New district formation in India : जानिए नए जिलों के गठन की प्रकिया के बारे में सब कुछ ।

Edited By Chandra Prakash, Updated: 11 Sep, 2024 03:05 PM

new district formation in india

भारत में किसी राज्य में नए जिलों के गठन या मौजूदा जिलों को खत्म करने की प्रक्रिया संविधान के तहत राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आती है। इस प्रक्रिया में विभिन्न कानूनी और प्रशासनिक कदम शामिल होते हैं। यहां इस प्रक्रिया को विस्तार से समझा जा...

यपुर, 11 सितंबर 2024 । राजस्थान में पिछली सरकार ने नए जिले बनाए और मौजूदा सरकार कुछ जिलों को फिर से शहरों में तब्दील कर रही है । किसने सही जिले बनाए या नहीं, तब क्या सही है और अब क्या सही है ? इस पर राजनीतिक बयानबाजी को आपने खूब सुनी है, लेकिन अगर आप वाकई नए जिलों के गठन की प्रक्रिया जानना चाहते हैं तो ये ख़बर आपके लिए हैं । आइए आपको समझाते हैं कि किसी नए जिले को बनाने या ख़त्म करने की क्या होती है प्रक्रिया, राज्य सरकारों के पास क्या हैं अधिकार और शक्तियां, कैसे बनते या ख़त्म होते हैं किसी राज्य में नए जिले....

भारत में किसी राज्य में नए जिलों के गठन या मौजूदा जिलों को खत्म करने की प्रक्रिया संविधान के तहत राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आती है। इस प्रक्रिया में विभिन्न कानूनी और प्रशासनिक कदम शामिल होते हैं। यहां इस प्रक्रिया को विस्तार से समझा जा सकता है :

1. संवैधानिक और कानूनी अधिकार
• राज्य सरकार का अधिकार : संविधान के अनुच्छेद 2, 3, और 4 के तहत जिलों की सीमाओं को बदलने, नए जिलों के गठन या मौजूदा जिलों को समाप्त करने का अधिकार राज्य सरकार के पास है ।
• यह कार्य राज्य विधानसभा के अधीन किया जाता है और राज्य सरकार इस संबंध में अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र होती है।

2. राज्य सरकार का निर्णय
• नए जिले का गठन या मौजूदा जिलों को खत्म करना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसके लिए सरकार प्रशासनिक और जनसंख्या से जुड़े मापदंडों को ध्यान में रखती है।
• यह निर्णय आमतौर पर जिला प्रशासन, लोगों की मांग, जनसंख्या, भौगोलिक क्षेत्र, और क्षेत्रीय विकास के आधार पर लिया जाता है।

3. रिपोर्ट और सिफारिशें
• राज्य सरकार द्वारा विशेष समितियों या आयोगों का गठन किया जा सकता है, जो नए जिलों के गठन या मौजूदा जिलों को खत्म करने के औचित्य की जांच करते हैं। ये आयोग भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक कारकों का विश्लेषण करते हैं।
• इन समितियों की रिपोर्ट और सिफारिशों के आधार पर राज्य सरकार आगे की कार्रवाई करती है।

4. विधानसभा में प्रस्ताव
• राज्य सरकार राज्य विधानसभा में नए जिले बनाने या जिलों को खत्म करने का प्रस्ताव पेश करती है।
• यदि विधानसभा इस प्रस्ताव को मंजूरी देती है, तो यह कानून बन जाता है और नए जिलों की घोषणा या जिलों का विलय/समाप्ति लागू हो जाती है।

5. प्रशासनिक आदेश और अधिसूचना
• विधानसभा में प्रस्ताव पारित होने के बाद, राज्य सरकार प्रशासनिक आदेश जारी करती है, जिसमें नए जिलों के गठन या मौजूदा जिलों की समाप्ति के निर्देश होते हैं।
• राजपत्र (Official Gazette) में अधिसूचना जारी की जाती है, जिससे नए जिलों की सीमा, नाम और अधिकारिक स्थिति का निर्धारण किया जाता है।

6. अंतिम कार्यान्वयन
• नए जिलों के गठन के बाद, प्रशासनिक इकाइयों जैसे कि जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, और अन्य विभागों की नियुक्ति की जाती है।
• पुराने जिलों के क्षेत्र और प्रशासनिक इकाइयों का विभाजन या विलय होता है और प्रशासनिक सुधार लागू किए जाते हैं।

7. संबंधित जनप्रतिनिधियों से परामर्श
• नए जिलों के गठन या जिलों के खत्म करने से पहले अक्सर स्थानीय नेताओं, जनप्रतिनिधियों, और सिविल सोसाइटी से परामर्श किया जाता है, ताकि आम जनता की राय को ध्यान में रखा जा सके।

8. केंद्र सरकार की भूमिका
• आम तौर पर, राज्य सरकार को केंद्र सरकार से किसी प्रकार की विशेष अनुमति की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन यदि यह प्रक्रिया राज्य की सीमाओं में बदलाव से संबंधित है, तो केंद्र सरकार की संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत अनुमति जरूरी होती है।

राजस्थान में हाल ही में 17 नए जिलों का गठन किया गया था। इस प्रक्रिया में राज्य सरकार द्वारा संबंधित क्षेत्रों का विश्लेषण, प्रशासनिक प्रस्ताव और विधानसभा से मंजूरी ली गई थी। यह प्रक्रिया प्रशासनिक आवश्यकता, राजनीतिक प्राथमिकता, और क्षेत्रीय संतुलन के आधार पर बदल सकती है, लेकिन इसके पीछे कानूनी और संवैधानिक ढांचा बना रहता है।

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