Edited By Anil Jangid, Updated: 18 Dec, 2025 02:38 PM

राजस्थान के बीकानेर जिले से सर्पदंश (Snake Bite) के इलाज को लेकर एक बड़ी और ऐतिहासिक खबर सामने आई है। अब सांप के काटने से होने वाली मौतों पर लगाम लग सकती है। वैज्ञानिकों ने ऊंट के खून से एंटी-स्नेक वेनम विकसित करने में सफलता हासिल की है, जो भविष्य...
जयपुर। राजस्थान के बीकानेर जिले से सर्पदंश (Snake Bite) के इलाज को लेकर एक बड़ी और ऐतिहासिक खबर सामने आई है। अब सांप के काटने से होने वाली मौतों पर लगाम लग सकती है। वैज्ञानिकों ने ऊंट के खून से एंटी-स्नेक वेनम विकसित करने में सफलता हासिल की है, जो भविष्य में हजारों लोगों की जान बचाने में अहम भूमिका निभा सकता है। यह शोध खासतौर पर ग्रामीण भारत के लिए वरदान साबित हो सकता है, जहां हर साल बड़ी संख्या में लोग सर्पदंश का शिकार होते हैं।
सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज, बीकानेर की मल्टी डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट और एम्स जोधपुर की संयुक्त टीम ने यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। शोध से जुड़े वैज्ञानिकों के अनुसार भारत में हर साल लगभग 50 हजार लोगों की मौत सांप के काटने से हो जाती है। इनमें सबसे ज्यादा प्रभावित किसान और खेतों में काम करने वाले मजदूर होते हैं। अब तक सर्पदंश के इलाज में घोड़े के खून से तैयार एंटी-स्नेक वेनम का इस्तेमाल किया जाता रहा है, जिससे कई मरीजों में एलर्जी और गंभीर साइड इफेक्ट्स देखने को मिलते हैं।
शोध यूनिट के नोडल अधिकारी डॉ. संजय कौचर ने बताया कि ऊंट के शरीर में मौजूद विशेष प्रकार की एंटीबॉडी सांप के जहर को ज्यादा प्रभावी तरीके से निष्क्रिय करती हैं। इससे दुष्प्रभावों की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है। इसी कारण ऊंट के खून पर आधारित एंटी-स्नेक वेनम पर काम शुरू किया गया।
इस शोध के तहत नियंत्रित मात्रा में सांप का जहर ऊंट के शरीर में दिया गया और बाद में उसके खून से एंटी-स्नेक वेनम तैयार की गई। इस दवा का सफल परीक्षण चूहों पर किया गया, जिसमें किसी भी तरह के गंभीर साइड इफेक्ट सामने नहीं आए। इन सकारात्मक परिणामों के बाद अब मानव पर क्लिनिकल ट्रायल की तैयारी शुरू कर दी गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह पूरा शोध विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्री-क्लिनिकल मानकों के अनुरूप किया गया है। यदि मानव परीक्षण भी सफल रहते हैं, तो ऊंट के खून से बनी यह एंटी-स्नेक वेनम सस्ती, सुरक्षित और प्रभावी साबित होगी और आने वाले समय में सर्पदंश से होने वाली मौतों को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।