जेल से बाहर आने के बाद किरोड़ी लाल मीणा पर लाल हुए नरेश मीणा, बोले गोलमा, राजेंद्र और जगमोहन के बाद मीणा समाज में कौन बड़ा नेता

Edited By Raunak Pareek, Updated: 18 Jul, 2025 03:28 PM

after coming out of jail kirori lal meena was targeted

जमानत के बाद बाहर आए नरेश मीणा एक बार फिर किरोड़ी लाल मीणा पर जमकर बरसे क्या कहा देखिए इस एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में।

 

टोंक जेल से रिहा होने के बाद नरेश मीणा ने पहली बार खुलकर अपनी चुप्पी तोड़ी है। एक विशेष इंटरव्यू में उन्होंने अपनी गिरफ्तारी, कांग्रेस पार्टी से नाराज़गी, मीणा समाज की राजनीति, सोशल मीडिया अभियान और विपक्षी नेताओं से जुड़ी साजिशों पर बेबाक राय रखी। वे खुद को एक विचारधारात्मक योद्धा मानते हैं, जो जेल की सज़ा को भी राजनीतिक प्रशिक्षण मानकर लड़ाई के लिए और तैयार हो गया है।

प्रश्न: आपने टोंक जेल में करीब 8 महीने बिताए, वह अनुभव कैसा रहा?
उत्तर : जेल एक कठिन अनुभव जरूर था, लेकिन मेरे लिए वह आत्ममंथन और वैचारिक प्रशिक्षण का समय था। मैंने वहां खुद को और मजबूत किया, और बाहर आकर समाज के लिए लड़ने का जज़्बा और पक्का हो गया।

प्रश्न: आपकी गिरफ्तारी को लेकर कहा जा रहा है कि यह एक राजनीतिक साजिश थी। इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
उत्तर: बिलकुल, यह कांग्रेस पार्टी और कुछ नेताओं द्वारा रची गई साजिश थी। मैं आदिवासी और वंचितों की आवाज़ उठा रहा था, जो उन्हें पसंद नहीं आया। मेरी लोकप्रियता से डरकर मुझे चुप कराने की कोशिश की गई।

प्रश्न: क्या आप कांग्रेस से नाराज़ हैं?
उत्तर: मैं किसी व्यक्ति विशेष से नाराज़ नहीं हूं, लेकिन पार्टी में जिस तरह की विचारधारा हावी हो गई है, वह जनता से कट चुकी है। मैंने हमेशा जनता की लड़ाई लड़ी है, और अब भी वही करूंगा — चाहे पार्टी में रहूं या बाहर।

प्रश्न: मीणा समाज में आपकी क्या भूमिका है?
उत्तर: मैं अपने समाज का सच्चा प्रतिनिधि हूं। जेल से बाहर आने के बाद मैंने देखा कि युवाओं और महिलाओं में मेरे लिए समर्थन और भावनात्मक जुड़ाव और भी गहरा हो गया है। मैं उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश कर रहा हूं।

प्रश्न: सोशल मीडिया पर आपकी टीम ने आपकी गिरफ्तारी के दौरान काफी मजबूत अभियान चलाया। वह कैसे संभव हुआ?
उत्तर: मेरे समर्थकों ने जेल के बाहर रहकर मेरी आवाज़ को बुलंद रखा। सोशल मीडिया पर हम एक वैचारिक आंदोलन चला रहे थे — मेरा मौन जेल में था लेकिन आवाज़ बाहर गूंज रही थी।

प्रश्न: हनुमान बेनीवाल, राजकुमार रोत और जयकृष्ण पटेल जैसे नेताओं को लेकर आपकी क्या राय है?
उत्तर: ये सभी लोग आदिवासी और ओबीसी समुदाय की राजनीति को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ लोग सत्ता के लिए विचारधारा बेच देते हैं, लेकिन मैं उस राह पर नहीं हूं। मेरा रास्ता स्पष्ट है — समाज के अधिकार और स्वाभिमान की लड़ाई।

नोट – पूरा इंटरव्यू देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। 👈👈👈

 

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