परेश रावल @70, बीयर की तरह यूरिन पी:बाबूराव का किरदार बना गले का फंदा !

Edited By Rahul yadav, Updated: 30 May, 2025 05:48 PM

paresh rawal 70 drinks urine like beer baburao s character becomes a problem

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता परेश रावल ने अपने अभिनय कौशल से न केवल सिनेमा जगत में, बल्कि राजनीति की दुनिया में भी अपनी पहचान बनाई है। लगभग 240 फिल्मों में काम कर चुके परेश रावल को आज भी ‘हेरा फेरी’ फिल्म के बाबूराव गणपतराव आपटे के किरदार के लिए याद...

परेश रावल: थिएटर से बॉलीवुड और संसद तक का सफर

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता परेश रावल ने अपने अभिनय कौशल से न केवल सिनेमा जगत में, बल्कि राजनीति की दुनिया में भी अपनी पहचान बनाई है। लगभग 240 फिल्मों में काम कर चुके परेश रावल को आज भी ‘हेरा फेरी’ फिल्म के बाबूराव गणपतराव आपटे के किरदार के लिए याद किया जाता है। हालांकि यह किरदार अब उनके लिए एक ‘गले का फंदा’ बन गया है।

शुरुआती जीवन और थिएटर से जुड़ाव

30 मई 1955 को मुंबई के एक मध्यमवर्गीय गुजराती परिवार में जन्मे परेश रावल का बचपन से ही थिएटर की ओर झुकाव था। उनके पिता दह्याल रावल एक व्यवसायी थे, लेकिन उन्होंने अपने बेटे की थिएटर में रुचि को हमेशा प्रोत्साहित किया। 15 साल की उम्र में परेश ने पहली बार एक नाटक में काम किया।

स्वरूप संपत से प्रेम कहानी और शादी

थिएटर के दौरान ही परेश रावल की मुलाकात अभिनेत्री स्वरूप संपत से हुई। 1975 में कॉलेज के दिनों में एक नाटक के बाद स्वरूप, परेश की एक्टिंग से इतनी प्रभावित हुईं कि सीधे बैकस्टेज पहुंच गईं। यहीं से दोनों की दोस्ती शुरू हुई जो जल्द ही प्यार में बदल गई।

शादी को गुप्त रखने के लिए दोनों ने मुंबई के लक्ष्मीनारायण मंदिर में एक पेड़ के नीचे सात फेरे लिए। इस शादी में नौ पंडितों ने मंत्रोच्चार किया, लेकिन कोई मंडप नहीं था।

संघर्ष का दौर और अभिनय की शुरुआत

थिएटर करते हुए जीवनयापन कठिन हो रहा था, इसलिए परेश ने बैंक ऑफ बड़ौदा में नौकरी कर ली। लेकिन थिएटर के प्रति जुनून के चलते उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी। इस दौरान उन्हें आर्थिक तंगी झेलनी पड़ी और जेब खर्च के लिए वे स्वरूप से पैसे लेते थे। यह बात उन्होंने अनुपम खेर के शो में साझा की थी।

परेश रावल की अभिनय की शुरुआत 1982 में गुजराती फिल्म ‘नसीब नी बलिहारी’ से हुई। इसके बाद 1984 में केतन मेहता की हिंदी फिल्म ‘होली’ से बॉलीवुड डेब्यू किया।

बाबूराव का किरदार: वरदान या अभिशाप?

2000 में आई फिल्म ‘हेरा फेरी’ और उसके सीक्वल ‘फिर हेरा फेरी’ में बाबूराव का किरदार परेश रावल के करियर का टर्निंग पॉइंट बना। हालांकि, एक इंटरव्यू में परेश ने बताया कि अब यह किरदार उनके लिए ‘गले का फंदा’ बन चुका है। लोग उन्हें सिर्फ कॉमेडी और बाबूराव जैसे किरदारों में ही देखना चाहते हैं, जिससे उन्हें घुटन महसूस होती है।

उन्होंने विशाल भारद्वाज और आर. बाल्की जैसे निर्देशकों से बाबूराव के गेटअप में गंभीर और अलग किरदार निभाने की इच्छा जताई, लेकिन बात नहीं बनी।

डॉ. अस्थाना की भूमिका छोड़ने की वजह

‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ में डॉ. अस्थाना का किरदार पहले परेश रावल को ऑफर हुआ था, लेकिन फीस को लेकर निर्माता विधु विनोद चोपड़ा के बर्ताव से नाखुश होकर उन्होंने यह फिल्म छोड़ दी। बाद में यह भूमिका बोमन ईरानी ने निभाई।

फिटनेस मंत्र: पेशाब पीना भी किया ट्राई

फिल्म ‘घातक’ की शूटिंग के दौरान घुटने की चोट के इलाज के लिए परेश रावल ने एक अनोखा तरीका अपनाया। वीरू देवगन की सलाह पर उन्होंने 15 दिन तक सुबह का पहला पेशाब पीया। एक्स-रे रिपोर्ट में दिखा कि उनकी चोट उम्मीद से पहले ठीक हो गई।

राजनीतिक करियर और सिद्धांत

2014 में परेश रावल ने अहमदाबाद ईस्ट लोकसभा सीट से 3 लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की। सांसद बनने के बाद मिले सरकारी बंगले को ठुकराते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें बंगला संस्कृति की आदत नहीं डालनी है, वरना दोबारा चुनाव लड़ने का मन नहीं करेगा।

वे नसीरुद्दीन शाह को अपना आदर्श मानते हैं और यह भी कहते हैं कि उन्हें इस बात से कोई आपत्ति नहीं कि उनके साथी कलाकार सरकार की आलोचना करते हैं।

‘हेरा फेरी 3’ और विवाद

‘हेरा फेरी 3’ को लेकर चल रहे विवाद पर पहली बार परेश रावल के वकीलों ने बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि फिल्म छोड़ने का फैसला सही और कानूनन उचित है। परेश रावल का सफर सिनेमा, थिएटर और राजनीति—तीनों क्षेत्रों में प्रेरणादायक रहा है। एक साधारण गुजराती युवक से लेकर भारतीय सिनेमा के प्रतिष्ठित अभिनेता और संसद सदस्य बनने तक की उनकी कहानी संघर्ष, जुनून और सिद्धांतों से भरी हुई है।

Trending Topics

IPL
Punjab Kings

Mumbai Indians

Teams will be announced at the toss

img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!