संकेत है। गहलोत ने इससे पहले भी लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति के कामकाज को दबावयुक्त बताया था।

इसके साथ ही उन्होंने चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाए, यह कहते हुए कि जब खुद आयोग वोटर लिस्ट से नाम हटाएगा तो लोकतंत्र कैसे बचेगा? गहलोत ने बिहार और महाराष्ट्र की घटनाओं का जिक्र करते हुए जांच एजेंसियों के दुरुपयोग की भी बात की।

गहलोत ने कहा कि केवल राजनीतिक दलों से कुछ नहीं होगा, जनता को भी आगे आना होगा। उन्होंने दावा किया कि धनखड़ का इस्तीफा विपक्ष के नेता खड़गे को बोलने का मौका मिलने पर पैदा हुए दबाव का नतीजा है। कांग्रेस ने इस प्रक्रिया की आलोचना करते हुए कहा है कि संवैधानिक पदों की गरिमा को ठेस पहुंची है।

उन्होंने सीपी जोशी और परसराम मदेरणा को निष्पक्ष स्पीकर के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया और कहा कि स्पीकर का झुकाव किसी भी पार्टी की ओर नहीं होना चाहिए।

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