तीन दिन से विधानसभा में धरना, सरकार से वार्ता विफल

Edited By Liza Chandel, Updated: 23 Feb, 2025 04:26 PM

protest in the assembly for three days talks with the government failed

राजस्थान की राजनीति में इन दिनों घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा समेत छह विधायकों के निलंबन के बाद प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। कांग्रेस ने इस फैसले के विरोध में विधानसभा के घेराव की योजना बनाई, लेकिन...

गहलोत और पायलट की गैर मौजूदगी पर उठे सवाल 

राजस्थान की राजनीति में इन दिनों घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा समेत छह विधायकों के निलंबन के बाद प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। कांग्रेस ने इस फैसले के विरोध में विधानसभा के घेराव की योजना बनाई, लेकिन धरने के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की अनुपस्थिति ने नए राजनीतिक सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या दोनों नेता जानबूझकर इस प्रदर्शन से दूर रहे, या फिर इसके पीछे कोई गुप्त रणनीति है? यह चर्चा अब राजनीतिक गलियारों में जोरों पर है।

 विधानसभा घेराव का ऐलान, कांग्रेस की रणनीति 

रविवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक आयोजित की गई, जिसमें सोमवार को विधानसभा का घेराव करने का निर्णय लिया गया। इसके तहत कांग्रेस ने पूरे प्रदेश में कार्यकर्ताओं को जुटाने की योजना बनाई। पार्टी ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कंट्रोल रूम से सभी जिलों में कॉल करके कार्यकर्ताओं को जयपुर बुलाने की रणनीति अपनाई। खासतौर पर जयपुर के आसपास के जिलों को ज्यादा से ज्यादा कार्यकर्ता लाने का टारगेट दिया गया।

इसके अलावा, शनिवार को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध-प्रदर्शन किए गए। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पुतले जलाकर विरोध जताया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इस पूरे घटनाक्रम के बीच अशोक गहलोत और सचिन पायलट की अनुपस्थिति ने कई राजनीतिक अटकलों को जन्म दे दिया है।

तीन दिन से विधानसभा में धरना, सरकार से वार्ता विफल

विधानसभा में विपक्षी विधायकों का धरना तीन दिन से जारी है। रविवार को भी यह धरना चलता रहा, लेकिन सरकार के साथ हुई दो दौर की बातचीत विफल रही

कांग्रेस विधायक तीन मुख्य मांगों पर अड़े हुए हैं:

  1. विधायकों के निलंबन की बहाली।
  2. इंदिरा गांधी पर की गई टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से हटाया जाए।
  3. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत सार्वजनिक रूप से माफी मांगें।

सरकार और कांग्रेस के बीच बढ़ते टकराव को देखते हुए विधानसभा का माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है।

संसदीय कार्य मंत्री का बयान: "कांग्रेस को गलती का एहसास करना चाहिए"

इस पूरे विवाद पर संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा,
"हमने प्रतिपक्ष के साथियों से बातचीत की है। हम चाहते हैं कि सदन सुचारू रूप से चले, लेकिन कांग्रेस को अपनी हठधर्मिता छोड़कर अपनी गलती का एहसास करना चाहिए।"

सरकार का रुख साफ है कि अगर कांग्रेस अपने रवैये में बदलाव नहीं लाती, तो इस गतिरोध का हल निकलना मुश्किल होगा।

गहलोत और पायलट की गैरमौजूदगी पर उठे सवाल

जब विधानसभा का घेराव करने के लिए पूरी कांग्रेस जुटी थी, तब अशोक गहलोत और सचिन पायलट की अनुपस्थिति ने कई राजनीतिक सवाल खड़े कर दिए।

  1. क्या गहलोत और पायलट के बीच अंदरूनी मतभेद हैं?

  2. क्या कांग्रेस नेतृत्व ने जानबूझकर दोनों को इस प्रदर्शन से दूर रखा?
  3. क्या गहलोत और पायलट ने भविष्य की रणनीति के तहत यह फैसला लिया?

कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गहलोत और पायलट की गैरमौजूदगी कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी को उजागर करती है।

आगे क्या?

अब सवाल यह है कि कांग्रेस इस आंदोलन को और कितना आगे ले जाएगी? अगर सरकार और विपक्ष के बीच समझौता नहीं होता, तो राजस्थान की राजनीति में आगे और बड़ा टकराव देखने को मिल सकता है।

विधानसभा के इस धरने और घेराव ने यह तो साबित कर दिया है कि कांग्रेस अपने निलंबित विधायकों के समर्थन में पूरी ताकत झोंक रही है, लेकिन गहलोत और पायलट की अनुपस्थिति ने इस आंदोलन को कमजोर भी कर दिया है। अब देखना यह होगा कि क्या कांग्रेस अपनी रणनीति में बदलाव करेगी या फिर यह आंदोलन और तेज होगा?

 

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