Edited By Raunak Pareek, Updated: 25 Jun, 2025 01:26 PM

जयपुर के करतारपुरा नाले में बारिश के दौरान एक युवक की मौत के बाद प्रशासन की लापरवाही उजागर हो गई है। नाले पर न कोई रेलिंग है, न दीवार। स्थानीय लोगों का कहना है कि हादसे के बाद भी अस्थाई इंतजाम ही किए गए हैं।
राजधानी जयपुर में गोपालपुरा बायपास पर स्थित करतारपुरा नाले में सोमवार को तेज बारिश के दौरान एक युवक की मौत हो गई। युवक की पहचान कपिल उर्फ शकील (28) निवासी अलीगढ़, यूपी के रूप में हुई है, जो वर्तमान में गुर्जर थड़ी में रह रहा था। हादसा सुबह करीब 11:30 बजे हुआ जब वह काम के दौरान नाले के पास गया और फिसल कर तेज बहाव में बह गया। शव चार घंटे की मशक्कत के बाद 400 मीटर दूर मिला।
हादसे के बाद भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं
जब मौके पर स्थिति का जायजा लिया तो चौंकाने वाले हालात सामने आए। जिस स्थान पर युवक बहा, वहां अब भी कोई रेलिंग या पक्की दीवार नहीं है। जो दीवारें हैं, वे भी टूटी हुई हैं। मौके पर केवल मिट्टी के कट्टे और बांस की बल्लियों से अस्थाई बैरिकेडिंग की गई है। यह हालत तब है जब इसी नाले में पहले भी एक स्कूटर सवार की मौत हो चुकी है।
स्थानीय लोगों में गुस्सा, डर और असुरक्षा
स्थानीय निवासी ने बताया कि वह रोजाना इसी रास्ते से बाइक लेकर गुजरते हैं, लेकिन अब डर के मारे वह इस रास्ते से बचना चाहते हैं। वहीं, मयंक नामक व्यक्ति ने कहा कि यदि तेज बारिश हुई तो कोई भी व्यक्ति नाले में बह सकता है। प्रशासन को तत्काल पक्की दीवार और रेलिंग लगानी चाहिए।
हादसे की पूरी कहानी
नाले के किनारे रहने वाले लोगों ने बताया कि वह यहां कबाड़ गोदाम में काम करता था। हादसे के समय वह नाले की तरफ गया था, तभी उसका पैर फिसल गया और वह पानी के तेज बहाव में बह गया। चश्मदीदों ने बताया कि मौके पर मौजूद एक महिला और युवक ने मदद के लिए शोर मचाया, लेकिन जब तक बचाव दल पहुंचा, तब तक काफी देर हो चुकी थी। सिविल डिफेंस की टीम ने करीब 4 घंटे तक सर्च ऑपरेशन चलाया और शाम 4:30 बजे शव को बरामद किया।
पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे
यह कोई पहला हादसा नहीं है। वर्ष 2016 में आयुष गर्ग नामक युवक की कार करतारपुरा नाले में बह गई थी। आयुष कार के बोनट पर चढ़ गया था, लेकिन तेज बहाव में बह गया और उसका शव 7 दिन बाद मिला। उसके परिवार ने आज भी उस हादसे को नहीं भुलाया।
अन्य नाले भी खतरनाक
जब दुर्गापुरा नाले का भी निरीक्षण किया गया, जहां पिछले साल हादसे की आशंका जताई गई थी। इस साल वहां जेडीए की ओर से ऊंची पुलिया बनाने का काम चल रहा है और रास्ता बंद किया गया है। लेकिन करतारपुरा जैसे संवेदनशील स्थान पर अभी भी अस्थाई इंतजाम ही किए गए हैं।
सवाल जो अभी भी जवाब मांगते हैं:
· क्या बार-बार हादसों के बावजूद प्रशासन चेतेगा?
· नालों की सफाई और सुरक्षा दीवारों का काम कब होगा?
· जान गंवाने वालों की जिम्मेदारी किसकी होगी?
जयपुर जैसे स्मार्ट सिटी बनने के दावों के बीच यह हादसे एक बड़ा सवाल छोड़ते हैं — क्या आम नागरिक की जान की कोई कीमत नहीं है?