Edited By Chandra Prakash, Updated: 13 Jul, 2025 07:58 PM

उदयपुर एसपी योगेश गोयल ने बताया कि कानोड़ थाना क्षेत्र के अरनिया निवासी 35 वर्षीय पंकज खारोल ने 8 मार्च को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पंकज ने बताया कि लगभग नौ साल पहले उसकी पहली शादी हुई थी, लेकिन पांच साल पहले उसकी पत्नी किसी के साथ भाग गई। इस...
जयपुर 13 जुलाई 2025। शातिर ठगों का एक ऐसा गिरोह जो फर्जी शादियों के जाल में फंसाकर भोले-भाले युवकों को लूट रहा था उसका उदयपुर पुलिस ने पर्दाफाश किया है। जिले की कानोड़ थाना पुलिस ने एक महिला सहित तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार कर इस 'रैकेट का भंडाफोड़ किया है। गिरोह के सदस्य शादी के नाम पर मोटी रकम ऐंठने के बाद दुल्हन को जेवरात और नकदी लेकर फरार करवा देते थे।
उदयपुर एसपी योगेश गोयल ने बताया कि कानोड़ थाना क्षेत्र के अरनिया निवासी 35 वर्षीय पंकज खारोल ने 8 मार्च को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पंकज ने बताया कि लगभग नौ साल पहले उसकी पहली शादी हुई थी, लेकिन पांच साल पहले उसकी पत्नी किसी के साथ भाग गई। इस घटना के बाद उनके ही गांव के मांगीलाल पुत्र हीरालाल ने पंकज की दूसरी शादी करवाने का प्रस्ताव रखा।
मांगीलाल 20 जनवरी को मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के घोड़ा पतला निवासी एक लड़की ललिता बाई पुत्री सोहन लाल को लाया। जिसके साथ कैलाश व सुनील निवासी रतलाम, दिलखुश निवासी पीपली मंडी निवासी और दो अन्य व्यक्ति एक बोलेरो में आए थे। पंकज के पिता और मांगी लाल की मौजूदगी में 100 रुपये के स्टांप पेपर पर एक इकरारनामा कर ललिताबाई से उसकी शादी करवा दी गई।
इस शादी के एवज में कैलाश ने पंकज से सिक्योरिटी के नाम पर 1 लाख 50 हजार रुपये नकद ले लिए। इसके अलावा पंकज का करीब 30 हजार रुपये का अन्य खर्च भी हुआ। शादी के बाद ललिताबाई करीब 10 दिनों तक तो पंकज के साथ सामान्य तरीके से रही। लेकिन फिर उसने मौसाजी की मौत का बहाना बनाया। पंकज अपनी पत्नी और बच्चे को लेकर जावरा गया, जहां ललिता बाई स्नान का बहाना करके अचानक गायब हो गई। वह अपने साथ लगभग 1 लाख 50 हजार रुपये के जेवरात और कुछ नकदी भी ले गई। पंकज ने उसे बहुत ढूंढा, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। पंकज को समझ आ गया कि उसे योजनाबद्ध तरीके से ठगा गया है। उसकी शिकायत पर कानोड़ थाने में संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई।
एसपी योगेश गोयल द्वारा वांछित अपराधियों की धरपकड़ के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत इस मामले को गंभीरता से लिया गया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक खेरवाड़ा अंजना सुखवाल और पुलिस उप अधीक्षक वल्लभनगर राजेंद्र सिंह के पर्यवेक्षण में कानोड़ थानाधिकारी मुकेश चंद्र के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया। गठित टीम ने आरोपियों की तलाश में मध्य प्रदेश के शिवगढ़ के लिए कूच किया। तकनीकी सहायता और मुखबिर की सूचना के आधार पर पुलिस ने तीन मुख्य अभियुक्तों सुनील पुत्र वागजी व कैलाश पुत्र कलजी निवासी खेरकुटा थाना शिवगढ़ जिला रतलाम मध्य प्रदेश और लुटेरी दुल्हन ललिता बाई निवासी घोड़ा पल्ला थाना सरवन जिला रतलाम मध्य प्रदेश को डिटेन कर पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार अभियुक्तों से गहन पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हुए। यह सामने आया कि अभियुक्तों ने मिलकर एक षड्यंत्र रचा था, जिसके तहत ललिता बाई की शादी पंकज खारोल से करवाई गई। उन्होंने पंकज से शादी के नाम पर 1 लाख 50 हजार रुपये लिए। योजना के मुताबिक ललिता बाई केवल 10 दिनों तक पंकज की पत्नी बनकर रही और फिर जेवरात लेकर अपने पूर्व पति और बच्चों के पास घोड़ा पल्ला रतलाम लौट गई।
पुलिस की शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि इन अभियुक्तों ने पहले भी इसी तरह की फर्जी शादियों का झांसा देकर कई और वारदातों को अंजाम दिया है। पुलिस इस संबंध में आगे की जांच कर रही है ताकि इस पूरे गिरोह का नेटवर्क ध्वस्त किया जा सके और अन्य पीड़ितों का पता लगाया जा सके। इस जटिल मामले को सुलझाने और अभियुक्तों को गिरफ्तार करने में एसएचओ मुकेश चंद्र सहित हेड कांस्टेबल लक्ष्मण लाल, कांस्टेबल सुनील, राजेंद्र, रिंकु कुमार, गोविंद और महिला कांस्टेबल भगवत कंवर की महत्वपूर्ण भूमिका रही।