Edited By Shruti Jha, Updated: 28 Jul, 2025 02:29 PM

हिंदू धर्म में नागों का विशेष स्थान है। नागपंचमी एक ऐसा पावन पर्व है जिसे नाग देवता की आराधना और कृपा प्राप्ति के लिए मनाया जाता है। यह पर्व हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बड़े श्रद्धा भाव और धार्मिक विधियों के साथ मनाया जाता है। इस...
नागपंचमी 2025 : 29 जुलाई को नाग देवता की होगी विधिवत पूजा, कालसर्प दोष से मुक्ति दिलाने वाला दिन
हिंदू धर्म में नागों का विशेष स्थान है। नागपंचमी एक ऐसा पावन पर्व है जिसे नाग देवता की आराधना और कृपा प्राप्ति के लिए मनाया जाता है। यह पर्व हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बड़े श्रद्धा भाव और धार्मिक विधियों के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष नागपंचमी का पर्व 29 जुलाई 2025, सोमवार को मनाया जाएगा।
पूजन तिथि और शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास, निदेशक, पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान, जयपुर-जोधपुर के अनुसार, पंचांग के अनुसार पंचमी तिथि 28 जुलाई की रात 11:24 बजे से प्रारंभ होकर 29 जुलाई की रात 12:46 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार नागपंचमी का पर्व 29 जुलाई को मनाया जाएगा।
नागपंचमी के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 5:41 से 8:30 बजे तक, तथा चौघड़िया शुभ मुहूर्त सुबह 10:46 से दोपहर 12:27 तक रहेगा।
धार्मिक मान्यताएँ और परंपराएँ
नागपंचमी के दिन लोग नाग देवता की पूजा करते हैं ताकि उन्हें सर्पदंश का भय न सताए। इस दिन नाग मंदिरों में जाकर श्रद्धालु साँपों को दूध, दही, फूल, फल, और मिठाइयाँ चढ़ाते हैं। घरों में भी नाग-नागिन की प्रतीमा बनाकर पूजा की जाती है।
भगवान शिव के गले में नाग देवता विराजमान रहते हैं, इसलिए इस दिन शिव पूजा का भी विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि नागों की पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है, सर्पदोष समाप्त होता है, और जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं।
कालसर्प दोष से मुक्ति का विशेष योग
डॉ. अनीष व्यास के अनुसार, जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उनके लिए नागपंचमी का दिन विशेष रूप से फलदायी होता है। इस दिन शिवलिंग पर चांदी या तांबे के नाग-नागिन का जोड़ा अर्पित करना, महामृत्युंजय मंत्र या सर्प गायत्री मंत्र का जाप करना, और त्र्यंबकेश्वर जैसे तीर्थस्थानों में सर्प पूजन करना विशेष लाभकारी माना गया है।
पूजन विधि
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प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
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भगवान शिव का स्मरण कर व्रत का संकल्प लें।
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पूजा की चौकी पर नाग-नागिन की मूर्ति रखें।
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उन्हें दूध, फूल, फल, मिठाई आदि अर्पित करें।
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धूप, दीप जलाकर आरती करें।
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यदि कालसर्प दोष से पीड़ित हों तो शिवलिंग पर चांदी या तांबे के नाग का जोड़ा अर्पित करें।
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‘ॐ नमः शिवाय’ या ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का जाप करें।
नागपंचमी का महत्व
नागपंचमी सिर्फ पूजा का पर्व नहीं, बल्कि एक आस्था, विश्वास और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है। यह दिन मन के भय को दूर करता है, घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। यह पर्व प्रकृति, जीव-जंतुओं और देवी-देवताओं के बीच सामंजस्य को दर्शाता है।