Edited By Raunak Pareek, Updated: 27 Nov, 2024 08:02 PM
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 113 दिनों बाद भाजपा मुख्यालय में उपस्थिति दर्ज कराते हुए जीते हुए उम्मीदवारों को बधाई दी। उनकी इस पहल और X पर बढ़ती सक्रियता ने सियासी गलियारों में चर्चाओं को तेज कर दिया है। विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी...
राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम चर्चा में है। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा उपचुनावों में भाजपा ने 7 में से 5 सीटें जीतकर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। इसी बीच वसुंधरा राजे का 113 दिन बाद अचानक भाजपा मुख्यालय में आना और सोशल मीडिया पर सक्रियता दिखाना, सियासी गलियारों में हलचल का कारण बन गया है।
राजे का बीजेपी मुख्यालय पहुंचना और 15 मिनट की उपस्थिति
भाजपा मुख्यालय में राजे ने जीते हुए उम्मीदवारों को बधाई दी और मात्र 15 मिनट में ही वहां से रवाना हो गईं। उनके इस कदम ने राजनीतिक विशेषज्ञों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। उनकी उपस्थिति के दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ और पार्टी प्रभारी राधा मोहन मुख्यालय में नहीं थे। इसने कयासों को और हवा दी कि राजे का पार्टी से मौजूदा संबंध किस ओर इशारा कर रहा है
सोशल मीडिया पर पोस्ट और शायरी से चर्चा तेज
उपचुनाव के दौरान वसुंधरा राजे की एक तस्वीर और एक शायरी ने राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ा दी। राजे ने लिखा,
“बादल कुछ देर तो सूरज को अदृश्य कर सकते हैं, पर सूर्य की दमक को रोकने का सामर्थ्य उनमें नहीं ...”।
इस शायरी को उनके विरोधियों पर निशाना और उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा का प्रतीक माना जा रहा है।
कई सवाल खड़े कर रही है अचानक सक्रियता वसुंधरा राजे लंबे समय से पार्टी गतिविधियों से दूर थीं। विधानसभा चुनावों के बाद उन्होंने पार्टी कार्यक्रमों से दूरी बना रखी थी। यहां तक कि लोकसभा और उपचुनावों में भी उनकी उपस्थिति नगण्य रही। अचानक सक्रियता और मुख्यालय में 113 दिन बाद आना, कई सवाल खड़े कर रहा है।
1. क्या वसुंधरा राजे के लिए भाजपा ने कोई नई राजनीतिक भूमिका तय की है?
2. क्या वह अपने विरोधियों को चुनौती देने की तैयारी में हैं?
3. क्या यह केवल व्यक्तिगत शक्ति प्रदर्शन है या कोई रणनीतिक कदम?
हाल ही में झालावाड़ की एक सभा में राजे के तीखे तेवर भी चर्चा का विषय बने। उन्होंने वहां से बड़ा संदेश देने की कोशिश की।
राजे और पार्टी के बीच की दूरी
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की नियुक्ति के बाद से राजे और पार्टी नेतृत्व के बीच दूरियां बढ़ी हैं। पार्टी के कई कार्यक्रमों से उनकी अनुपस्थिति ने इन अटकलों को और बल दिया है। हालांकि, पार्टी के भीतर उनके समर्थकों की अभी भी मजबूत पकड़ है, जो उनकी राजनीतिक प्रासंगिकता को बनाए हुए है।
भविष्य की राजनीति पर नजरें
राजस्थान में आगामी लोकसभा चुनाव और 2028 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए वसुंधरा राजे की यह सक्रियता महत्वपूर्ण मानी जा रही है। उनके समर्थक मानते हैं कि वह अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए रणनीतिक कदम उठा रही हैं।
वसुंधरा राजे की हालिया गतिविधियां न केवल उनके व्यक्तिगत राजनीतिक भविष्य को लेकर सवाल खड़े करती हैं, बल्कि यह भाजपा की आंतरिक राजनीति की जटिलता को भी उजागर करती हैं। उनका 113 दिन बाद मुख्यालय पहुंचना, सोशल मीडिया पर सक्रियता और राजनीतिक संदेश देने की कोशिशें, आने वाले दिनों में राजस्थान की राजनीति में बड़े बदलावों का संकेत दे सकती हैं। आने वाला समय ही बताएगा कि वसुंधरा राजे का अगला कदम क्या होगा और यह भाजपा की रणनीति पर क्या प्रभाव डालेगा।