Edited By Sourabh Dubey, Updated: 28 May, 2025 12:23 PM

जल जीवन मिशन योजना में कथित घोटाले को लेकर पूर्व मंत्री महेश जोशी की गिरफ्तारी पर कानूनी बहस तेज हो गई है।
जयपुर। जल जीवन मिशन योजना में कथित घोटाले को लेकर पूर्व मंत्री महेश जोशी की गिरफ्तारी पर कानूनी बहस तेज हो गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता वीआर वाजवा ने उनकी ओर से अदालत में दलील दी कि ईडी ने PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत जो मामला दर्ज किया है, उसका आधार बना ACB केस में महेश जोशी का नाम ही नहीं था।
"लोन था, अपराध नहीं" — जोशी के वकील की दलील
वाजवा ने बताया कि विवादित लेन-देन जुलाई 2023 में हुआ था, जिसमें जोशी के बेटे की कंपनी को एक लोन दिया गया था। यह लोन कुछ महीनों के भीतर लौटा दिया गया, इसलिए इसे आपराधिक लेन-देन नहीं कहा जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि मार्च 2024 में ईडी का समन मिलने पर सभी दस्तावेज जमा कराए गए थे, फिर भी एक साल तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
क्या है जल जीवन मिशन घोटाला?
यह मामला वर्ष 2021 में सामने आए जल जीवन मिशन योजना से जुड़े घोटाले का हिस्सा है। जांच में सामने आया कि दो कंपनियों — श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी और श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाकर जलदाय विभाग से कई करोड़ के टेंडर हासिल किए।
- गणपति कंपनी को ₹859.2 करोड़ की 31 निविदाएं मिलीं (कुल 68 में से)।
- श्याम कंपनी को ₹120.25 करोड़ की 73 निविदाएं मिलीं (कुल 169 में से)।
इस मामले में अब तक पीयूष जैन, पदम चंद जैन, महेश मित्तल, और संजय बड़ाया की गिरफ्तारी हो चुकी है।
ईडी की कार्रवाई और जोशी की गिरफ्तारी
पहले एसीबी ने इस घोटाले की जांच करते हुए कई अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। बाद में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एंगल से जांच शुरू की और 24 अप्रैल को महेश जोशी को गिरफ्तार किया।
3 मई को सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की और 4 मई को ईडी ने जांच पूरी कर सबूत एसीबी को सौंपे।
जोशी बोले: राजनीतिक बदले की भावना से फंसाया गया
महेश जोशी की ओर से कोर्ट में यह भी दलील दी गई कि उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध के तहत फंसाया गया है और जांच एजेंसियों का यह रवैया पूर्वाग्रह से प्रेरित है।