Edited By Chandra Prakash, Updated: 12 Apr, 2025 03:39 PM

जयपुर की एक अदालत ने 42 लाख रुपये के चेक को लेकर दायर एक आपराधिक परिवाद को खारिज करते हुए आरोपी को दोषमुक्त करार दिया है। यह फैसला अतिरिक्त मुख्य महानगरी मजिस्ट्रेट सीमा रानी की अदालत ने सुनाया।
जयपुर, 12 अप्रैल 2025 : जयपुर की एक अदालत ने 42 लाख रुपये के चेक को लेकर दायर एक आपराधिक परिवाद को खारिज करते हुए आरोपी को दोषमुक्त करार दिया है। यह फैसला अतिरिक्त मुख्य महानगरी मजिस्ट्रेट सीमा रानी की अदालत ने सुनाया।
इस मामले में तारानगर, चूरू निवासी नईम अख्तर खान को सुल्तान नगर, गोपालपुरा बाईपास निवासी राकेश कुमार शर्मा द्वारा 42 लाख रुपये की चेक राशि के भुगतान को लेकर मुकदमा दायर किया गया था। परिवादी का आरोप था कि नईम अख्तर खान ने 29 जनवरी 2020 को 42 लाख रुपये नकद उधार लिए थे और उसके बदले 7 फरवरी 2020 को एक चेक जारी किया, जो बाद में बैंक से अनादरित (डिशॉनर) हो गया।
अदालत ने आरोपी को किया दोषमुक्त
नईम अख्तर खान की ओर से एडवोकेट सुमनेश जांगिड और श्वेताभ सिंघल ने कोर्ट में पैरवी की। उन्होंने दलील दी कि यह चेक किसी कानूनी देयता के तहत नहीं दिया गया था। यह भी बताया गया कि चेक पार्टनरशिप डीड बनवाने एवं बैंक खाता खुलवाने के लिए लिया गया था, न कि किसी उधारी के भुगतान के लिए।
वकीलों ने यह भी कहा कि परिवादी की ओर से अदालत में कोई भी वैध उधारनामा या लेन-देन से संबंधित दस्तावेज पेश नहीं किया गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि परिवादी ने सर्वोत्तम साक्ष्य को जानबूझकर अदालत से छुपाया, जिससे उसकी मंशा पर सवाल उठते हैं।
कोर्ट की टिप्पणी
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मात्र चेक देने से यह सिद्ध नहीं होता कि आरोपी पर विधिक देयता थी। जब तक लेन-देन को लेकर पुख्ता साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए जाते, तब तक अभियोजन की कहानी पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
इस आधार पर अदालत ने नईम अख्तर खान को दोषमुक्त करते हुए मुकदमा खारिज कर दिया।
यह मामला चेक बाउंस कानून (धारा 138, परक्राम्य लिखत अधिनियम) से संबंधित था। यह फैसला उन मामलों के लिए नज़ीर बन सकता है, जहां चेक की वैधता पर कानूनी सवाल खड़े होते हैं।