Edited By Chandra Prakash, Updated: 29 Jul, 2025 03:19 PM

झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव में हाल ही में हुए दर्दनाक हादसे के बाद प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर गर्माहट देखने को मिल रही है। सरकारी स्कूल की जर्जर इमारत गिरने से सात मासूम बच्चों की मौत और कई के घायल होने की घटना ने न केवल पूरे प्रदेश को...
जयपुर/झालावाड़, 29 जुलाई 2025। झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव में हाल ही में हुए दर्दनाक हादसे के बाद प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर गर्माहट देखने को मिल रही है। सरकारी स्कूल की जर्जर इमारत गिरने से सात मासूम बच्चों की मौत और कई के घायल होने की घटना ने न केवल पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि अब इस हादसे की आड़ में सियासी समीकरण भी नए रंग ले रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पहुंचीं थी झालावाड़, ली मौके की जानकारी
हादसे की सूचना मिलते ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दिल्ली से झालावाड़ के लिए सड़क मार्ग से रवाना हुईं और मौके पर पहुंचकर ना केवल पीड़ितों से मुलाकात की, बल्कि चिकित्सकों से भी बच्चों की स्थिति की जानकारी ली। राजे ने कहा कि यह हादसा अगर समय रहते शिक्षा विभाग द्वारा जर्जर इमारतों की मरम्मत करवा ली जाती, तो टाला जा सकता था।
राजे ने स्पष्ट किया कि यह समय राजनीति का नहीं, बल्कि पूरे झालावाड़ को एक परिवार मानकर साथ चलने का है। उन्होंने कहा, “किसी भी बाहरी व्यक्ति को यहां आकर राजनीति नहीं करनी चाहिए। झालावाड़ एक परिवार है और हम सभी मिलकर इसे संभाल रहे हैं।”
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा क्यों नहीं पहुंचे ? सवालों में घिरी सरकार
जहां एक ओर वसुंधरा राजे की त्वरित प्रतिक्रिया और मैदान में उपस्थिति चर्चा में रही, वहीं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का घटनास्थल पर न पहुंचना सियासी हलकों में सवालों का विषय बन गया है। हादसे के बाद पूरे दिन सीएम के झालावाड़ जाने की चर्चाएं ज़ोरों पर रहीं, लेकिन अंततः वे जयपुर से रवाना नहीं हुए।
इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ सूत्रों का कहना है कि संभवतः राजे ने अपने गृह क्षेत्र में अन्य नेताओं की मौजूदगी नहीं चाही, तो कुछ का मानना है कि यह कोई पार्टी स्तर पर तय रणनीति हो सकती है, ताकि नेतृत्व की छवि पर असर न पड़े।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर भी पहुंचे थे अस्पताल, लेकिन घटनास्थल से रहे दूर
हादसे के बाद शिक्षा मंत्री मदन दिलावर झालावाड़ जिले के अस्पताल तो पहुंचे और घायलों से मुलाकात भी की, लेकिन जहां हादसा हुआ उस स्कूल तक वे नहीं पहुंचे। इसे लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं—क्या मंत्री जानबूझकर दूरी बनाए हुए हैं या फिर उन्हें वहां जाने से रोका गया ?
झालावाड़ भाजपा का पारंपरिक गढ़, वसुंधरा-भजनलाल खेमे की खींचतान भी चर्चा में
गौरतलब है कि झालावाड़ भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का पारंपरिक गढ़ माना जाता है। उनके पुत्र दुष्यंत सिंह यहां से सांसद भी हैं। ऐसे में वसुंधरा राजे की सक्रियता और मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री की दूरी को लेकर यह अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या भाजपा के अंदरखाने में कोई सत्ताकेंद्र संघर्ष चल रहा है?
झालावाड़ हादसा सिर्फ एक इमारत गिरने का मामला नहीं, यह सरकारी सिस्टम की विफलता और राजनीतिक प्राथमिकताओं का आइना बनता जा रहा है। एक ओर परिवार अपने बच्चों को खोकर सदमे में हैं, वहीं दूसरी ओर सियासी गलियारों में इस पर रणनीतिक चुप्पी और बयानबाज़ी दोनों देखी जा रही है।
अब देखना यह है कि क्या इस हादसे के बाद प्रदेश सरकार जर्जर स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाएगी, या फिर यह भी एक और ‘दुर्घटना के बाद का राजनीतिक अध्याय’ बनकर रह जाएगा।