नेपाल संकट पर पूर्व उप प्रधानमंत्री उपेंद्र यादव का बड़ा बयान: युवाओं का गुस्सा भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सोशल मीडिया बैन से

Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 09 Sep, 2025 07:35 PM

big statement of former deputy prime minister upendra yadav on nepal crisis

युवाओं का आक्रोश भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सोशल मीडिया प्रतिबंध से राजशाही की नहीं, लोकतांत्रिक संवाद की ज़रूरत- उपेंद्र यादव (पूर्व उप प्रधानमंत्री,नेपाल से विशेष बातचीत)

पंजाब केसरी, डिजिटल एडिटर विशाल सूर्यकांत शर्मा ने नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री उपेंद्र यादव से काठमांडू की ताज़ा अराजक परिस्थितियों पर विशेष बातचीत की। यहां प्रस्तुत है संवाद के प्रमुख अंश –

प्रश्न 1 : काठमांडू और नेपाल में जो हालात बने हैं, उनकी जड़ आप कहां देखते हैं?

उपेंद्र यादव: आज नेपाल जिस उथल-पुथल से गुजर रहा है, उसका सबसे बड़ा कारण भ्रष्टाचार है। युवाओं में गुस्सा इसलिए है क्योंकि उन्हें लगता है कि व्यवस्था में पारदर्शिता और मेरिट की कोई जगह नहीं बची। पढ़ाई-लिखाई करने के बाद भी रोजगार नहीं मिल रहा। यह बेरोजगारी और भ्रष्टाचार मिलकर युवाओं के भीतर विस्फोटक असंतोष पैदा कर रहे हैं।

प्रश्न 2 : सरकार ने हाल ही में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया। इसका कितना असर पड़ा?

उपेंद्र यादव: सरकार का यह कदम पूरी तरह गलत था। आज के समय में युवा सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि आजीविका के लिए भी सोशल मीडिया पर निर्भर हैं। बहुत से लोग वहीं से अपना व्यापार, रोजगार और करियर बना रहे हैं। ऐसे में सोशल मीडिया बैन करना युवाओं की उम्मीदों पर सीधा प्रहार है। इससे हालात और बिगड़े।

 

प्रश्न 3 : क्या आपको लगता है कि मौजूदा सरकार हालात संभाल पाने में नाकाम रही है?

उपेंद्र यादव : बिलकुल। मंत्रियों पर हमले हो रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा बंद होने की खबरें सामने आईं और प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग जोर पकड़ने लगी। यह सब दर्शाता है कि सरकार ने हालात पर से नियंत्रण खो दिया है। मेरे विचार में सरकार के पास इस्तीफा देने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था।

प्रश्न 4 : विपक्षी खेमे से यह भी कहा जा रहा है कि यह आंदोलन कहीं राजशाही की वापसी का मार्ग तो नहीं बना रहा?

उपेंद्र यादव: मैं साफ कर देना चाहता हूं कि इस आंदोलन का मकसद राजशाही की वापसी नहीं है। यह असली संकट राजनीतिक अस्थिरता और लोकतांत्रिक सरकारों की लगातार विफलता का है। समाधान राजशाही में नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण संवाद में है। नेपाल ने बहुत संघर्ष कर लोकतंत्र पाया है, हमें उसी को बचाना है।

प्रश्न 5 : आपके अनुसार इस संकट से निकलने का रास्ता क्या है?

उपेंद्र यादव: मेरी राय में जो भी अंतरिम सरकार बने, उसका पहला दायित्व युवाओं की मांगों को गंभीरता से सुनना होना चाहिए। राजनीतिक दलों को अपनी आपसी खींचतान छोड़कर साझा समाधान की ओर बढ़ना होगा। लोकतांत्रिक बातचीत और विश्वास बहाली ही इस समस्या का रास्ता है।

प्रश्न 6 : आप आंदोलनरत युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगे?

उपेंद्र यादव: मैं युवाओं से यही अपील करता हूं कि वे अपना आक्रोश शांतिपूर्ण ढंग से प्रकट करें। हिंसा से कोई लाभ नहीं होगा। आंदोलन का मकसद तभी सफल होगा जब वह लोकतांत्रिक मर्यादाओं में रहकर अपनी मांगों को सामने रखे। मैं सभी नागरिकों से कहना चाहता हूं कि यह कठिन समय धैर्य और संयम से निकालना होगा। देश को स्थिरता की ओर ले जाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। लोकतंत्र को मजबूत करना ही नेपाल के भविष्य की गारंटी है।

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