Edited By Chandra Prakash, Updated: 02 Aug, 2024 04:52 PM
उत्तराखंड की तर्ज पर अब राजस्थान में भी भजनलाल सरकार समान नागरिक संहिता का कानून ला सकती है। गुरुवार को राजस्थान विधानसभा में एक सवाल के जवाब में राज्य के कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि सरकार यूसीसी को लेकर विधेयक लाने पर विचार कर रही है। बजट...
जयपुर, 2 अगस्त 2024 । उत्तराखंड की तर्ज पर अब राजस्थान में भी भजनलाल सरकार समान नागरिक संहिता का कानून ला सकती है। गुरुवार को राजस्थान विधानसभा में एक सवाल के जवाब में राज्य के कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि सरकार यूसीसी को लेकर विधेयक लाने पर विचार कर रही है। बजट सत्र में बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ ने राजस्थान में समान नागरिक संहिता लागू करने से जुड़ा सवाल पूछा था।
तो कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने जानकारी देते हुए कहा कि राजस्थान में जल्द ही यूसीसी लागू किया जाएगा। बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ ने कहा, 'मुझे खुशी है कि उत्तराखंड के बाद हमारी सरकार राजस्थान में भी यूसीसी लागू करेगी। अगले विधानसभा सत्र में इसके लिए विधेयक लाया जाएगा।'
बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटरों के मुद्दे पर बोले विधायक कालीचरण सराफ
जयपुर में बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटरों के मामले में विधायक कालीचरण ने कहा कि आज मैंने विधानसभा में मुद्दा उठाया था। उच्च स्तरीय जांच और बेसमेंट में रहने वाले और व्यावसायिक प्रतिष्ठान कोचिंग सेंटर चलाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की उन्होंने कहा था, 'मैं इस बारे में सीएम भजनलाल से बात करूंगा। यह बिल 100 फीसदी पास होगा। मेरी इच्छा है कि इसे राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे देश में लागू किया जाए।'
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड ?
अब सवाल ये उठता है कि आखिर क्या होता है यूसीसी यानी की यूनिफॉर्म सिविल कोड । बता दें कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) कानूनों का एक समूह है, जो सभी नागरिकों पर उनके धर्म, समुदाय, नस्ल, लिंग, और जाति के बावजूद लागू होता है । इसमें विवाह, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार, और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों से जुड़े कानून शामिल हैं । यूसीसी को भारतीय संविधान में राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के रूप में शामिल किया गया है । लेकिन इसे कानून द्वारा लागू नहीं किया जा सकता, हालांकि, इसे सरकार के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत माना जा सकता है ।
आपको बता दें कि अगर प्रदेश में यूसीसी लागू हो गया तो विवाह, तलाक, संपत्ति, उत्तराधिकार जैसे कानूनों में एकरूपता आएगी । उदाहरण के तौर पर बात करें तो अगर कोई गैर-आदिवासी एक आदिवासी महिला से शादी करता है, तो उसकी अगली पीढ़ी की महिला को भी जमीन का अधिकार मिल जाएगा । हालांकि, यूसीसी को लागू करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है ।
इनमें से कुछ चुनौतियां इस प्रकार हैं :
1. भारत में प्रचलित अलग-अलग पर्सनल लॉज़ और प्रथाओं का मसौदा तैयार करना
2. इन मसौदों को संहिताबद्ध करना और उनके बीच सामंजस्य लाना
3. इन मसौदों को तर्कसंगत बनाना
4. धार्मिक नेताओं, कानूनी विशेषज्ञों, महिला संगठनों आदि सहित कई हितधारकों से सलाह लेना
5. लोगों को यूसीसी के अनुपालन और स्वीकृति के लिए प्रेरित करना