Edited By Raunak Pareek, Updated: 03 Aug, 2025 05:13 PM

राजस्थान में छात्र संघ चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है। NSUI ने 5 अगस्त को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने का एलान किया है। NSUI अध्यक्ष विनोद जाखड़ ने कहा कि अगर कांग्रेस सरकार छात्रसंघ चुनाव नहीं रोकती, तो आज सत्ता में होती।
राजस्थान में छात्रसंघ चुनावों की बहाली को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) ने राज्य सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए 5 अगस्त को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने का ऐलान किया है। NSUI के प्रदेश अध्यक्ष विनोद जाखड़ ने रविवार को जयपुर में कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह जानकारी दी।
जाखड़ ने कहा कि अगर कांग्रेस की पिछली सरकार ने छात्रसंघ चुनाव स्थगित नहीं किए होते, तो शायद आज भी कांग्रेस ही सत्ता में होती। उन्होंने स्वीकार किया कि चुनावों को रोकने का फैसला पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार का था, लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा कि अगर कांग्रेस सत्ता में लौटती, तो जनवरी 2024 में चुनाव करवा दिए जाते। NSUI कार्यकर्ता 5 अगस्त को जयपुर के शहीद स्मारक पर इकट्ठा होंगे और वहां से मुख्यमंत्री आवास की ओर रैली निकालकर घेराव करेंगे।
जाखड़ ने कहा कि यह विरोध "प्रदेश की सोई हुई सरकार को जगाने" के लिए है। वे आरोप लगाते हैं कि छात्रसंघ चुनाव रोकने से कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्रों की समस्याओं का समाधान रुक गया है। NSUI का दावा है कि छात्रसंघ ही वह लोकतांत्रिक मंच है जो छात्रों की आवाज को ताकत देता है। जाखड़ ने सत्तारूढ़ बीजेपी पर चुनावी घोषणा-पत्र में छात्रसंघ चुनाव बहाल करने का वादा कर उसे निभाने में विफल रहने का आरोप लगाया। उनके अनुसार दो साल बीत चुके हैं लेकिन सरकार ने चुनाव बहाली पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
NSUI की प्रदेश कार्यकारिणी में जातिगत संतुलन को लेकर उठ रही नाराज़गी पर जाखड़ ने सफाई दी कि NSUI किसी एक जाति का संगठन नहीं बल्कि सभी वर्गों और समुदायों के युवाओं का मंच है। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं को अवसर देने में जाति नहीं, ज़मीनी काम को प्राथमिकता दी जाती है। इस विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस के बड़े नेता जैसे सचिन पायलट, गोविंद सिंह डोटासरा और हरीश चौधरी भी भाग लेंगे। साथ ही छात्र राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति में पहुंचे कई नेता इस आंदोलन में NSUI का साथ देंगे। इस पूरे घटनाक्रम ने राजस्थान की छात्र राजनीति में एक बार फिर नई बहस छेड़ दी है – क्या छात्रसंघ चुनाव लोकतांत्रिक अधिकार हैं या प्रशासनिक ज़रूरतों के नाम पर इन्हें लंबे समय तक टालना ठीक है? NSUI के इस आंदोलन से यह मुद्दा अब केवल शिक्षा परिसरों तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि राज्य की सियासत में भी एक अहम विमर्श बन गया है।