राजस्थान चुनाव 2023: क्या सचिन पायलट को मिलेगा जाति समीकरण का लाभ |

Edited By Afjal Khan, Updated: 06 Jun, 2023 11:33 AM

rajasthan election 2023 will sachin pilot get the benefit of caste equation

राजस्थान में इस साल दिसंबर में चुनाव होने हैं। चुनाव नजदीक आने के साथ जातीय गणित को लेकर भी पार्टियां मंथन में जुटी है। लेकिन राजस्थान की बात करें तो यहां वर्षों से जातिगत समीकरण कई पार्टियों के लिए चौंकाने वाले रहे हैं। पूर्वी बेल्ट राजस्थान का...

राजस्थान में इस साल दिसंबर में चुनाव होने हैं। चुनाव नजदीक आने के साथ जातीय गणित को लेकर भी पार्टियां मंथन में जुटी है। लेकिन राजस्थान की बात करें तो यहां वर्षों से जातिगत समीकरण कई पार्टियों के लिए चौंकाने वाले रहे हैं। पूर्वी बेल्ट राजस्थान का महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो मीणा और गुर्जर वोटों के प्रभुत्व के लिए जाना जाता है, जबकि शेखावाटी और मारवाड़ बेल्ट महत्वपूर्ण जाट वोटों के लिए जाना जाता है। मीणाओं ने 2018 में अपने समुदाय के सबसे बड़े नेता किरोड़ीलाल मीणा को खारिज कर सबको चौंका दिया था। जाटों में हनुमान बेनीवाल ने रिकॉर्ड अंतर से जीत हासिल की, क्योंकि उन्होंने खुद को जाट नेता के रूप में प्रचारित किया। ऐसे उदाहरणों से समझा जा सकता है कि राजस्थान में पार्टियों के लिए जातीय समीकरणों का अनुमान लगाना कितना कठिन है।

हनुमान बेनीवाल ने विधानसभा चुनाव में निर्दलीय लड़ा था। इसके बाद नागौर से भाजपा के साथ गठबंधन किया। विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव भी लड़ा और जीत हासिल की। हाल ही में, उन्होंने कृषि कानूनों के मुद्दे पर भाजपा से अपना गठबंधन तोड़ लिया। भाजपा ने हाल ही में इस क्षेत्र के मतदाताओं को लुभाने के लिए नागौर में अपनी राज्य कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की थी। हालांकि, बेनीवाल अभी भी अपने समुदाय के बीच मजबूती से खड़े हैं। उन्होंने घोषणा की है कि अगर सचिन पायलट अपनी पार्टी बनाते हैं तो वह उन्हें अपना पूरा समर्थन देंगे। बेनीवाल के इस बयान के बाद यहां नए राजनीतिक समीकरण को लेकर चर्चा हो रही है।

जाट वास्तव में नौ प्रतिशत आबादी के साथ राजस्थान में सबसे बड़ा जाति समूह बनाते हैं। मारवाड़ और शेखावाटी क्षेत्रों में 31 निर्वाचन क्षेत्रों में जाटों का वर्चस्व है। इनकी अहमियत और एकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन विधानसभा क्षेत्रों से मतदाताओं ने 25 विधायक भेजे हैं। कुल मिलाकर, 7 दिसंबर 2018 को हुए चुनाव में 200 सदस्यीय राज्य विधानसभा में उन्हें 37 सीटें मिलीं।

जाटों के बाद छह प्रतिशत आबादी वाले राजपूत हैं, जिनके पास 17 सीटें हैं। अगला गुर्जर समुदाय है जिसका पूर्वी राजस्थान की लगभग 30-35 सीटों पर दबदबा है। वे परंपरागत रूप से भाजपा के मतदाता रहे हैं, लेकिन फिर उन्होंने अपने समुदाय के नेता सचिन पायलट के प्रति वफादारी दिखाते हुए कांग्रेस को वोट दिया।

पहला अहम सवाल है कि गुर्जर वोट कहां देंगे? यह लाख टके का सवाल है क्योंकि समुदाय ठगा हुआ महसूस करता है कि उनके नेता को 2018 के चुनावों का चेहरा होने के बावजूद मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया था। अब, इन अटकलों के बीच कि पायलट 11 जून को एक नई पार्टी का गठन करेंगे, यह सवाल और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। अगर समुदाय उनके साथ खड़ा होता है तो कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनावों में इन महत्वपूर्ण 30 से 35 सीटों के नुकसान का सामना करना पड़ेगा।

अगले अहम वोट बैंक मीणाओं पर भी कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या वे अपने शक्तिशाली नेता भाजपा के किरोड़ीलाल मीणा को जिताने में मदद करेंगे। कुल मिलाकर, राज्य में चार प्रमुख समुदाय हैं - राजपूत, जाट, मीणा और गुर्जर। इन्होंने 2018 के विधानसभा चुनावों में मिश्रित तरीके से मतदान किया, जिसमें भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस पांच साल बाद सत्ता में लौट आई।

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