"भारत के जनजातीय समुदाय: पहचान की खोज" विषयक दो -दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

Edited By Kailash Singh, Updated: 07 Aug, 2025 07:08 PM

seminar on tribal communities of india a quest for identity organized

जयपुर के आर. ए. पोद्दार इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में "भारत के जनजातीय समुदाय: पहचान की खोज" विषय पर आयोजित दो-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन समारोह विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर 07 अगस्त को आयोजित किया गया। इस संगोष्ठी का आयोजन यूनिवर्सिटी...

"भारत के जनजातीय समुदाय: पहचान की खोज" विषयक दो -दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 

जयपुर के आर. ए. पोद्दार इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में "भारत के जनजातीय समुदाय: पहचान की खोज"  विषय पर आयोजित दो-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन समारोह विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर  07 अगस्त को आयोजित किया गया। इस संगोष्ठी का आयोजन यूनिवर्सिटी राजस्थान कॉलेज द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम का आयोजन स्थल आर.ए. पोद्दार प्रबंधन संस्थान, जयपुर रहा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुंजीलाल मीणा, अतिरिक्त मुख्य सचिव,जनजातीय क्षेत्र विकास विभाग,‌राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा जनजातीय उत्थान एवं सशक्तिकरण के लिए उठाए गए विभिन्न कार्यक्रमों और सुधारों पर प्रकाश डाला। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् एवं सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने उद्बोधन में जल, जीवन, ज़मीन और जानवर के बीच के पारिस्थितिकी संबंधों पर जोर दिया तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में जनजातीय समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने  का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए जनजातीय अधिकारों एवं निर्णय लेने की प्रक्रिया में **स्वतंत्र, पूर्व एवं सूचित सहमति  के महत्व को रेखांकित किया। अतिविशिष्ट अतिथि प्रो. नीरज हाटेकर ने "जनजातीय समुदायों की पहचान की खोज" को विषय बनाते हुए जाति जनगणना में पाई जा रही विसंगतियों* पर चर्चा की और एक समावेशी एवं प्रतिनिधि दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता जताई। राजस्थान कॉलेज के प्राचार्य एव संगोष्ठी निर्देशक प्रो. विनोद शर्मा ने संगोष्ठी के उद्देश्यों का समर्थन करते हुए अपने विचार साझा किए। संगोष्ठी के संयोजन डॉ. जी.एल. मीणा ने किया तथा डॉ. मुकेश बैरवा ने कार्यक्रम सचिव की भूमिका निभाई।
संगोष्ठी के दौरान सतत् विकास एवं पर्यावरण संरक्षण में जनजातीय समुदायों की भूमिका” विषय पर एक पैनल परिचर्चा आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता प्रो. नीरज हाटेकर ने की जिसमें प्रो. एम.के. पंडित, डॉ. अरुण उरांव एवं डॉ. मोतीलाल महामलिक ने भाग लिया। इस चर्चा में जनजातीय समुदायों द्वारा सतत विकास पहलों का नेतृत्व किए जाने पर महत्वपूर्ण विचार सामने आए। "जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा" पर एक विशेष व्याख्यान श्री हरिराम मीणाद्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें उनके योगदान और विरासत को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। 

संगोष्ठी के अंतर्गत निम्नलिखित दो विषयों पर तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया, जिनमें कई शोधपत्र प्रस्तुत किए गए:

1. *जनजातीय समुदायों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य*
2. *विकास संबंधी चुनौतियाँ और नीतिगत प्रावधान*

इस आयोजन में विद्वानों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे जनजातीय पहचान, इतिहास, अधिकारों एवं विकास पर एक सार्थक अकादमिक विमर्श संभव हो सका।

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