ED की छापेमारी से राजनीतिक हलचल, बलजीत यादव पर गंभीर आरोप !

Edited By Rahul yadav, Updated: 24 Jan, 2025 06:21 PM

political stir due to ed raid serious allegations against baljeet yadav

पूर्व विधायक बलजीत यादव के ठिकानों पर शुक्रवार सुबह प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छापेमारी की है। पूर्व विधायक यादव की फर्म पर सरकारी स्कूलों में घटिया सामान की आपूर्ति का आरोप है। ईडी सूत्रों के मुताबिक यादव के जयपुर में 8 ठिकानों के साथ दौसा व अलवर...

पूर्व विधायक बलजीत यादव के ठिकानों पर शुक्रवार सुबह प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छापेमारी की है। पूर्व विधायक यादव की फर्म पर सरकारी स्कूलों में घटिया सामान की आपूर्ति का आरोप है। ईडी सूत्रों के मुताबिक यादव के जयपुर में 8 ठिकानों के साथ दौसा व अलवर स्थित एक-एक ठिकाने पर टीमें पहुंची हैं। रेड की कार्रवाई पीएमएलए कानून के तहत हो रही है। विधायक व उनसे जुड़े कुछ लोगों पर आरोप है कि इनकी कुछ कंपनियों ने सरकारी स्कूल के अंदर विधायक कोष से सामान की आपूर्ति में 3.72 करोड़ रुपए का घोटाला किया। विधायक कोष को दुरुपयोग कर नियमानुसार जो अनुमति लेनी थी, वह परमिशन नहीं ली गई। इसके साथ ही टेंडर देने वाली फर्मों ने फेक डॉक्यूमेंट का यूज किया। साल-2022-23 में बहरोड़ क्षेत्र में बलजीत यादव व उसके सहयोगियों की कंपनियों ने विधायक कोष में क्रिकेट-बैडमिंटन किट की खरीद की थी। आरोप है कि विधायक फंड में हेरफेर कर 2.50 गुना अधिक में खरीद कर सरकार को नुकसान पहुंचाया गया। इसमें कुल 32 स्कूलों को सामान दिया गया था। प्रत्येक स्कूल के लिए 9 लाख का खेल सामान खरीद किया था। दावा किया गया कि क्रिकेट के बैट खरीदे गए उसकी कीमत भी 15,600 तक बताई गई थी। ज्यादातर स्कूलों को 50-50 बैट दिए गए। इस घोटाले में पहले एसीबी की ओर से मामला दर्ज किया गया था। इसमें बलजीत यादव और 8 अधिकारी- कर्मचारियों की मिलीभगत का आरोप था। आरोप है कि विधायक कोष का दुरुपयोग कर सरकार को राजस्व की हानि पहुंचाई गई। बलजीत यादव 2018 से 2023 में बहरोड़ से निर्दलीय विधायक रहे हैं। विधायक रहते हुए बलजीत यादव ने अशोक गहलोत सरकार को समर्थन दिया था, राज्यसभा चुनाव में भी यादव ने कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग की थी।

चलिए अब आपको बताते है की आखिर क्या है PMLA एक्ट?

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मुख्यतः तीन अधिनियमों - पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम), फेमा व एफईओए के तहत किसी संदिग्ध व्यक्ति/संस्था के खिलाफ कार्यवाही कर सकती है। जिसके धन शोधन निवारण अधिनियम (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट - पीएमएलए) में वित्त मंत्रालय द्वारा प्रावधान किया गया है। अब इस कानून के दायरे में चार्टेड अकाउंटेंट (सीए), कंपनी सेक्रेटरी (सीएस) और कॉस्ट एकाउंटेंट से जुड़े लेनदेनों को भी रखा गया है। केंद्र सरकार का मानना है कि कालेधन पर रोक लगाने के लिए यह कदम काफी सहायक होगा।

क्या है पीएमएलए?

पीएमएलए अर्थात धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 एक ऐसा कानून है जो अवैध रूप से कमाये गये काले धन यानी ब्लैक मनी को सफेद धन में परिवर्तित करने अर्थात मनी लॉन्ड्रिंग से रोकता है और आवश्यकता पड़ने पर उसे जब्त करने का भी अधिकार देता है। मनी लॉन्ड्रिंग वह अपराध है, जो किसी संदिग्ध व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा अपराधिक आय को वैध बनाने में किया जाता है। यह अधिनियम 17 जनवरी 2003 को संसद में पारित किया गया और राष्ट्रपति की अनुमति के बाद यह 1 जुलाई 2005 से लागू हुआ। समय के साथ-साथ इसमें कई संशोधन किये गये। इस अधिनियम के लागू होने उपरांत साल 2009 और फिर 2012 में अहम संशोधन किये गये।

पीएमएलए की धारा 3 के अनुसार "जो भी व्यक्ति/संस्था प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कालेधन से जुड़ी किसी भी प्रक्रिया या गतिविधि में शामिल है और इसे वैध संपत्ति बनाने या उसका दावा करना और वित्तीय संपत्तियों को छिपाना आदि मनी-लॉन्ड्रिंग के अपराध की श्रेणी में आता है।

