Edited By Raunak Pareek, Updated: 18 Dec, 2025 07:46 PM

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सेव अरावली अभियान को समर्थन देते हुए सोशल मीडिया डीपी बदली। गहलोत ने अरावली को उत्तर भारत के भविष्य से जोड़ते हुए केंद्र सरकार के फैसलों पर सवाल उठाए।
राजस्थान के लगभग 80 प्रतिशत भूभाग को घेरे अरावली पर्वत श्रृंखला के संरक्षण को लेकर देशभर में अभियान चल रहा है। सोशल मीडिया पर ‘सेव अरावली’ मुहिम के जरिए लोग इस प्राचीन पर्वतमाला को बचाने की अपील कर रहे हैं। इसी कड़ी में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस अभियान से जुड़ गए हैं।
गहलोत ने अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स की डिस्प्ले पिक्चर बदलते हुए अरावली की एक हरी-भरी तस्वीर लगाई है। इसके साथ उन्होंने कहा कि अरावली का महत्व किसी फीते या ऊंचाई से नहीं मापा जा सकता। यह पहाड़ियां उत्तर भारत के लिए जीवनरेखा हैं। करीब पांच महीने पहले कांग्रेस नेताओं ने ‘वोट चोरी से आज़ादी’ अभियान के तहत अपनी डीपी बदली थी। अगस्त 2025 में गहलोत समेत कई नेताओं ने वोट चोरी के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान चलाया था। अब उसी डीपी को हटाकर गहलोत ने ‘सेव अरावली’ को प्राथमिकता दी है। उनके बाद नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जुली ने भी अपनी डीपी बदलकर इस अभियान का समर्थन किया।
सोशल मीडिया पर संदेश जारी करते हुए गहलोत ने जनता से अपील की कि वे भी ‘सेव अरावली’ आंदोलन से जुड़ें। उन्होंने 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को अरावली न मानने की नई परिभाषा का विरोध किया और कहा कि यह फैसला उत्तर भारत के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
गहलोत ने केंद्र सरकार और सर्वोच्च न्यायालय से अरावली की परिभाषा पर पुनर्विचार की मांग की। उन्होंने कहा कि अरावली मरुस्थल और लू के खिलाफ प्राकृतिक दीवार है, प्रदूषण से रक्षा करती है और भूजल रिचार्ज का प्रमुख स्रोत है। अरावली की छोटी पहाड़ियां भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं जितनी बड़ी चोटियां, क्योंकि यह एक निरंतर श्रृंखला है।