Edited By Shruti Jha, Updated: 31 Jul, 2025 06:33 PM

लंबे इंतजार के बाद घोषित हुई छात्र संगठन एनएसयूआई (NSUI) के जिलाध्यक्षों की सूची अब विवादों में घिर गई है. इस सूची को लेकर जहां जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन के अभाव पर सवाल उठाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर...
NSUI जिलाध्यक्ष सूची पर विवाद: जातिगत असंतुलन, बाहरी नेताओं की नियुक्ति और अल्पसंख्यक अनदेखी से गरमाई सियासत
जयपुर, 31 जुलाई 2025: लंबे इंतजार के बाद घोषित हुई छात्र संगठन एनएसयूआई (NSUI) के जिलाध्यक्षों की सूची अब विवादों में घिर गई है. इस सूची को लेकर जहां जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन के अभाव पर सवाल उठाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर दूसरे दलों से आए लोगों को जिलाध्यक्ष बनाए जाने को लेकर भी विवाद गहराता जा रहा है.
कई जिलों में ऐसे जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं जो उस जिले के निवासी न होकर दूसरे जिलों में निवास करते हैं. इसे लेकर स्थानीय स्तर पर संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं और नेताओं में नाराजगी उभर रही है. एनएसयूआई के जिलाध्यक्षों की जारी हुई सूची को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी संगठन से जुड़े नेताओं की नाराजगी खुलकर सामने आ रही है, और कार्यकर्ता विभिन्न प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं.
जयपुर शहर अध्यक्ष को लेकर सबसे बड़ा विवाद: सबसे बड़ा मामला जयपुर शहर अध्यक्ष को लेकर है, जहां अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से एनएसयूआई में आए गुलशन मीणा को लेकर विवाद है. उल्लेखनीय है कि साल 2023 में विधि महाविद्यालय छात्र संघ कार्यालय का उद्घाटन करने राजस्थान विश्वविद्यालय आए तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गुलशन मीणा ने काले झंडे दिखाए थे, और इस मामले में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था. अब पूर्व मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाने वाले नेता को एनएसयूआई का जिलाध्यक्ष बनाए जाने को लेकर कांग्रेस गलियारों में भी चर्चाएं तेज हो गई हैं.
दूसरे जिलों के निवासियों को बनाया जिलाध्यक्ष: कई जिले ऐसे भी हैं जहां पर दूसरे जिलों में निवास करने वाले कार्यकर्ताओं को जिलाध्यक्ष बनाया गया है, जिससे स्थानीय स्तर पर जबरदस्त विरोध हो रहा है. इनमें डीडवाना कुचामन जिले में निवास करने वाले समीर खान को नागौर का जिला अध्यक्ष बनाया गया है. इसी प्रकार, अजमेर शहर में निवास करने वाले अंकित घारू को अजमेर ग्रामीण का जिला अध्यक्ष बनाया गया है. वहीं, कोटा ग्रामीण अध्यक्ष को लेकर भी विरोध बढ़ता जा रहा है.
बीकानेर में एक ही जाति के दो अध्यक्ष: सबसे दिलचस्प बात यह है कि बीकानेर शहर और बीकानेर ग्रामीण में एक ही जाति (गोदारा) के नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाए जाने से वहां भी स्थानीय स्तर पर विरोध हो रहा है. हरिराम गोदारा को बीकानेर शहर और कृष्ण गोदारा को बीकानेर ग्रामीण का जिला अध्यक्ष बनाया गया है.
अल्पसंख्यक वर्ग की अनदेखी के आरोप: राजस्थान एनएसयूआई की ओर से कुल 50 जिलों में जिला अध्यक्षों की घोषणा की गई है. इस सूची में पार्टी के परंपरागत वोट बैंक माने जाने वाले अल्पसंख्यक वर्ग को कम प्रतिनिधित्व दिया गया है. जारी सूची में केवल दो ही जिलों में अल्पसंख्यक वर्ग के जिला अध्यक्ष बनाए गए हैं, जबकि पिछली बार आठ जिलों में अल्पसंख्यक वर्ग के जिला अध्यक्ष बनाए गए थे. इसे लेकर भी पार्टी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कार्यकर्ता अपना विरोध जाहिर कर रहे हैं. यह सूची एनएसयूआई के भीतर गहरे असंतोष को दर्शा रही है.