बस्सी विधानसभा सीट पर रहती है निर्दलीय की धाक, इस बार कांग्रेस-बीजेपी दोनों ही पार्टियों से पूर्व आईएएस के बीच मुकाबला

Edited By Afjal Khan, Updated: 17 Nov, 2023 03:32 PM

independents dominate bassi assembly seat

अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित जयपुर जिले के बस्सी विधानसभा क्षेत्र का एक अजीब संजोग जुड़ा हुआ है। यहां से तीन लगातार चुनावों से निर्दलीय ही बाजी मार रहे हैं। इस बार यहां पर बीजेपी के पूर्व आईएएस चंद्रमोहन मीणा और कांग्रेस के पूर्व आईपीएस लक्ष्मण...

अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित जयपुर जिले के बस्सी विधानसभा क्षेत्र का एक अजीब संजोग जुड़ा हुआ है। यहां से तीन लगातार चुनावों से निर्दलीय ही बाजी मार रहे हैं। इस बार यहां पर बीजेपी के पूर्व आईएएस चंद्रमोहन मीणा और कांग्रेस के पूर्व आईपीएस लक्ष्मण मीणा के बीच मुकाबला है। सभी की नजर इस विधानसभा पर टिकी है कि क्या इस बार किसी राजनैतिक पार्टी का यहां से खाता खुलेगा या फिर निर्दलीय ही बाजी मारेगा। इसके पहले 2018 के चुनाव में लक्ष्मण मीणा निर्दलीय चुनावी जंग में कूदे थे और विजयी भी हुए थे। इसी के चलते इस बार कांग्रेस ने पूर्व आईपीएस अफसर और विधायक लक्ष्मण मीणा को अपना उम्मीदवार बनाया है।

इस बार दो पूर्व नौकरशाहों के आमने-सामने टक्कर को लेकर सीट रोचक हो गई है। इस सीट पर राष्ट्रीय पार्टी को आखिरी बार 2003 में जीत मिली थी। तब बीजेपी के टिकट पर कन्हैया लाल मीणा ने कांग्रेस के जगदीश तिवारी को कड़े मुकाबले में 992 मतों के अंतर से हराया था। वहीं 1998 के चुनाव में भी बीजेपी के टिकट पर कन्हैया लाल विजयी हुए थे। इसके बाद से 2008, 2013 और 2018 के चुनावों में लगातार निर्दलीय चुनाव में विजयी हो रहे हैं। 2018 में निर्दलीय लक्ष्मण मीणा तो 2013 में निर्दलीय प्रत्याशी अंजू देवी धानका ने चुनाव जीता था। वहीं 2008 के चुनाव में भी अंजू देवी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की थी। 2018 में निर्दलीय चुनाव जीतने वाले पूर्व आईपीएस लक्ष्मण मीणा इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। लक्ष्मण मीणा ने वीआरएस लेकर अपना पहला चुनाव कांग्रेस के ही टिकट पर 2009 में दौसा लोकसभा सीट से लड़ा था, लेकिन वो हार गए।

ब्राह्मण और मीणा बाहुल्य सीट 

बस्सी विधानसभा में करीब 2 लाख 25 हजार 539 वोटर हैं। इनमें पुरुष 1 लाख 19 हजार 62 तो महिला वोटर 1 लाख 9 हजार 532 वोटर्स हैं। यह सीट मीणा और ब्राह्मण बाहुल्य है। यही कारण हैं कि 2013 के चुनाव में सांसद किरोड़ीलाल मीणा की पार्टी एनपीईपी के प्रत्याशी इस सीट पर दूसरे नंबर पर रहे थे।

मुद्दों पर हावी रहते हैं जातिगत समीकरण 

बस्सी विधानसभा सीट पर मुद्दों पर जातिगत समीकरण हावी नजर आते हैं। 2008 में अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हुई इस सीट पर मुद्दों के बजाय वोटर्स जातिगत समीकरण के आधार पर वोट देते हैं। बीसलपुर का पानी यहां पहुंचा तो है, लेकिन विकास के मामले में क्षेत्र अब भी पिछड़ा हुआ है।

भाजपा-कांग्रेस तीसरे चौथे स्थान पर लुढ़की

2018 के चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले लक्ष्मण मीणा ने 79 हजार 878 वोट हासिल किए थे, जबकि बीजेपी के कन्हैयालाल के खाते में 37 हजार 114 वोट आए थे। कांग्रेस यहां पर चुनाव में चौथे स्थान पर लुढ़क गई थी। कांग्रेस प्रत्याशी दौलत सिंह मीणा को मात्र 15 हजार 626 वोट ही मिले थे। वहीं 2008 व 2013 के चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस तीसरे व चौथे नंबर पर थीं।

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