Edited By Sourabh Dubey, Updated: 28 Dec, 2025 12:10 PM

राजस्थान के टोंक जिले की तहसील दूनी स्थित आंवा गांव के निवासी डॉ. प्रभु लाल सैनी ने खजूर (Date Palm – Phoenix dactylifera L.) की खेती के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है।
जयपुर। राजस्थान के टोंक जिले की तहसील दूनी स्थित आंवा गांव के निवासी डॉ. प्रभु लाल सैनी ने खजूर (Date Palm – Phoenix dactylifera L.) की खेती के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। डॉ. सैनी द्वारा विकसित कृषक पौधा किस्म ST-1 को पौधा किस्म संरक्षण और कृषक अधिकार अधिनियम, 2001 (PPV&FRA) के तहत भारत सरकार द्वारा पंजीकृत किया गया है।
यह पंजीकरण न केवल एक किसान-वैज्ञानिक की मेहनत का प्रमाण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि नवाचार अब केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं, बल्कि खेतों से भी निकल रहा है।
ST-1: किसान द्वारा विकसित, सरकार द्वारा मान्य
डॉ. प्रभु लाल सैनी ने अपने आवेदन में यह घोषित किया कि वे खजूर की कृषक पौधा किस्म ST-1 के वास्तविक प्रजनक हैं। अधिनियम के तहत किसी भी प्रकार की आपत्ति न आने के बाद, दिसंबर 2025 से आगामी 9 वर्षों के लिए उन्हें इस किस्म के उत्पादन, विक्रय, विपणन, वितरण, आयात एवं निर्यात का अनन्य अधिकार प्रदान किया गया है।
इस अधिकार के तहत वे किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को भी इस किस्म के उपयोग के लिए अधिकृत कर सकते हैं, बशर्ते कि निर्धारित शुल्क और विधिक शर्तों का पालन किया जाए।
तीन नई किस्में, एक ही फार्म हाउस पर शोध
डॉ. सैनी यहीं नहीं रुके। उन्होंने अपने फार्म हाउस पर खजूर की तीन नई किस्में विकसित की हैं, जिनमें से एक ST-1 को भारत सरकार से औपचारिक पंजीकरण प्राप्त हो चुका है। यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि खजूर जैसी फसल पर अब तक यह स्तर का कार्य देश के बड़े कृषि वैज्ञानिक संस्थानों तक सीमित माना जाता था।
कृषि विज्ञान के लिए नई दिशा
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह सफलता उन किसानों के लिए प्रेरणा है, जो स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार नई किस्में विकसित करने का साहस रखते हैं। डॉ. सैनी का यह कार्य साबित करता है कि—
“खजूर में जो काम आज तक बड़े कृषि वैज्ञानिक नहीं कर पाए, वह काम एक किसान ने कर दिखाया।”
किसानों के लिए क्या बदलेगा?
खजूर की उन्नत और स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल किस्म
बेहतर उत्पादन और गुणवत्ता की संभावना
किसान-प्रजनकों को बौद्धिक संपदा अधिकारों की वास्तविक शक्ति
डॉ. प्रभु लाल सैनी की यह उपलब्धि न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए एक मिसाल बनकर उभरी है।