Edited By Rahul yadav, Updated: 08 Nov, 2024 08:09 PM
"राजस्थान के दौसा जिले में इस बार चुनावी मैदान में एक नई आवाज ने दस्तक दी है—विप्र गोयल। आईआईटी खड़गपुर से पढ़े विप्र, जो पहले योजना आयोग में अपनी सेवाएँ दे चुके हैं, अब क्षेत्र के विकास के एक ठोस और समावेशी मॉडल के साथ राजनीति में उतरे हैं। वे...
"राजस्थान के दौसा जिले में इस बार चुनावी मैदान में एक नई आवाज ने दस्तक दी है—विप्र गोयल। आईआईटी खड़गपुर से पढ़े विप्र, जो पहले योजना आयोग में अपनी सेवाएँ दे चुके हैं, अब क्षेत्र के विकास के एक ठोस और समावेशी मॉडल के साथ राजनीति में उतरे हैं। वे जातिगत राजनीति से हटकर किसानों, युवाओं और स्थानीय व्यवसायियों के मुद्दों पर फोकस करना चाहते हैं।
विप्र गोयल का मानना है कि यदि सरकार की योजनाओं को सही ढंग से लागू किया जाए, तो दौसा में पानी, बिजली और रोजगार की समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। वे बताते हैं कि कैसे एक किसान परिवार अपनी जीविका चलाने के लिए भी संघर्ष कर रहा है, और हर साल हजारों युवा बेरोजगार होकर गांवों में लौट रहे हैं। विप्र का मानना है कि राज्य में जो लाखों करोड़ रुपये करदाताओं और अन्य स्रोतों से मिलते हैं, यदि उसके 10 प्रतिशत का भी सही तरीके से उपयोग हो, तो गांवों में 2 करोड़ से अधिक रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं।
विप्र गोयल का स्पष्ट संदेश है, 'स्वयं को पहचानो और अपनी वोट की शक्ति को समझो।' वे कहते हैं कि अगर इस बार जनता ने जाति-धर्म से ऊपर उठकर विवेक के आधार पर वोट डाले, तो क्षेत्र में एक नई दिशा और स्थिरता आएगी। 'आपका भीड़ू आपका गन्ना किसान'—विप्र के इस आत्मीय संदेश ने न केवल ग्रामीणों, बल्कि युवाओं और व्यवसायियों का दिल जीत लिया है। उनके इस संकल्प से स्पष्ट है कि यदि उन्हें जनता का समर्थन मिलता है, तो दौसा एक समृद्ध और सशक्त क्षेत्र के रूप में उभर सकता है।"