राजस्थान में छाएंगे भजन-मदन, वसुंधरा पर क्या हुआ मंथन ?

Edited By Chandra Prakash, Updated: 26 Jul, 2024 06:26 PM

bhajans and madan will dominate rajasthan what happened regarding vasundhara

राजनीति में कुछ ऐसा ही हाल है, एक को नाकाम साबित कर दूसरा लाया जाता है, तो दूसरा बनते ही तीसरे की तैयारी हो जाती है । चाहे वो कांग्रेस हो या बीजेपी...सत्ता और संगठन के गलियारे हर किसी के लिए हमेशा आबाद नहीं रहते । किस की हरसतों का चमन उजड़ा और किसी...

जयपुर, विशाल सूर्यकांत, 26 जुलाई 2024 ।  लियाक़त जाफ़री लिख गए कि -“वही बनाते थे लोहे को तोड़ कर ताला, फिर उस के बा'द वही चाबियाँ बनाते थे”

राजनीति में कुछ ऐसा ही हाल है, एक को नाकाम साबित कर दूसरा लाया जाता है, तो दूसरा बनते ही तीसरे की तैयारी हो जाती है । चाहे वो कांग्रेस हो या बीजेपी...सत्ता और संगठन के गलियारे हर किसी के लिए हमेशा आबाद नहीं रहते । किस की हरसतों का चमन उजड़ा और किसी के लिए चमन हरियाला बगीचा बन दिया, बहरहाल, बात हो रही है भारतीय जनता पार्टी में बदलाव की । 

प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सीपी जोशी की पारी समाप्ति का एलान हो ही गया है । दरअसल, कोई नेता जब नेतृत्व संभालता है तो नियुक्ति से पहले हालात बनाए जाते हैं और इसी तरह विदाई होती है तो भी ऐसे वक्त और हालात को उरूज पर लाया जाता है, गोया लगे कि बदलाव ज़रूरी था । राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर मदन राठौड़ को लाया गया है । ठीक वैसे ही जैसे सतीश पूनिया को रिप्लेस कर सीपी जोशी को लाया गया था । सीपी जोशी थोड़े सौभाग्यशाली रहे कि सांसदी का चुनाव जीत कुर्सी छोड़ रहे हैं । क्योंकि सतीश पूनिया जी को एक बारगी राजनीति से सन्यास लेने का ही ख़्याल आ गया था, अब हरियाणा में उनकी ओहदा पोशी हुई है...प्रभारी के रूप में तो उनकी वहां चवन्नी खूब चल रही है । बात हो रही थी हालात कि....राजस्थान में लगातार तीन बार 25 में से 25 सीटें जीतने वाली पार्टी को इस बार 10 सीटें कम मिली है लोकसभा चुनावों में । जाहिर है कि इसकी गाज़ किसी न किसी पर तो गिरनी थी, लेकिन डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने जिस तरह से अपनी जिम्मेदारी की सीटों में हार को लेकर इस्तीफा दे दिया था । भाजपा में अंदरखाने में सुगबुगाहट शुरु हो गई थी कि किरोड़ी ने जो दांव खेला है, वो ठीक उसी तरह से है जिसमें कहा जाता है कि हम तो डूबेंगे सनम, तुमको भी ले डूबेंगे । हालांकि ये बदलाव का सिर्फ एक पहलू है...दूसरे कई पहलू हैं, जिसमें 25 सीटें नहीं जीता पाना, उपचुनाव का आने वाला मौका भी एक पहलू है । 

साथ ही राजस्थान में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, प्रदेशाध्यक्ष और संवैधानिक पद पर बैठे राज्यपाल सभी ब्राह्म्ण वर्ग से थे, लिहाजा, बाकी जातियों को संतुलित करना जरूरी था । इसीलिए सीपी जोशी को हटाया जाना है ये पहले ही तय था । मुद्दा यह था कि आखिर सीपी जोशी, पार्टी अध्यक्ष की जो कुर्सी छोड़ेंगे, उस पर बैठने वाला कौन है ?  कई नाम सामने आ रहे थे, लेकिन दांव लगा मदन राठौड के नाम...अब पूछिए कि मदन राठौड़ ही क्यों ? भाजपा में ये मोदी और शाह का दौर है, जिसमें अपनों पर लगातार नजरें रखी जाती है और मौका मिलते ही उन्हें मैन स्ट्रीम पॉलिटिक्स में ले आया जाता है । मदन राठौड़ वही शख्स हैं जो विधानसभा चुनावों में टिकट न मिलने से खफ़ा होकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भर आए थे, लेकिन पीएम मोदी के एक फोन के बाद न सिर्फ अपना नामांकन वापस ले आए, बल्कि पार्टी के लिए जी-जान से प्रचार में भी जुट गए । 

सरकार आते ही अचानक नेपथ्य से बाहर आए मदन राठौड़ और उनकी राष्ट्रीय नेताओं से नजदीकी का अहसास जनता को तब हुआ । जब राज्यसभा चुनावों के लिए उन्हें उम्मीदवार बनाया गया । बता दें कि मदन राठौड़ घांची वर्ग से हैं, जो कि ओबीसी में आता है । उन्हें अध्यक्ष बनाकर राजस्थान में मूल ओबीसी वर्ग के लिए राजनीतिक रूप से खाली जगह को न सिर्फ भरा गया, बल्कि आने वाले चुनावों के लिए पॉलिटिकल मैसेज भी दिया है । एक और बड़ा राजनीतिक पहलू यह कि मदन राठौड़, मोदी और वसुंधरा दोनों फैक्टर के मापदंडों पर फिट बैठते हैं । कभी वसुंधरा राजे की कैबिनेट में संसदीय सचिव रहे मदन राठौड़ राजस्थान में संगठन के दो पाटों के बीच संतुलन साधने का काम करेंगे । ये उम्मीद की जा रही है, नए अध्यक्ष के बाद भजनलाल कैबिनेट में फेरबदल का दौर भी जल्द शुरु होने वाला है, साथ ही किरोड़ीलाल मीणा की अगली जिम्मेदारी, वसुंधरा राजे की सियासी पारी सारे अधूरे सवालों के जवाव मिलने का अब टाइम आता दिख रहा है । 

उधर, कांग्रेस के गलियारों में भी विधानसभा सत्र के बाद उठापटक का दौर चलेगा । सचिन पायलट जिस रूप में राजस्थान में सक्रिय हो रहे हैं, एनएसयूआई, यूथ कांग्रेस के कार्यक्रमों में जा रहे हैं । आने वाले वक्त में उनकी पारी संवरना तय है, उधर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, अपनी सेहत के चलते आराम कर रहे हैं । दोनों जिस तरह से अभी भी बयानबाजी में लगे हैं, उससे साफ है कि कांग्रेस में नेतृत्व की जंग, सरकार जाने के बावजूद भी थमी नहीं है । 

कांग्रेस और बीजेपी की सियासत में हो रहे बदलाव और घटनाक्रमों पर क्या है आपकी राय ?

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