संस्कृत शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में हुआ चयन, 7 अगस्त को होगा राज्य स्तरीय संस्कृत विद्वत सम्मान समारोह

Edited By Sourabh Dubey, Updated: 23 Jul, 2025 08:23 PM

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संस्कृत शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की अध्यक्षता में सोमवार को आयोजित बैठक में आगामी राज्य स्तरीय संस्कृत विद्वत सम्मान समारोह में पुरस्कृत होने वाली विभूतियों के नाम तय किए गए। समारोह 7 अगस्त को आयोजित किया जाएगा।

जयपुर। संस्कृत शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की अध्यक्षता में सोमवार को आयोजित बैठक में आगामी राज्य स्तरीय संस्कृत विद्वत सम्मान समारोह में पुरस्कृत होने वाली विभूतियों के नाम तय किए गए। समारोह 7 अगस्त को आयोजित किया जाएगा।

इस वर्ष संस्कृत साधना शिखर सम्मान के लिए चित्तौड़गढ़ निवासी विद्वान श्री कैलाश चंद्र मूंदड़ा का चयन किया गया है। उन्हें एक लाख रुपये की राशि, प्रशस्ति पत्र और शॉल के साथ सम्मानित किया जाएगा।

अन्य सम्मान इस प्रकार रहेंगे:

  • संस्कृत साधना सम्मान (₹51,000 each):

  • संस्कृत विद्वत सम्मान (₹31,000 each):

    • डॉ. भगवतीलाल सुखवाल (उदयपुर)

    • डॉ. नाथूलाल सुमन (जयपुर)

    • डॉ. लता श्रीमाली (जयपुर)

    • चंद्रशेखर शर्मा (टोंक)

    • मनीषी लालस (जयपुर)

    • डॉ. कौशल तिवारी (बारां)

    • डॉ. फिरोज (जयपुर)

  • संस्कृत युवा प्रतिभा सम्मान (₹21,000 each):
    कुल 11 युवा विद्वान सम्मानित होंगे, जिनमें डॉ. प्रियंका खंडेलवाल (बारां), नाथू सिंह मीणा (जयपुर), मूलचंद महावार (सवाई माधोपुर), डॉ. कानाराम जाट (जयपुर), डॉ. पंकज मरमठ (उदयपुर), डॉ. श्याम सुंदर पारीक (टोंक), डॉ. रतन सिंह शेखावत (झुंझुनूं), डॉ. आराधना व्यास (जयपुर), अग्निमित्र शास्त्री (कोटा), स्वामी राजेंद्र पुरी (जोधपुर) और डॉ. पंकज शर्मा (जयपुर) शामिल हैं।

  • मंत्रालयिक सेवा सम्मान (₹11,000 each):

    • चंद्रशेखर पारीक (जयपुर)

    • शैलेंद्र पाटीदार (उदयपुर)

समिति में शामिल रहे ये सदस्य:

बैठक में विधायक गोपाल शर्मा, संयुक्त शासन सचिव कैलाश चंद्र यादव, संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. ज्योत्स्ना वशिष्ठ, डॉ. विनोद कुमार शर्मा, प्राचार्य हजारीलाल बैरवा, प्रो. शालिनी सक्सेना, संयुक्त निदेशक डॉ. जितेंद्र अग्रवाल और आयुक्त प्रियंका जोधावत मौजूद रहे।

कैलाश चंद्र मूंदड़ा का संक्षिप्त परिचय

चित्तौड़गढ़ निवासी कैलाश चंद्र मूंदड़ा संस्कृत के प्रख्यात विद्वान हैं। वर्ष 2002 में उन्होंने श्री कल्लाजी वेदपीठ एवं शोध संस्थान की स्थापना की और 2018 में श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय की। वे भारतीय संस्कृति और वेद-निष्ठा के प्रचार-प्रसार में निरंतर सक्रिय हैं। साथ ही, वे अपनी गौशाला में 400 गौवंश की सेवा भी कर रहे हैं। उन्हें 2025 में "विद्वत रत्न सम्मान" भी मिल चुका है।

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