Edited By Raunak Pareek, Updated: 10 Apr, 2025 12:51 PM
जयपुर के पास बसे नन्दलालपुरा गांव की पहचान अब बदनामी से जुड़ी है। यहां लड़कियां और महिलाएं घर से अकेली निकलने में डरती हैं। देह व्यापार के कारण पूरे गांव को शक की नजर से देखा जाता है। प्रशासन की अनदेखी, सुरक्षा की कमी और सामाजिक बहिष्कार ने इस गांव...
राजस्थान की राजधानी जयपुर से महज 3 किलोमीटर अंदर बसे एक गांव का नाम है नन्दलालपुरा। यह गांव दूदू विधानसभा क्षेत्र में आता है और जयपुर-अजमेर हाईवे से सटा हुआ है। करीब 150 परिवारों वाला यह गांव अब एक ऐसे कलंक से जूझ रहा है, जिससे बाहर निकलना गांववासियों के लिए हर दिन एक चुनौती बन गया है। कारण है — गांव के कुछ हिस्सों में दशकों से चल रहा देह व्यापार, जिसकी बदनामी अब पूरे गांव की पहचान बन चुकी है।
गांव का बदनाम चेहरा
नन्दलालपुरा गांव में रहने वाले लोगों का जीवन बेहद कठिन हो गया है। यहां के लगभग 100 परिवार पिछले 50-55 वर्षों से देह व्यापार में लिप्त हैं। हालांकि यह गांव के सिर्फ कुछ हिस्सों तक सीमित है, लेकिन इससे पूरे गांव की छवि धूमिल हो गई है। जब कोई बाहरी व्यक्ति गांव में आता है तो वह सीधे-सीधे महिलाओं और युवतियों से अभद्रता करने लगता है, या देह व्यापार के अड्डों के बारे में पूछताछ करता है। यह स्थिति इस कदर गंभीर हो चुकी है कि स्थानीय लड़कियों और महिलाओं को दिन में भी अकेले घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं मिलती।
बहू-बेटियों की आज़ादी छिन गई
स्थानीय महिलाओं का कहना है कि गांव में अब अंधेरा होते ही महिलाएं खुद को घरों में कैद कर लेती हैं। रास्ते पर अकेले चलना, खेत में काम करना या बाजार तक जाना — सब कुछ अब सुरक्षा जोखिम बन चुका है। घर से निकलते समय हर महिला को किसी पुरुष सदस्य की जरूरत होती है। माता-पिता और पति हर समय चिंता में डूबे रहते हैं कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाए। कुछ महिलाओं ने मजबूरी में पढ़ाई छोड़ दी है, तो कुछ ने बाहर काम करना बंद कर दिया है।
देह व्यापार का साया पूरे गांव पर
गांव में देह व्यापार के कारण वहां हर समय बाहरी लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। ये लोग अक्सर नशे की हालत में होते हैं और गांव की सीमाओं में घुसते ही महिलाओं पर गंदी नजर डालने लगते हैं। स्थानीय निवासी बताते हैं कि इन लोगों को गांव में घुसते ही देह व्यापार के अड्डों का पता होता है। ऐसे में जो महिलाएं गांव की मूल निवासी हैं और किसी भी गलत काम से जुड़ी नहीं हैं, उन्हें भी समाज के भेदभाव और दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ता है।
शादी-ब्याह भी मुश्किल हो गया
गांव के युवाओं के लिए विवाह एक बड़ी समस्या बन चुका है। जैसे ही किसी रिश्तेदार या परिचित को पता चलता है कि रिश्ता नन्दलालपुरा से है, वे इनकार कर देते हैं। इसलिए कई लोग अब अपने गांव का नाम महला बताकर रिश्ते तय कर रहे हैं। गांव के कई पढ़े-लिखे युवा और उनकी बहनें सिर्फ इस बदनामी की वजह से अपने जीवनसाथी नहीं चुन पा रहे हैं।
जब महिलाएं बनती हैं सुरक्षा की दीवार
