जयगढ़ हेरिटेज फेस्टिवल 2025: 300 साल पुराने किले में संस्कृति का संगम, पेपॉन लाइव शो बना आकर्षण का केंद्र

Edited By Raunak Pareek, Updated: 08 Dec, 2025 08:07 PM

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जयगढ़ हेरिटेज फेस्टिवल 2025 जयपुर के 300 साल पुराने जयगढ़ किले में शुरू। पेपॉन लाइव, कबीर कैफे और मंगणियार सेडक्शन जैसे शो बने मुख्य आकर्षण।

जयपुर के ऐतिहासिक जयगढ़ किले में शनिवार से ‘जयगढ़ हेरिटेज फेस्टिवल 2025’ का दूसरा संस्करण शुरू हो गया। 300 साल पुरानी इस धरोहर को नई पीढ़ी से जोड़ने के उद्देश्य से आयोजित यह महोत्सव राजस्थान की कला, शिल्प, लोकजीवन और संगीत को एक ही मंच पर प्रस्तुत करता है। राजपरिवार के प्रमुख पद्मनाभ सिंह ने फेस्टिवल को सिर्फ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि विरासत संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल बताया। उनके अनुसार, सवाई जयसिंह द्वितीय की दृष्टि को आज के समय में जीवित रखने के लिए पारंपरिक कला जैसे ब्लॉक प्रिंटिंग, मिरर वर्क, लोकगीत और पारंपरिक भोजन को नए प्लेटफॉर्म से जोड़ना बेहद जरूरी है। 

पेपॉन का लाइव शो: फेस्टिवल का सबसे बड़ा आकर्षण

फेस्टिवल की शाम संगीत के नाम रही, जिसमें कई लोकप्रिय कलाकारों ने मंच संभाला। इस वर्ष सबसे ज्यादा चर्चा पेपॉन लाइव शो की रही, जिन्होंने अपनी दमदार प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके अलावा कबीर कैफे और द अनिरुद्ध वर्मा कलेक्टिव ने भी शानदार परफॉर्मेंस दी। साथ ही रॉयस्टन एबेल के प्रतिष्ठित शो ‘द मंगणियार सेडक्शन’ ने राजस्थान की समृद्ध संगीत विरासत को अनोखे रंग और रोशनी के साथ पेश किया। 

36 ऐतिहासिक ‘कारखानों’ को फिर से जीवित करने का प्रयास

जयपुर के पुराने “36 कारखानों” जो कभी शहर की आत्मनिर्भरता और कला परंपरा का केंद्र थे अब धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। फेस्टिवल के जरिए इन परंपराओं को आधुनिक बाजार से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

मुख्य आकर्षण :-

·         सांगानेरी और बगरू ब्लॉक प्रिंटिंग

·         बंधेज–बांधनी

·         लाख की चूड़ियां

·         मार्बल क्राफ्ट

·         हस्तशिल्प वर्कशॉप्स

आर्थिक संसाधनों की कमी इन कलाओं के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है, लेकिन फेस्टिवल इन्हें नई पहचान देने का अवसर प्रदान कर रहा है। 

कठपुतली और लोककलाओं का विशेष प्रदर्शन

फेस्टिवल में पारंपरिक राजस्थानी लोककलाओं को भी प्रमुख स्थान दिया गया है।

·         नाथू लाल सोलंकी और मोहम्मद शमीम द्वारा कठपुतली कला

·         श्योपत जूलिया द्वारा पुरानी लोकधुनों और देशी वाद्यों पर प्रस्तुतियां

इन प्रदर्शनों ने दर्शकों को राजस्थान की भूली-बिसरी लोक परंपराओं से रूबरू कराया।

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