Edited By Rahul yadav, Updated: 07 Nov, 2024 05:00 PM
प्रदेश में 13 नवंबर को साथ विधानसभा उपचुनाव पर मतदान होना है। वहीं नवंबर महीने की 12 और 13 तारीख को शादियों का मुहूर्त होने से प्रदेश में शहनाई की गूंज सुनाई देगी। हालांकि महीने में दो से अधिक विवाह के मुहूर्त हैं लेकिन 12 और 13 नवंबर की सदियों से...
जयपुर, 7 नवंबर 2024 | 07 प्रदेश में 13 नवंबर को साथ विधानसभा उपचुनाव पर मतदान होना है। वहीं नवंबर महीने की 12 और 13 तारीख को शादियों का मुहूर्त होने से प्रदेश में शहनाई की गूंज सुनाई देगी। हालांकि महीने में दो से अधिक विवाह के मुहूर्त हैं लेकिन 12 और 13 नवंबर की सदियों से उपचुनाव अधिक प्रभावित हो रहे हैं। इसके चलते राज्य के विभिन्न जिलों में जहां चुनाव प्रचार जोरों पर होना चाहिए था लेकिन शादी विवाह के मौसम ने कैंपेन को कमजोर कर दिया है।
बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता पारिवारिक जिम्मेदारियां के चलते चुनावी चैंपियन से दूर हो गए हैं और अपने गांव घरों में शादियों की तैयारी में जुटे हुए हैं। कार्यकर्ताओं की कमी के कारण चुनावी प्रचार प्रभावित हो रहा है और राजनीतिक दल स्थिति से निपटने के लिए डिजिटल माध्यमों पर जोर दे रहे हैं। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उपचुनाव में मतदान प्रतिशत पर शादियों का कितना प्रभाव पड़ता है और इस चुनौती पूर्ण स्थिति में राजनीतिक दल कितने सफल होते हैं। वहीं कुछ कार्यकर्ता ऐसे भी हैं जो शादी विवाह की व्यवस्था के बावजूद चुनावी मैदान में सक्रिय बने हुए हैं। यह कार्यकर्ता अपने क्षेत्र में दो-डोर कैंपेन के जरिए मतदाताओं तक पहुंच कर पार्टी के लिए प्रचार कर रहे हैं।
हालांकि सीमित संख्या में होने के कारण इन्हें बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। बचे हुए कार्यकर्ताओं का मानना है कि वह यथासंभव प्रयास कर रहे हैं लेकिन सदियों की वजह से पूरा चुनावी माहौल प्रभावित हो रहा है। राजनीतिक दलों के लिए यह स्थिति इसलिए भी जनता का विषय है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में ही मुख्य मतदाता संख्या है और इन इलाकों में कार्यकर्ताओं की कमी से प्रचार को पूरी गति नहीं मिल पा रही है। इन सीटों पर 1862 पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं जिनमें शहरी में 241 और ग्रामीण में 1621 पोलिंग स्टेशन बनाए हैं। जिनमें करीब 87 फीसदी ग्रामीण क्षेत्रों में वोटिंग होगी, जबकि तेरा फीस दे वोटिंग शहरी क्षेत्र में है भाजपा कांग्रेस में चुनावी प्रचार में अपेक्षित जोश और सक्रियता में कमी देखी जा रही है। खासतौर पर पार्टी कार्यकर्ताओं की सीमित उपलब्धता के कारण चुनावी रैलियां और जनसभा में भीड़ कम हो रही है। तो वहीं दूसरी और शादी के मौसम में होने वाले उपचुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने भी अपनी रणनीतियों में बदलाव किए हैं कई दलों ने सुबह जल्दी से ही प्रचार कर रहे हैं ताकि शाम को विवाह समारोह में शामिल हो सके साथ ही कुछ प्रत्याशियों ने शादी समारोह के दौरान ही परिवारों से संपर्क करने और उनका समर्थन जताने की रणनीति बनाई है।