Edited By Payal Choudhary, Updated: 28 Dec, 2025 05:52 PM

राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर एक गंभीर स्थिति बनती नजर आ रही है। प्रदेश की जीवनरेखा मानी जाने वाली 108 और 104 एम्बुलेंस सेवाएं रविवार रात 12 बजे से बंद होने जा रही हैं। नए टेंडर में वेतन से जुड़े प्रावधानों और 12 घंटे की ड्यूटी के विरोध में...
राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर एक गंभीर स्थिति बनती नजर आ रही है। प्रदेश की जीवनरेखा मानी जाने वाली 108 और 104 एम्बुलेंस सेवाएं रविवार रात 12 बजे से बंद होने जा रही हैं। नए टेंडर में वेतन से जुड़े प्रावधानों और 12 घंटे की ड्यूटी के विरोध में एम्बुलेंस कर्मचारियों की यूनियन ने कार्य बहिष्कार का ऐलान किया है। इससे प्रदेशभर में आपातकालीन मरीजों को समय पर सहायता मिलने में बड़ी बाधा आ सकती है।
प्रदेश में इस समय 108 सेवा के 1094 वाहन और 104 सेवा के 600 वाहन संचालित हैं। ये सभी एम्बुलेंस Modern Emergency Services Limited के माध्यम से चलाई जाती हैं और आम जनता के लिए पूरी तरह निशुल्क हैं। इन सेवाओं के संचालन से करीब 3000 कर्मचारी जुड़े हुए हैं, जो 24×7 ड्यूटी देकर दुर्घटनाओं, गंभीर बीमारियों और प्रसूति मामलों में मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाते हैं।
यूनियन के अनुसार वर्तमान में कर्मचारियों को कंपनी की ओर से ₹12,730 मासिक वेतन दिया जा रहा है। कर्मचारियों की मांग है कि नए टेंडर में 30 प्रतिशत वेतन बढ़ोतरी, हर साल 10 प्रतिशत वार्षिक इंक्रीमेंट और 12 घंटे की जगह 8 घंटे की ड्यूटी को शामिल किया जाए। यूनियन अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह का कहना है कि इन मांगों को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) और स्वास्थ्य विभाग के सामने कई बार बात रखी गई, लेकिन अब तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला।
हड़ताल लागू होने के बाद सड़क हादसों, हृदय रोग, गर्भवती महिलाओं और ग्रामीण इलाकों की आपात स्थितियों में लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि एम्बुलेंस सेवाओं का ठप होना सीधे तौर पर मरीजों की जान के लिए जोखिम बन सकता है। प्रशासन की ओर से अब तक किसी वैकल्पिक व्यवस्था या समाधान की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
अब सवाल यह है कि क्या सरकार समय रहते कर्मचारियों की मांगों पर निर्णय लेगी, या फिर इस टकराव का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ेगा। आने वाले घंटे राजस्थान की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए बेहद अहम साबित हो सकते हैं।