आर्थिक लाभ हेतु काश्तकारों को बांस उत्पादन के लिए प्रोत्साहित मिले—राज्यपाल

Edited By Kailash Singh, Updated: 11 Jul, 2025 04:33 PM

farmers should be encouraged to produce bamboo for economic benefits governor

राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने राजस्थान के काश्तकारों के लिए बांस उत्पादन की संभावनाओं पर प्रभावी योजना बनाकर कार्य किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी कम पानी वाले क्षेत्रों की प्रदेश की उपलब्ध भूमि पर बांस उगाने और इससे जुड़े उत्पादन की...

आर्थिक लाभ हेतु काश्तकारों को बांस उत्पादन के लिए प्रोत्साहित मिले—राज्यपाल

जयपुर,11 जुलाई । राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने राजस्थान के काश्तकारों के लिए बांस उत्पादन की संभावनाओं पर प्रभावी योजना बनाकर कार्य किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी कम पानी वाले क्षेत्रों की प्रदेश की उपलब्ध भूमि पर बांस उगाने और इससे जुड़े उत्पादन की विपणन कार्य योजना तैयार करें ताकि इससे काश्तकारों को अधिक से अधिक आर्थिक लाभ मिल सके।

 बागडे शुक्रवार को राजभवन में ग्रामीण आजीविका सृजन में बांस की भूमिका विषयक विशेष बैठक में संबोधित कर रहे थे। महाराष्ट्र में बांस से जुड़े उत्पादों से काश्तकारों को होने वाले लाभ और इसके बढ़ते पर्यावरण और आर्थिक महत्व को देखते हुए राजस्थान में भी इस संबंध में संभावनाओं के मद्देनजर यह बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में बांस उत्पादन विशेषज्ञ और महाराष्ट्र मुख्यमंत्री टास्क फोर्स, पर्यावरण एवं सतत विकास के अध्यक्ष पाशा पटेल को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था।

राज्यपाल  बागडे ने कहा कि राजस्थान में कम पानी वाले उपलब्ध क्षेत्रों में बांस की खेती को बढ़ावा देने की योजना पर विशेष रूप से कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि बांस लगाने से काश्तकारों को आर्थिक लाभ ही नहीं होगा, प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के लिए भी तेजी से कार्य हो सकेगा।

राज्यपाल ने बांस लगाने के लिए काश्तकारों को प्रोत्साहित करने, उनको प्रशिक्षित करने और विशेष क्षेत्रों में बांस लगाने के सफल प्रयोग कर उन्हें किसानों को दिखाए जाने की व्यवस्था करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राजस्थान की गर्म जलवायु के लिए बांस लगाना बहुत उपयोगी होगा। उन्होंने बड़े स्तर पर उपलब्ध भूमि का उपयोग बांस लगाने के लिए करने के लिए मानसिकता तैयार किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि गरीब काश्तकारों को इसके लिए तैयार किया जाए। इस हेतु उन्हें बांस लगाने के बदले अनाज और दूसरी अनुदान योजनाओं से प्रेरित करने की बात कही।

 बागडे ने कहा कि बांस घास की तरह तेजी से बढ़ता है। इसलिए भारत सरकार ने कानून में बदलाव कर वन भूमि के पौधों की बजाय इसे घास श्रेणी में रखा है ताकि इसका आर्थिक रूप में किसानों को लाभ मिल सके। इसके निर्यात से राष्ट्र का आर्थिक विकास हो सके। उन्होंने राजस्थान में बांस उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ ही बांस उत्पादन में विविधता के लिए भी प्रशिक्षण प्रदान कर काश्तकारों को प्रोत्साहित किए जाने का आह्वान किया।

पर्यावरण एवं सतत विकास, मुख्यमंत्री टास्क फोर्स, महाराष्ट्र  के अध्यक्ष पाशा पटेल ने कहा कि राजस्थान जैसे गर्म जलवायु वाले क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण और काश्तकारों के आर्थिक लाभ की दृष्टि से बांस का उत्पादन वरदान साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि चीन में 1980 में बांस उत्पादन प्रारंभ हुआ और आज इससे वह बहुत बड़े स्तर पर आर्थिक लाभ ले रहा है। वहां 5 मिलियन हेक्टर में बांस उत्पादन हो रहा है जबकि भारत में 10 मिलियन हेक्टेयर में बांस होने के बावजूद इसके विपणन और उत्पादों की विविधता में कमी के कारण हम इसका आर्थिक लाभ नहीं ले पा रहे हैं। उन्होंने बांस को हरित भारत की दृष्टि से भी बहुत उपयोगी बताया तथा कहा कि भारत सरकार ने जब से इसे घास श्रेणी में रखा है तब से महाराष्ट्र में इस दिशा में तेजी से विकास हुआ है। विश्वभर के देशों में बांस के निर्माण कार्यों और फर्निचर के साथ अन्य उत्पादों में हम अग्रणी हुए हैं। उन्होंने जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान के दौर में राजस्थान में बांस उत्पादन की संभावनाओं पर कार्य किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में किसानों को नरेगा के तहत बांस उत्पादन के प्रोत्साहन हेतु 7 लाख का तक का अनुदान दिया जाता है। इसी तर्ज पर राजस्थान में काम होता है तो इसके भविष्य में बहुत अच्छे परिणाम आ सकते हैं।

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!