Edited By Chandra Prakash, Updated: 27 Jul, 2025 07:02 PM

भारत सरकार के वित्त मन्त्रालय के अधीन आने वाले केन्द्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क (सेंट्रल एक्साइज और कस्टम विभाग) के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए दक्षिणी राजस्थान की ख़ूबसूरत झीलों की नगरी उदयपुर में राजस्थान हाऊसिंग बोर्ड से खरीदे गए 84 मकानों में...
उदयपुर/जयपुर/नई दिल्ली, 27 जुलाई 2025 । भारत सरकार के वित्त मन्त्रालय के अधीन आने वाले केन्द्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क (सेंट्रल एक्साइज और कस्टम विभाग) के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए दक्षिणी राजस्थान की ख़ूबसूरत झीलों की नगरी उदयपुर में राजस्थान हाऊसिंग बोर्ड से खरीदे गए 84 मकानों में से अधिकांश मकानों के जर्जर हो जाने से भारत सरकार को करोड़ों रु. का चूना लग रहा है।
दरअसल भारत सरकार के सेंट्रल एक्साइज और कस्टम विभाग का दफ़्तर कुछ दशकों पूर्व 1997 में उदयपुर में खुला था। तब यह जिला कलकटर निवास के पास भट्टजी की बाड़ी में किराए के एक मकान में कुछ वर्षों तक जयपुर आयुक्तालय द्वितीय के अधीन संचालित हुआ। कालान्तर में यह कार्यालय 2014 में उदयपुर के हिरण मगरी सेक्टर-11 में अपने स्वयं के भवन में शिफ़्ट हो गया।
इस दर्मियान देश के विभिन्न भागों से ट्रांसफ़र होकर उदयपुर आने वाले सेंट्रल एक्साइज और कस्टम विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के आवास की समस्या को दूर करने के लिए एक योजना बनाई गई।इस योजना के अंतर्गत राजस्थान आवासन मण्डल और भारत सरकार के मध्य हुई चर्चा के बाद सेंट्रल एक्साइज और कस्टम विभाग ने राजस्थान हाउसिंग बोर्ड के मकान ख़रीदने की डील को फ़ाइनल किया गया। इसके तहत हिरण मगरी सेक्टर-14 और उदयपुर नगर के विभिन्न हिस्सों में राजस्थान हाउसिंग बोर्ड के एचआईजी और अन्य श्रेणियों के करोड़ों रुपयों के 84 मकान ख़रीदें गए लेकिन विभागीय अदूरदर्शिता,विवेक और सूझबूझ की कमी के कारण एक भी मकान में कोई भी अधिकारी और कर्मचारी शिफ़्ट नही हुआ। फलस्वरूप यें सभी मकान पिछलें क़रीब तीन दर्शकों से खाली पड़े रहें और वर्तमान में जर्जर हालात में पहुँच गए हैं। इधर सेंट्रल एक्साइज और कस्टम विभाग के अधिकारी और कर्मचारी प्राइवेट मकानों में रह कर भारत सरकार से मकान किराया भी क्लेम करते रहें हैं। इस प्रकार भारत सरकार को दोहरा नुक़सान पहुँचा तथा करोड़ों रु का चूना लग रहा हैं। हालाँकि राज्य के तत्कालीन गृह मन्त्री गुलाब चंद कटारिया और क्षेत्रीय सांसदों और अन्य जन प्रतिनिधियों द्वारा केन्द्रीय वित्त मन्त्री को पत्र लिखने से विभाग द्वारा कुछ दस मकानों की मरम्मत करवा उन्हें छोटे कर्मचारियों को आवंटित किया गई लेकिन शेष मकान अभी भी अपनी दुर्दशा पर आँसू बहा रहें है ।
इन मकानों की जो दुर्दशा हुई है वह किसी आपराधिक कृत्य से कम नहीं कही जा सकती। राजस्थान हाउसिंग बोर्ड ने इन मकानों को वेल फ़र्निश कर सेंट्रल एक्साईज और कस्टम विभाग को सुपुर्द किया था लेकिन इसमें सेंट्रल एक्साइज और कस्टम विभाग के किसी अधिकारी और कर्मचारियों के नहीं रहने से आपराधिक कार्यों में संलग्न लोगों ने इन मकानों के दरवाजें, खिड़कियाँ, पंख़ें, नल की टूटियाँ,अन्य फ़िक्सर, बिजली के बोर्ड आदि सभी सामान चोरी कर और नोंच-नोंच कर निकाल लिए ।साथ ही यें मकान शराबियों, चरस पीने वालों और अन्य जरामय पेशा लोगों तथा आवारा पशुओं के अड्डे बन कर रह गए। साथ ही सर्दी,गर्मी और वर्षा की मार और थपेड़ों ने इनकी दीवारों और ब्रावंडरीज (चार दीवारों )आदि को जर्जर करके रख दिया। इन मकानों के साथ राजस्थान हाउसिंग बोर्ड के मकानों की कोलोनियों में रहने वाले अन्य निवासियों के मकानों को भी भारी नुकसान पहुंचा है तथा वे कई प्रकार की परेशानियों को भोग रहें हैं। इन सुनसान मकानों से निकलने वाले साँप,बिच्छू और अन्य आवारा तथा हिंसक पशुओं से उनकी जान को भी खतरा बना हुआ हैं। साथ ही नशेडियों,चोरों और जरामय आपराधिक प्रवृतियों में संलिप्त लोगों से भी वे बहुत परेशान हैं। इन सुनसान और बियाबान घरों के आसपास रहने वाले लोगों के घरों में आयें दिन चोरियां की वारदातें भी बढ़ी हैं।नागरिकों ने प्रशासन पुलिस और भारत सरकार तक कई बार अपनी गुहार लगाई है लेकिन अब तक समस्या का कोई समाधान नही होने से सभी लोग काफी त्रस्त हैं।
विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी उदयपुर की पॉश कोलोनियों में भारत सरकार के सेंट्रल एक्साइज और कस्टम विभाग के करोड़ों रुपयों के खाली पड़े यें मकान नगर की ख़ूबसूरती में एक बदनुमा दाग की तरह हर किसी को चुभ रहें हैं।