राजस्थान कांग्रेस मुख्यालय पर कार्यकर्ताओं का जमावड़ा

Edited By Shruti Jha, Updated: 24 Jul, 2025 06:18 PM

workers gather at rajasthan congress headquarters

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी मुख्यालय पर आज झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक चौधरी के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का आभार व्यक्त किया। यह आभार डोटासरा के...

राजस्थान कांग्रेस मुख्यालय पर कार्यकर्ताओं का जमावड़ा: गोविंद सिंह डोटासरा ने बीजेपी पर साधा निशाना

जयपुर, 24 जुलाई: राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी मुख्यालय पर आज झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक चौधरी के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का आभार व्यक्त किया। यह आभार डोटासरा के कार्यकाल के 5 वर्ष पूरे होने और क्षेत्र में मंडल, ब्लॉक तथा बूथ कमेटियों की नियुक्तियों के उपलक्ष्य में व्यक्त किया गया।

इसी क्रम में, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा नव-नियुक्त उद्योग एवं व्यापार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष मुकुल गोयल, पर्यावरण संरक्षण प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सुशील पारीक, कच्ची बस्ती प्रकोष्ठ के अध्यक्ष भरत मेघवाल और अभियोग प्रकोष्ठ की अध्यक्षा योगिता शर्मा ने भी अपने-अपने समर्थकों के साथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से भेंट कर अपनी नियुक्तियों पर आभार जताया।

इस अवसर पर मीडिया को संबोधित करते हुए प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर उन्हें खत्म करने का कार्य कर रही है। डोटासरा ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में देश के संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए पूरी कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में एकजुट होकर कार्य कर रही है, तथा भाजपा के संविधान विरोधी कार्यों का पुरजोर तरीके से विरोध किया जा रहा है।

"भाजपा की विचारधारा गोडसेवादी"

डोटासरा ने कांग्रेस की विचारधारा को "सब को साथ लेकर चलने वाली" बताया, जबकि भाजपा की विचारधारा को "गोडसेवादी" करार दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा विरोधियों को गोली मारने और उनकी आवाज दबाने की प्रवृत्ति के अनुरूप कार्य कर रही है।

उपराष्ट्रपति के इस्तीफे पर उठाए सवाल

उन्होंने हाल ही में उपराष्ट्रपति के इस्तीफे का मुद्दा उठाते हुए कहा कि राजस्थान के एक विद्वान व्यक्ति को पहले भाजपा सरकार ने राज्यपाल बनाया और फिर उपराष्ट्रपति, लेकिन ऐसी क्या परिस्थिति उत्पन्न हो गई कि उन्हें अपने कार्यकाल के बीच में ही इस्तीफा देना पड़ा? यह लोकतांत्रिक प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह है और इससे उजागर होता है कि देश में तानाशाही तरीके से सरकार चल रही है।

डोटासरा ने आरोप लगाया कि भाजपा का एक ही एजेंडा है – किसान परिवारों, दलितों, पिछड़ों, और गरीब सवर्णों को भ्रमित करना, उनके वोट लेना और जो भाजपा की तानाशाही स्वीकार न करें, उन्हें सिस्टम से बाहर फेंक देना। उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए एक खतरनाक संकेत बताया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार उपराष्ट्रपति का इस्तीफा हुआ, वह पूरे राजस्थान प्रदेश का अपमान है। यदि यह इस्तीफा दबाव में हुआ है, तो ये दोनों ही स्थितियां लोकतंत्र के लिए खतरनाक हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सभी 36 कौमों को आज यह विश्वास हो गया है कि भाजपा की "डबल इंजन" सरकार लोकतंत्र को नहीं मानती और तानाशाही की राह पर चल रही है, असहमति रखने वालों को कुचलने का काम कर रही है। डोटासरा ने चेतावनी दी कि आने वाले समय में भाजपा को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा, क्योंकि उनकी कार्यप्रणाली "यूज एंड थ्रो" (इस्तेमाल करो और काम खत्म होने पर फेंक दो) वाली है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सतीश पूनिया, राजेंद्र राठौड़, सी.पी. जोशी और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जैसे नेता, जिन्होंने प्रदेश में भाजपा को मजबूत किया, उन्हें दरकिनार कर "पर्ची भेजकर" मुख्यमंत्री बना दिया गया। उन्होंने कहा कि भाजपा का काम ही यह है कि जनता जिन्हें चाहती है या पसंद करती है, उन्हें दरकिनार किया जाए, और जनता जो काम चाहती है उसे नजरअंदाज किया जाए।

पंचायत और निकाय चुनावों पर भी उठाए सवाल

डोटासरा ने भाजपा सरकार पर लगातार संविधान के प्रावधानों को नजरअंदाज कर नगर निकायों एवं पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव प्रदेश में न करवाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि संविधान में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव 5 वर्ष में करवाना अनिवार्य है, उसी प्रकार पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों के चुनाव भी 5 वर्ष में करवाया जाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि भाजपा की प्रदेश सरकार इन प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है। उन्होंने एक कैबिनेट मंत्री के बयान पर भी सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने दिसंबर में चुनाव करवाने की बात कही थी, जबकि वे न तो कमेटी के मुखिया हैं और न ही पंचायती राज एवं नगर निकाय विभाग के मंत्री। उन्होंने कहा कि दिसंबर तक तो ओबीसी आयोग की रिपोर्ट भी आना मुश्किल है, ऐसे में किस आधार पर दिसंबर में चुनाव करवाने की बात कही जा रही है, यह समझ से परे है। उन्होंने यह भी पूछा कि जिन जिला परिषदों और 230 पंचायत समितियों का कार्यकाल दिसंबर 2026 और जनवरी 2027 तक है, उनके चुनाव समय से पहले किस प्रावधान के अनुसार करवाएंगे, इसका भी जवाब भाजपा सरकार नहीं दे रही है।

विकास कार्यों और वित्तीय कुप्रबंधन पर भी हमला

डोटासरा ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के शासन में बनी सड़कों और पूर्ण हुए विकास कार्यों का भुगतान भाजपा सरकार नहीं कर रही है। उन्होंने आशंका जताई कि दिसंबर माह के बाद सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन का परिणाम यह होगा कि सरकार कर्मचारियों को वेतन देने में भी असमर्थ हो जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश की राजधानी जयपुर में यह हालात हैं कि मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का प्रत्याशी अपने समर्थकों के साथ आम जनता की तकलीफें दूर करने के लिए सड़कों के गड्ढे भर रहा है, "प्रदेश में सरकार नहीं, सर्कस चल रहा है।"

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