नई राजस्थान टाउनशिप पॉलिसी से सुनियोजित शहरी विकास को मिलेगी गति

Edited By Shruti Jha, Updated: 21 Jul, 2025 06:29 PM

the new rajasthan township policy will give impetus to planned urban development

विकसित राजस्थान-2047 के लक्ष्य की प्राप्ति में सुनियोजित नगरीय विकास की अहम भूमिका है। इससे आर्थिक गतिविधियों को तेजी से बढ़ावा मिलता है जिससे बुनियादी ढांचे में निरंतर सुधार आने के साथ-साथ निवेश और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है। इसी लक्ष्यों...


नई राजस्थान टाउनशिप पॉलिसी से सुनियोजित शहरी विकास को मिलेगी गति

रहवासियों को सुनिश्चित होंगी बुनियादी सुविधाएं

निवेश के खुलेंगे द्वार, रोजगार के अवसरों में होगी वृद्धि

जयपुर, 21 जुलाई। विकसित राजस्थान-2047 के लक्ष्य की प्राप्ति में सुनियोजित नगरीय विकास की अहम भूमिका है। इससे आर्थिक गतिविधियों को तेजी से बढ़ावा मिलता है जिससे बुनियादी ढांचे में निरंतर सुधार आने के साथ-साथ निवेश और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है। इसी लक्ष्यों की प्र्राप्ति के क्रम में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमंडल बैठक ने नई राजस्थान टाउनशिप पॉलिसी का अनुमोदन किया है, जिससे राजस्थान सुनियोजित नगरीय विकास के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बन सकेगा।

राजस्थान टाउनशिप पॉलिसी-2024 के प्रावधान ऐसी योजनाओं के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हैं जिनमें रहवासियों को बेहतर जीवन स्तर मिल सके। जिसमें सुबह की सैर के लिए पार्क भी हो और वर्षा तथा अपशिष्ट जल पुनर्चक्रण की व्यवस्था भी हो। नीति के अंतर्गत सभी योजनाओं में हरित क्षेत्र की अनिवार्यता की गई है। सभी क्षेत्रफल की आवासीय योजनाओं में एकरूपता के दृष्टिगत 7 प्रतिशत पार्क-खेल मैदान एवं 8 प्रतिशत सुविधा क्षेत्र का प्रावधान किया गया है।


 

अंत्योदय की परिकल्पना होगी साकार, जरूरतमंद को मिलेगा आवास

जरूरतमंद को आवास जैसी बुनियादी सुविधा का लाभ सुनिश्चित हो, इस ध्येय को भी नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया गया है। नीति के अंतर्गत सभी योजनाओं में ईडब्ल्यूएस-एलआईजी हेतु आरक्षित भूखण्डों का आवंटन स्थानीय निकाय के माध्यम से किये जाने का प्रावधान रखा गया है। इस प्रावधान से पात्र ईडब्ल्यूएस-एलआईजी व्यक्तियों को आवास की उपलब्धता पारदर्शिता के साथ सुनिश्चित हो सकेगी। साथ ही, औद्योगिक योजनाओं में श्रमिकों के निवास के लिए न्यूनतम 5 प्रतिशत क्षेत्रफल के भूखण्ड का प्रावधान किया गया है। इससे श्रमिकों को औद्योगिक इकाइयों के समीप ही आवास उपलब्ध हो सकेंगे जिससे उनको आवागमन के समय में बचत होगी और उनकी कार्यकुशलता में वृद्धि भी होगी।


 

उपभोक्ताओं के अधिकारों का होगा संरक्षण

नीति में विकासकर्ता पर जवाबदेहिता और रहवासियों के लिए सुविधायुक्त आवासों का प्रावधान शामिल किया गया है। इसके लिए योजना के पूर्णता प्रमाण-पत्र जारी होने के पश्चात विकास कार्यों का रख रखाव 5 वर्ष की अवधि अथवा रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) को हस्तान्तरण किया जाने तक योजना के 2.5 प्रतिशत भूखण्ड रहन रखे जाने का प्रावधान किया गया है। साथ ही, आंतरिक विकास कार्यों के रख-रखाव हेतु रख-रखाव शुल्क का प्रावधान भी किया गया है। नीति के क्रियान्वयन, निगरानी एवं समीक्षा के लिए राज्य स्तरीय समिति के गठन का प्रावधान किया गया है, जिससे शहरी योजनाओं के विकास में आने वाली समस्याओं का त्वरित निदान हो सकेगा।


 

लम्बवत विकास को मिलेगा प्रोत्साहन

शहरी क्षेत्रों का निरंतर विकास भूमि की उपलब्धता को सीमित करता है। ऐसे में आवश्यक है कि बहुमंजिला योजनाओं पर विशेष जोर दिया जाए। नई टाउनशिप पॉलिसी लम्बवत विकास को बढ़ावा देती है। इससे कम क्षेत्र में भी अधिक आवासों का निर्माण हो सकेगा और अधिक से अधिक लोग निवास कर सकेंगे। इसके साथ ही नीति के अंतर्गत मिश्रित भू-उपयोग योजना, समूह आवास योजना, फ्लैट आवास योजना, एकीकृत योजना (समूह आवासीय, फ्लैट आवासीय, प्लोटेड), वाणिज्यिक भू-उपयोग में आमजन की सुविधा के लिए सब सिटी सेंटर, डिस्ट्रीक्ट सेंटर, कम्यूनिटी सेंटर का प्रावधान भी किया गया है।


 

आवागमन में होगी सुविधा, बन सकेंगे सेक्टर रोड्स

नीति में बड़े सेक्टर रोड के निर्माण के लिए भी विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसके अंतर्गत राज्य के सभी नगरीय क्षेत्रों में सेक्टर सड़कों के निर्माण एवं उनके सहारे व्यावसायिक पट्टी के विकास के लिए जयपुर विकास प्राधिकरण की सेक्टर कॉमर्शियल पॉलिसी की तर्ज पर आपसी सहमति से भूमि अवाप्ति की कार्यवाही की जा सकेगी। साथ ही, यह नीति सौर और पवन ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना को भी प्रोत्साहित करती है। नीति अनुसार, इन संयंत्रों की स्थापना के लिए राजस्व रिकॉर्ड में पहुंचमार्ग दर्ज होने व पहुंचमार्ग की न्यूनतम चौड़ाई की बाध्यता नहीं रखी गयी है।

इसके अतिरिक्त नीति में जलस्रोतों के संरक्षण को भी बढ़ावा दिया गया है। इसमें नदी, झील, तालाब, नहर, नाला, बरसाती नालों जैसे विभिन्न जल स्त्रोतों के संरक्षण के लिए इनके सहारे आवश्यक न्यूनतम बफर आरक्षित किये जाने का प्रावधान रखा गया है।

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