Edited By Chandra Prakash, Updated: 03 Oct, 2024 01:43 PM
आज शारदीय नवरात्रि का पहला दिन है । इसको लेकर प्रदेश में स्थित माता के सभी मंदिरों में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है । इसी कड़ी में आज बात करते है जोधपुर के मेहरानगढ़ किले स्थित मां चामुंडा की, मां चामुंडा के मंदिर में दर्शन करने के...
जोधपुर, 3 सितंबर 2024 । आज शारदीय नवरात्रि का पहला दिन है । इसको लेकर प्रदेश में स्थित माता के सभी मंदिरों में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है । इसी कड़ी में आज बात करते है जोधपुर के मेहरानगढ़ किले स्थित मां चामुंडा की, मां चामुंडा के मंदिर में दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता गुरुवार को सुबह से ही लगना शुरू हो गया । ऐसे में अब 9 दिन तक मां के नौ स्वरूपों की पूजा की जाएगी । बताया जाता है कि आज के दिन शैलपुत्री की पूजा की जाती है ।
पाकिस्तान की ओर से बरसाए बमों में मां चामुंडा ने की जोधपुर की रक्षा
इस नवरात्र को शुभ भी माना जाता है । कई लोग तो इस नवरात्र में शुभ कार्य भी करते हैं । यहां तक की वाहन, मकान और अन्य नई वस्तुओं की खरीददारी भी की जाती है । इस नवरात्र के चलते जोधपुर के मेहरानगढ़ स्थित मां चामुंडा माता मंदिर में भी आज से पूजा अर्चना शुरु हो गई । सबसे बड़ी बात यह है कि पूरे राजस्थान में ही नहीं बल्कि देशभर में मां चामुंडा की मेहरानगढ़ किले में स्थित मूर्ति को काफी प्रभावशाली माना जाता है । माना जाता है कि यहां विराजने वाली मां चामुंडा अपने भक्तों की रक्षा करती है । यही वजह है कि जब पाकिस्तान की ओर से बम बरसाए गए थे । तब इस शहर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाए थे । वहीं ऐसी कई अफवाएं भी चलती है, कि इस मेहरानगढ़ किले से पूरा पाकिस्तान दिखता है, जिसके इतिहास विशेषज्ञ सिर्फ भ्रामक बाते बताते है ।
जोधपुर के शासकों की कुलदेवी है मां चामुंडा
आदिशक्ति मां चामुण्डा की स्तुति में कहा गया है, कि जोधपुर के किले पर पंख फैलाने वाली माता तू ही हमारी रक्षक है। मारवाड़ के राठौड़ वंशज चील को मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप मानते हैं। बताया जाता है कि राव जोधा को चामुंडा माता में काफी श्रद्धा थी। चामुंडा माता जोधपुर के शासकों की कुलदेवी हैं। कहा जाता है, कि माता कि कृपा से ही युद्ध के दौरान किले को भारत बचा पाया था। राव जोधा ने 1460 में मेहरानगढ़ किले के पास चामुंडा माता का मंदिर बनवाया और मूर्ति की स्थापना की।
मंडोर से लाकर मेहरानगढ़ किले में स्थापित की गई थी मां चामुंडा की मूर्ति
बताया जाता है कि यह मूर्ति जोधपुर के मंडोर से लाकर इस किले में स्थापित की गई थी । चामुंडा मां मात्र शासकों की ही नहीं बल्कि अधिसंख्य जोधपुर निवासियों की कुलदेवी हैं और आज भी लाखों लोग इनको पूजते हैं । नवरात्रि के दिनों में यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है। कहा जाता है, कि माता के आशीर्वाद से ही सन् 1965 में पाकिस्तान के हमले के दौरान किले को कोई छू तक नहीं पाया था।
जोधपुर पर मां चामुंडा की विशेष कृपा
सूर्यनगरी वासियों में चामुंडा माता के प्रति अटूट आस्था यह भी है, कि वर्ष 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान जोधपुर किले पर गिरे सैकड़ों बमों को मां चामुण्डा ने जैसे अपने आंचल का कवच पहना दिया था। जोधपुर के विभिन्न जगहों पर बम गिराए गए, लेकिन पुरानी जेल व सरदार क्लब का कुछ हिस्सा ही क्षतिग्रस्त हुआ था। कोई जनहानि नहीं हुई थी। जोधपुर शहरवासी इसे आज भी मां चामुण्डा की कृपा ही मानते हैं।