गांव की महिलाएं बताती हैं कि जब किसी मनचले की हरकतें हद से पार हो जाती हैं, तो उन्हें खुद चप्पल या पत्थर उठाकर अपना बचाव करना पड़ता है। कुछ महिलाएं तो इतना डरी हुई हैं कि उन्होंने अपने बच्चों को भी गांव से बाहर पढ़ाई के लिए भेज दिया है। वे चाहती हैं कि अगली पीढ़ी इस शर्मिंदगी और डर की विरासत को न सहे।
पुलिस चौकी की जरूरत
1998 से 2008 तक गांव में पुलिस चौकी थी, जिससे यहां कानून व्यवस्था बनी रहती थी। लेकिन जब से चौकी हटी है, अपराध और बदनामी में इजाफा हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस अब कभी-कभार गश्त करती है, लेकिन कार्रवाई का कोई डर नहीं है। कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
बच्चों की पढ़ाई पर असर
बहुत सी बेटियों ने अब स्कूल-कॉलेज जाना बंद कर दिया है। हाईवे से गांव तक आने वाला 3 किलोमीटर का रास्ता उनके लिए खौफनाक सफर बन गया है। खेतों में अकेले काम करने वाली लड़कियों से लोग कीमत पूछते हैं, फब्तियां कसते हैं और कई बार छेड़छाड़ की कोशिश भी करते हैं। कुछ माता-पिता तो अपने बच्चों की पढ़ाई छुड़वाकर उन्हें घर पर ही काम में लगाने लगे हैं, क्योंकि सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता बन गई है।
देह व्यापार में बढ़ती संलिप्तता
गांव में मूल निवासी परिवारों की संख्या कम हो रही है, क्योंकि पढ़े-लिखे और नौकरीपेशा लोग गांव छोड़कर जा रहे हैं। इसके विपरीत देह व्यापार में संलिप्त परिवारों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में गांव की स्थिति दिन-ब-दिन और भी भयावह होती जा रही है। गांव छोड़कर जाना सभी के लिए संभव नहीं, क्योंकि ज़मीन-जायदाद और पुश्तैनी घर इन्हें बांधे रखते हैं।
वोट बैंक की राजनीति और प्रशासन की उदासीनता
ग्रामीणों का आरोप है कि गांव में देह व्यापार को वोट बैंक के चलते बढ़ावा मिलता रहा है। कुछ स्थानीय नेता और प्रभावशाली लोग इस काले कारोबार को छिपाते या नजरअंदाज करते हैं ताकि उनका राजनीतिक फायदा बना रहे। प्रशासन को कई बार ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं, लेकिन अब तक स्थायी पुलिस चौकी की मांग अधूरी ही रही है।
अब भी उम्मीद बाकी
गांववाले चाहते हैं कि नन्दलालपुरा को उसकी बदनामी से मुक्ति मिले। उनका कहना है कि यदि प्रशासन सख्त हो, पुलिस की चौकी फिर से स्थापित की जाए, नियमित गश्त हो और देह व्यापार में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो, तो गांव को फिर से सम्मान मिल सकता है।
नन्दलालपुरा की यह कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं, पूरे समाज की चेतावनी है। जहां चुप्पी, सिस्टम की लाचारी और असंवेदनशीलता मिलकर एक पूरे समुदाय को कैद कर देती है। यहां सिर्फ देह व्यापार का मुद्दा नहीं है, यह महिलाओं की आज़ादी, सुरक्षा और सम्मान का मुद्दा है। क्या नन्दलालपुरा की बहनों और बेटियों को उनका हक और सुरक्षित जीवन मिल पाएगा? या यह गांव यूं ही बदनामियों की परछाइयों में खोता रहेगा? समय आ गया है कि हम चुप न रहें, आवाज उठाएं और इस गांव की पहचान को फिर से नया नाम और सम्मान दें।