पीएमएलए के उद्देश्य

इस अधिनियम के मुख्यतः तीन उद्देश्य है :

पहला : यह कानून मनी लॉन्ड्रिंग को रोकता एवं नियंत्रित करता है;

दूसरा : किसी व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा लूटे गये धन से प्राप्त संपत्ति को जब्त करने का अधिकार देता है; और

तीसरा : भारत में कालेधन से संबंधित किसी अन्य मुद्दे के निदान का अधिकार भी यही कानून देता है।

पीएमएलए के तहत कार्यवाही के प्रावधान

इस अधिनियम में साल 2012 में संशोधन (15 फरवरी 2013 से लागू हुआ) किया गया। जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग की परिभाषा में विस्तार किया गया। जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग में आपराधिक गतिविधियों को छुपाने, अधिग्रहण, कब्जा करने और अपराध की आय का उपयोग करने जैसी गतिविधियों को भी शामिल किया गया।

वहीं 2015 में "अपराध की आय" की परिभाषा को भी संशोधित किया गया। जिसके अनुसार अपराध की आय को विदेश में ले जाने की स्थिति में अपराधी की घरेलू संपत्तियों को कुर्क/जब्त किया जा सकता है। इस अधिनियम की धारा 447 धोखाधड़ी के लिए सजा से संबंधित है।

पीएमएलए की धारा 8(8), जब्त की गई संपत्ति को सही दावेदारों की जांच पूरी होने के बाद ही देने की अनुमति देती है। ईडी को दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) की धारा 157 के तहत रिपोर्ट के अभाव में भी तलाशी करने का अधिकार देता है।

पीएमएलए, धन शोधन के मामलों की जांच करने के लिए 'ईडी' को और अधिक शक्ति प्रदान करता है तथा ईडी को अस्थायी रूप से कुर्की (धारा 5), कुर्की की पुष्टि (धारा 8(3)), और धन शोधन में शामिल संपत्ति को जब्त करने (धारा 9) की शक्ति भी देता है।

पीएमएलए के तहत सजा

पीएमएलए की धारा 4 में धन शोधन अपराधी के लिए सजा का प्रावधान है। जिसमें दोषी व्यक्ति को 3 साल का कठोर कारावास (जिसे 7 साल व कुछ परिस्थितियों में 10 साल तक भी बढ़ाया जा सकता है) तथा साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

पीएमएलए की धारा 5 में धन शोधन में शामिल संपत्ति की कुर्की का प्रावधान है। इस धारा के अुनसार 'इडी' अधिकारी को 180 दिनों के लिए अपराधी की संपत्ति को कुर्क करने का अधिकार है। यह कुर्की आयकर अधिनियम, 1961 की दूसरी अनुसूची में निर्धारित तरीके से की जाती है। कुर्की के बाद 30 दिनों के भीतर न्यायिक प्राधिकारी के समक्ष शिकायत दर्ज कराई जाती है। जबकि पीएमएलए की धारा 8 के तहत अपराधी की जब्ज की गई संपत्ति के सभी अधिकार सरकार के होंगे।

पीएमएलए के तहत कुल मामले व जब्त राशि

ईडी की वेबसाइट के अनुसार 31 जनवरी 2023 तक पीएमएलए के तहत 5906 मामले दर्ज किए। जिनमें से 176 मामले मौजूदा व पूर्व सांसदों, विधायकों व एमएलसी के खिलाफ दर्ज हुए, जो कुल मामलों का लगभग 2.98 प्रतिशत है। वहीं 1919 मामलों (जारी पीएओ) में ₹115,350 करोड़ की संपत्ति की कुर्की की गई। 513 व्यक्तियों को पीएमएलए के तहत गिरफ्तार किया गया।

पीएमएल की धारा 8(5) के तहत ₹36.23 करोड़ जब्त किये गये तथा अपराधियों पर ₹4.62 करोड़ का जुर्माना भी लगा। वहीं पीएमएल की धारा 8(7) के तहत ₹15587.435 करोड़ जब्त किये गये। इस प्रकार 31 जनवरी 2023 तक ईडी द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत कुल ₹15623.665 करोड़ की संपत्ति पकड़ी गयी।

पीएमएलएम के तहत हाल ही में कुछ मामलें

● अप्रैल 2023 में ईडी ने पीएमएलए के तहत 'रोज वैली ग्रुप ऑफ कंपनीज' मामले में कुल ₹1171.71 करोड़ की संपत्ति कुर्की की। वहीं अरुण मुखर्जी पर ₹250,000 का जुर्माना व सात साल की जेल की सजा भी सुनाई गयी थी।

● अप्रैल 2023 में ही पीएमएलए के तहत पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की ₹11.04 करोड़ मूल्य की संपत्तियों को कुर्क किया।

● दिसंबर 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पीएमएलए के अंतर्गत 'एग्री फ्यूरेन इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड' कंपनी की ₹205 करोड़ से अधिक की संपत्ति कुर्क की।

● तमिलनाडु के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री ए. राजा के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई करते हुए ₹55 करोड़ की संपत्ति दिसंबर 2022 में कुर्क की।

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