Edited By Sourabh Dubey, Updated: 28 Oct, 2025 02:13 PM

दक्षिण राजस्थान के डूंगरपुर जिले में दो दिन से लगातार हो रही बारिश इस बार राहत नहीं, बल्कि दर्द बनकर बरसी है। बादलों ने किसानों के खेतों में अनाज नहीं, आंसू बो दिए हैं। पहले ज्यादा बारिश ने फसलें बर्बाद कर दी थीं, और जो थोड़ी बहुत फसल बची थी, उसे इस...
डूंगरपुर। दक्षिण राजस्थान के डूंगरपुर जिले में दो दिन से लगातार हो रही बारिश इस बार राहत नहीं, बल्कि दर्द बनकर बरसी है। बादलों ने किसानों के खेतों में अनाज नहीं, आंसू बो दिए हैं। पहले ज्यादा बारिश ने फसलें बर्बाद कर दी थीं, और जो थोड़ी बहुत फसल बची थी, उसे इस बेमौसम बरसात ने भी नहीं छोड़ा।
खेतों में पकी हुई फसलें अब पानी में गलने लगी हैं। जहां कभी मिट्टी की खुशबू उठती थी, अब सड़ती हुई फसलों की गंध फैली है।
बारिश का जिला-वार रिकॉर्ड (सोमवार शाम 4 बजे तक):
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डूंगरपुर: 20 mm
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सीमलवाड़ा: 39 mm
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साबला: 26 mm
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गामड़ी आड़ा: 23 mm
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दोवड़ा: 11 mm
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कनबा: 20 mm
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चिखली: 19 mm
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बना: 12 mm
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निठठवा: 10 mm
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आसपुर: 5 mm
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गणेशपुर: 6 mm
किसानों की बेबसी और बीमा क्लेम की दिक्कतें:
किसानों का कहना है कि उन्होंने फसल खराबे की जानकारी बीमा कंपनी के टोल-फ्री नंबर पर देने की कोशिश की, लेकिन कॉल नहीं लग पा रहा है।
वहीं भारतीय किसान संघ के कार्यकर्ताओं का कहना है कि “चार महीने की मेहनत पर पानी फिर गया है। सरकार को आपदा राहत अनुदान देना चाहिए और बीमा क्लेम जल्द पास करवाना चाहिए।”
कृषि विभाग की गाइडलाइन:
कृषि विभाग का कहना है कि किसानों को फसल खराबे की सूचना 72 घंटे के भीतर बीमा कंपनी के टोल-फ्री नंबर पर देनी होती है। लेकिन सवाल यह है कि — जब फोन ही नहीं लग रहा, तो किसान अपनी बात कहां रखें?
अब उम्मीद सरकार से:
अब डूंगरपुर के किसान सरकार की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं। वे चाहते हैं कि प्रशासन जल्द सर्वे कराकर फसल मुआवजे की प्रक्रिया शुरू करे।
सरकार की राहत नीति और बीमा कंपनियों की जिम्मेदारी अब किसानों की अगली उम्मीद बन गई है।
इस बार की बारिश ने डूंगरपुर में राहत के बजाय नुकसान छोड़ा है। खेतों में सिर्फ फसलें नहीं, बल्कि किसानों की मेहनत और उम्मीदें भी बह गई हैं।